सिवनी में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा: 37 साल बाद भी नहीं बनी नहर, उल्टा किसानों को थमाए गए नोटिस

The height of corruption in Seoni: Canal not built even after 37 years, instead notices were served to farmers

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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सिवनी में भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा: 37 साल बाद भी नहीं बनी नहर, उल्टा किसानों को थमाए गए नोटिस

सिवनी (मध्यप्रदेश) – मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग में जारी भ्रष्टाचार की बानगी इन दिनों अपने चरम पर है। सिवनी जिले के लखनादौन तहसील अंतर्गत गणेशगंज सहजपुरी ग्राम के डूंगरिया जलाशय से जुड़ी नहर का निर्माण आज तक नहीं हुआ, फिर भी किसानों को उसे क्षतिग्रस्त करने के नोटिस भेजे जा रहे हैं, जो अपने आप में एक शर्मनाक और चौंकाने वाली घटना है।

डूंगरिया जलाशय: जहां नहर का कोई अस्तित्व ही नहीं

साल 1987-88 में करोड़ों की लागत से बनाए गए डूंगरिया जलाशय का मुख्य उद्देश्य था – क्षेत्र के किसानों को सिंचाई के लिए नहरों के माध्यम से पानी पहुंचाना। लेकिन, 37 वर्षों के बाद भी एक इंच पक्की नहर का निर्माण नहीं हुआ। ऐसे में सवाल उठता है कि जब नहर बनी ही नहीं, तो किसानों ने उसे क्षतिग्रस्त कैसे किया?

कृषकों के साथ अन्याय की इंतहा

नहरों के नाम पर भ्रष्टाचार का खेल ऐसा खेला गया है, जहां हर साल मेंटेनेंस के नाम पर लाखों रुपए का फर्जीवाड़ा किया गया। मीडिया द्वारा की गई जमीनी हकीकत की पड़ताल में साफ हुआ कि जिस पक्की नहर का ज़िक्र किया जा रहा है, वह कागज़ों में ही मौजूद है। लेकिन किसानों को नोटिस भेज दिए गए कि उन्होंने इस नहर को नुकसान पहुंचाया है।

एसडीओ और सब इंजीनियर की मिलीभगत उजागर

भ्रष्टाचार की इस पूरी कहानी में दो प्रमुख नाम सामने आ रहे हैं – एसडीओ ऋषभ साहू और सब इंजीनियर शंकरलाल त्रिपाठी। दोनों अधिकारियों पर नहर निर्माण न होने के बावजूद मेंटेनेंस की राशि खर्च करने और किसानों पर दोष मढ़ने का आरोप है। यह अधिकारी मीडिया और आमजन से दूरी बनाकर अब जवाबदेही से बचते नजर आ रहे हैं

नहर मरम्मत का बहाना, असल में फर्जीवाड़े की कहानी

हर वर्ष लाखों रुपये नहर मरम्मत के नाम पर स्वीकृत किए गए, लेकिन स्थल पर आज तक कोई पक्की नहर मौजूद नहीं। यह सब स्पष्ट रूप से यह दर्शाता है कि विभागीय मिलीभगत से सरकारी धन का गबन हो रहा है। कृषकों को लाभ पहुंचाने के बजाय उन्हें दोषी बनाकर मानसिक प्रताड़ना दी जा रही है

किसानों की पीड़ा: एक बूंद पानी के लिए तरसते खेत

37 वर्षों में एक बार भी डूंगरिया जलाशय से नहर द्वारा पानी नहीं छोड़ा गया, जिससे सैकड़ों किसान अब तक सिंचाई के लिए वर्षा और टैंकरों पर निर्भर हैं। जब किसानों ने शासन से जवाब मांगा, तब उल्टा उन्हें नहर तोड़ने के झूठे आरोप में नोटिस थमा दिए गए।

“कागज़ों में नहर, जमीनी हकीकत में धोखा”

स्थानीय किसानों का कहना है कि नहर तो कभी बनी ही नहीं, लेकिन फिर भी विभाग की ओर से यह दिखाया जा रहा है कि पक्की नहरें बनी हैं और वे क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। सवाल यह भी उठता है कि यदि नहरें बनी होतीं, तो वे अब तक क्षतिग्रस्त कैसे हो जातीं?

कार्यपालन यंत्री पर ठीकरा फोड़ने की कोशिश

जब इस मामले में संबंधित अधिकारियों से जानकारी मांगी गई, तो एसडीओ और सब इंजीनियर ने जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए कार्यालय में पदस्थ कार्यपालन यंत्री वीपी चौधरी पर सारा दोष डाल दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभागीय समन्वय से भ्रष्टाचार की गहरी जड़ें जमाई जा रही हैं।

राज्य सरकार और शासन का मौन रहना चिंताजनक

मध्यप्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार मुक्त शासन के दावे किए जाते हैं, लेकिन इस प्रकार के गंभीर मामले पर शासन की चुप्पी सवाल खड़े करती है। आखिरकार करोड़ों की लागत से बना डूंगरिया जलाशय अब तक उपयोग में क्यों नहीं लाया गया?

सीएम हेल्पलाइन और जनसुनवाई में शिकायतें बेअसर

स्थानीय किसानों ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, जनसुनवाई और कलेक्टर कार्यालय तक गुहार लगाई, लेकिन कहीं से कोई सुनवाई नहीं हुई। इससे यह प्रतीत होता है कि शासन-प्रशासन का भरोसा अब किसानों की नजरों में टूटता जा रहा है

इस भ्रष्टाचार से कौन बचाएगा किसानों को?

सवाल यह है कि जब नहर कभी बनी ही नहीं, तो मरम्मत किस चीज़ की हो रही है और पैसा कहां जा रहा है? आखिर किसानों को नोटिस थमाकर किस अपराध की सजा दी जा रही है?

भ्रष्टाचार पर त्वरित न्याय और कार्रवाई की आवश्यकता

हमारी मांग है कि:

  • इस पूरे मामले की सीबीआई या ईओडब्ल्यू से निष्पक्ष जांच कराई जाए।
  • जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
  • जिन किसानों को झूठे आरोपों में फंसाया गया, उनके खिलाफ नोटिस वापस लेकर उन्हें मानसिक शांति दी जाए।
  • डूंगरिया जलाशय की नहर का वास्तविक निर्माण कार्य कराया जाए, ताकि किसान आगामी वर्षों में सिंचाई से वंचित न रहें।

यह मामला केवल एक नहर या एक गांव का नहीं, बल्कि पूरे राज्य के सिस्टम की विफलता और भ्रष्टाचार का प्रतीक है। यदि समय रहते कार्यवाही नहीं की गई, तो किसान हितैषी कहे जाने वाले प्रशासन की छवि को गहरा आघात पहुंचेगा।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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