नई दिल्ली। हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी पर कपड़े और कागज के अलावा प्लास्टिक से बने झंडे खूब बिकते थे, लेकिन इस बार केंद्र सरकार ने एक खास वजह से प्लास्टिक के बने झंडों पर रोक लगा दी है। इस बारे में राज्यों को केंद्र ने निर्देश भेजा है। केंद्र सरकार के मुताबिक प्लास्टिक से बने झंडों का उचित तरीके से निपटारा नहीं हो पाता। ये झंडे इधर-उधर फेंके जाते हैं। इससे राष्ट्रीय ध्वज के कोड का उल्लंघन भी होता है। केंद्र ने अपने निर्देश में कहा है कि राष्ट्रीय ध्वज देश के लोगों की आशा और आकांक्षा को दिखाता है। इस वजह से इसका हमेशा सम्मान होना चाहिए। साथ ही इसके प्रति लोगों के दिल में स्नेह, सम्मान और वफादारी भी होती है।
केंद्र ने कहा है कि महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेल आयोजनों में कागज की जगह प्लास्टिक से बने झंडों का इधर ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है। कागज के बने झंडे तो गलकर मिट्टी में मिल जाते हैं, लेकिन प्लास्टिक के झंडों के साथ ऐसा नहीं होता। इससे झंडे की गरिमा को ठेस पहुंचती है। इसलिए सारे आयोजनों पर जनता को सिर्फ कागज के बने झंडे मिलें और प्लास्टिक के झंडे बेचने पर रोक लगाई जाए।
बता दें कि इस निर्देश के साथ राष्ट्रीय ध्वज को फहराने और उसका निपटान करने के कोड का भी उल्लेख किया गया है। ऐसे में इस बार पूरे देश में प्लास्टिक के झंडों की बिक्री बंद होने जा रही है। सिर्फ कागज और कपड़े से बने झंडों का ही इस्तेमाल होगा। कपड़ों से बने झंडों की बिक्री खास तौर पर खादी आश्रमों से की जाती है। इसे 3:2 के आकार में बनाया जाता है। ध्वज कोड के उल्लंघन पर कड़ी सजा का भी प्रावधान है।