धारनाकला (बरघाट), जिला सिवनी | बरघाट विकासखंड के अंतर्गत धारनाकला गांव में शासकीय जमीन की आड़ में चल रहा भू-माफियाओं का लंबा खेल अब एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का मुद्दा बन चुका है। जहां एक ओर भूमाफिया शासकीय जमीन से सटी खेतिहर ज़मीन को खरीद कर कृत्रिम भाववृद्धि कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्व विभाग को करोड़ों की चपत लगाई जा रही है।
इस खेल में स्टाम्प ड्यूटी की चोरी, शासकीय भूमि पर अवैध कब्जे और अनधिकृत क्रय-विक्रय जैसे कई गंभीर अपराध खुलेआम हो रहे हैं, लेकिन हैरानी की बात है कि प्रशासन और राजस्व अमला चुप्पी साधे बैठा है।
शासकीय जमीन के नाम पर महंगी ज़मीन बेचकर लाखों की कमाई
सूत्रों के अनुसार, सिवनी-बालाघाट रोड से लगी धारनाकला की शासकीय ज़मीन से सटी खेतिहर ज़मीन को भूमाफियाओं द्वारा करोड़ों के दामों में खरीदा और बेचा जा रहा है। इन जमीनों की कीमत चार करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच गई है, जो कि आम ग्रामीण या जरूरतमंद किसान के लिए पूरी तरह से असंभव बन गया है।
इन भूमाफियाओं द्वारा शासकीय ज़मीन को यह कहकर बेचा जा रहा है कि “यह जमीन तो वैसे भी मुफ्त में साथ में मिल रही है”, जिससे निजी ज़मीन के साथ शासकीय भूमि भी गुपचुप तरीके से हड़प ली जा रही है।
स्टाम्प ड्यूटी की चोरी, राजस्व विभाग को लाखों का नुकसान
धारनाकला में जो ज़मीनें बेची जा रही हैं, उनमें से अधिकांश पर स्टाम्प ड्यूटी केवल खेतिहर जमीन के नाम पर अदा की जा रही है, जबकि वास्तविक उपयोग और क्षेत्रफल अधिक है। यदि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो तो साफ हो जाएगा कि किस प्रकार से राजस्व विभाग को लगातार भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।
ग्राम पंचायत और जनप्रतिनिधियों का प्रयास सराहनीय
ग्राम पंचायत घीसी के सरपंच ने खसरा नंबर 354 की शासकीय ज़मीन का सीमांकन कराने के लिए तहसीलदार बरघाट को आवेदन प्रस्तुत किया है। इस भूमि का रकबा 0.24 हेक्टेयर है और पंचायत यहां पर सुगम कॉम्प्लेक्स के निर्माण की योजना बना रही है।
जनपद सदस्य ने भी सरपंच के प्रयास की सराहना करते हुए इसे जनहित में एक सकारात्मक कदम बताया है। उनका कहना है कि इस परिसर के बनने से क्षेत्र के गरीबों को रोजगार भी मिलेगा।
जनपद पंचायत की जमीन भी असुरक्षित, अतिक्रमण जारी
सिवनी-बालाघाट रोड से सटी जनपद पंचायत बरघाट की कीमती शासकीय ज़मीन भी अब तक सुरक्षित नहीं हो सकी है। रिकॉर्ड में यह ज़मीन पूर्व में जनपद सभा सिवनी के नाम दर्ज थी, जिसे बाद में जनपद पंचायत बरघाट के नाम कर दिया गया। लेकिन कई बार सीमांकन और नापजोख होने के बावजूद भी अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया सिर्फ नोटिस तक सीमित रह गई है।
इस जमीन की कीमत अब 5 से 6 हजार रुपये प्रति वर्गफुट तक पहुंच गई है, फिर भी प्रशासन की निष्क्रियता चौंकाने वाली है।
प्रशासन की ढील बनी भू-माफियाओं के लिए वरदान
यह सबसे बड़ा सवाल है कि जब शासकीय ज़मीन के चारों ओर भूमाफिया लाखों-करोड़ों का खेल खेल रहे हैं, तो प्रशासन इसे सुरक्षित करने के प्रयास क्यों नहीं कर रहा है?
इन जमीनों पर सुगम कॉम्प्लेक्स, सरकारी स्कूल, हेल्थ सेंटर जैसे कई उपयोगी निर्माण संभव हैं, लेकिन प्रशासनिक अनदेखी ने भू-माफियाओं को खुली छूट दे दी है।
क्या जिला प्रशासन जागेगा?
धारनाकला में भूमाफियाओं द्वारा शासकीय जमीन पर किए जा रहे खेल से न केवल शासन को आर्थिक क्षति हो रही है बल्कि गरीब जनता को भी जमीन के अधिकार से वंचित किया जा रहा है।
अब समय आ गया है कि जिला प्रशासन, विशेषकर जिला कलेक्टर, इस मामले में संवेदनशीलता दिखाएं और शासकीय जमीन की सुरक्षा के लिए ठोस और त्वरित कार्रवाई करें। साथ ही, राजस्व विभाग द्वारा निष्पक्ष जांच की जाए ताकि भूमाफियाओं के इस बड़े नेटवर्क को उजागर किया जा सके।