सिवनी, धारनाकला (एस. शुक्ला): वैसे तो सहकारी समितिया हमेशा से ही किसी न किसी मामले मे चर्चित रहते आई है. किन्तु सहकारी समितियों मे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की भर्ती के मामले में उपायुक्त पंजीयक सिवनी के द्वारा भी ऐसी भारतियों की खबर है जो अवैधानिक तरीके से हुई है.
उनकी जानकारी लेने का प्रयास किया गया तथा सम्बन्धित समितियों से जानकारी भी बुलाई गई किन्तु इस दिशा मे अब तक कोई भी ठोस कार्रवाई सामने नही आई है. जिससे सहकारी समितियो मे हुई फर्जी नियुक्तियो पर प्रश्न चिन्ह लगने लगा है
संचालक बोर्ड के द्वारा कर दी गई नियुक्ति
उल्लेखनीय है सहकारी समितियां किसानो से जुडी समितियां है. जिसमे एक नही अपितु दर्जनो गांव के किसान सहकारी समितियों से जुडे होते है और किसानो के मत से ही संचालक बोर्ड तैयार होता है और समिति के संचालन का दायित्व भी इन्ही के हाथ मे होता है.
किन्तु संचालक सदस्यो ने नियमो को ताक पर रखकर सहकारी समितियों मे मोटी रकम के बल पर अपने चहेते और करीबियों को दैनिक वेतन भोगी का नाम देते हुए भर्तीया की जिस संबंध ना ही नियमों को ध्यान मे रखा गया है और ना ही सहकारिता विभाग की गाइडलाइन से कार्य किया गया है.
इतना ही नहीं दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी की भर्ती मे अनेको गांव के जुडे होने के बाद भी किसी प्रकार की सूचना अथवा विज्ञापन नहीं दिया गया किन्तु रातो रात नियुक्तिया कर दी गई.
89 दिन की नियुक्ति किन्तु वर्षो से कार्य कर रहे दैनिक वेतन भोगी
उल्लेखनीय है की सहकारी समितियो मे दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप मे अपने चहेतो की नियुक्ति तो 89 दिनो के लिये कई गई थी. किन्तु इनका नवीनीकरण आज तक नही हुआ और यही कारण है की 89 दिन की भर्ती मे वर्षों बीत गए परन्तु सहकारी समितियों मे 89 दिन समाप्त नही हुए और ना कभी होंगे.
जब इस सम्बन्ध मे उपायुक्त पंजीयक कार्यालय सिवनी से जानकारी ली गई तो पता चला की समिति स्तर से ऐसी कोई जानकारी उनके कार्यालय नही आई है. इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है सहकारी समितियो मे अंधेर नगरी चौपट राजा की तर्ज पर कैसे समिति का संचालन चल रहा है.
89 दिन की भर्ती वाले ही लगा रहे समिति को चूना
यहा यह भी उल्लेखनीय है की सहकारी समितियो मे समिति के अधिकांश कार्यो की जिम्मेदारी इनके हाथो मे जिसमे राशन वितरण जैसे महत्वपूर्ण कार्य के साथ वित्तीय व्यवस्था से जुडे कार्य भी यही कर रहे है जिससे सहकारी समितियो को प्रति वर्ष लाखो रूपये की छति होने से इंकार नही किया जा सकता है.
जिसका सबसे बडा प्रमाण और क्या होगा की जिले की अधिकांश सहकारी समितियो मे धान खरीदी के कार्य मे समिति मे हजरो क्विंटल धान का शार्टेज आया है और समिति को लाखो रूपये की राशि जो कमीशन के तौर पर प्राप्त होती है वह आज की स्थिति मे ऐसे कर्मचारी यो की जेब मे है.
पिता जीवित फिर भी होती है अनुकम्पा नियुक्ति
वैसे सहकारिता विभाग मे सब कुछ जायज है चाहे जैसा इस विभाग को मोड़ दिया जाता है तभी तो सहकारिता विभाग मे पिता के जीवित रहते ही अनुकम्पा नियुक्ती कर दी जाती है और सम्बन्धित विभाग को कोई जानकारी नही होती है और नोटो की खनक के आगे सब शान्त रहते है और वास्तविक मे शिक्षित बेरोजगार युवा जो नौकरी की तलाश मे अपना जीवन बर्बाद कर देते है ऐसे युवाओ को कोई सहारा नही मिलता.
इन समितियों मे होनी चाहिए फर्जी नियुक्तियों की जांच
वैसे सहकारी समितियों मे फर्जी नियुक्तियां तो बहुत हुई है किन्तु धारनाकला खामी लालपुर तथा आष्टा मे तो संचालक सदस्यों के द्वारा किस तरह नियमों को ताक पर रखकर दैनिक वेतन भोगी की भर्ती के नाम पर नवयुवको के भविष्य से खिलवाड किया गया है यह देखा जा सकता है.
जनपद सदस्य तथा सहकारिता सभापति गजानंद हरिनखेडे ने कहा की सहकारिता को अपनी जागीर समझ जिनके द्वारा इस तरह नियम विरूद्ध कार्य किया गया है उन पर कार्रवाई होनी चाहिए.
इनका कहना
मेरे द्वारा सिवनी का प्रभार अभी कुछ दिनो पूर्व ही लिया गया है इस संबंध मेरे पास जानकारी नही है फिर भी इस संबंध मे जानकारी लेकर विधिवत कार्रवाई की जायेगी
के के शिव उपायुक्त, सहकारिता सिवनी