आज इंडिया गेट का जन्मदिन है !

By SHUBHAM SHARMA

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India Gate – इंडिया गेट (वास्तविक रूप से इसे अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है) एक युद्ध स्मारक है। जो राजपथ, नयी दिल्ली में बना हुआ है, राजपथ को प्राचीन समय में किंग्सवे भी कहा जाता था।

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इंडिया गेट का इतिहास – India Gate History in Hindi

मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक के रूप में जाने जाने वाले इस स्मारक का निर्माण अंग्रेज शासकों द्वारा उन 82000 भारतीय सैनिकों की स्मृति में किया गया था जो ब्रिटिश सेना में भर्ती होकर प्रथम विश्वयुद्ध और अफ़ग़ान युद्धों में शहीद हुए थे। यूनाइटेड किंगडम के कुछ सैनिकों और अधिकारियों सहित 13300 सैनिकों के नाम, गेट पर उत्कीर्ण हैं, लाल और पीले बलुआ पत्थरों से बना हुआ यह स्मारक दर्शनीय है।

जब इण्डिया गेट बनकर तैयार हुआ था तब इसके सामने जार्ज पंचम की एक मूर्ति लगी हुई थी। जिसे बाद में ब्रिटिश राज के समय की अन्य मूर्तियों के साथ कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया गया। अब जार्ज पंचम की मूर्ति की जगह प्रतीक के रूप में केवल एक छतरी भर रह गयी है।

1971 में बांग्लादेश आज़ादी युद्ध के समय काले मार्बल पत्थरो के छोटे-छोटे स्मारक व छोटी-छोटी कलाकृतियाँ बनाई गयी थी। इस कलाकृति को अमर जवान ज्योति भी कहा जाता है क्योकि 1971 से ही यहाँ भारत के अकथित सैनिको की कब्र बनाई हुई है।

इंडिया गेट का प्रारंभिक इतिहास – India Gate History

इंडिया गेट भारत के दिल्ली में स्थित है, जिसे मूल रूप से अखिल भारतीय युद्ध स्मारक भी कहा जाता है। और यह इतिहासिक धरोहर इम्पीरियल वॉर ग्रेव कमीशन (IWGC) का भी एक भाग है। जिसकी स्थापना प्रथम विश्व युद्ध में मारे गये सैनिको के लिये की गयी थी।

1920 के दशक तक,पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पूरे शहर का एकमात्र रेलवे स्टेशन हुआ करता था। आगरा-दिल्ली रेलवे लाइन उस समय लुटियन की दिल्ली और किंग्सवे यानी राजाओं के गुजरने का रास्ता, जिसे अब हिन्दी में राजपथ नाम दे दिया गया है। पर स्थित वर्तमान इण्डिया गेट के निर्माण-स्थल से होकर गुजरती थी। आखिरकार इस रेलवे लाइन को यमुना नदी के पास स्थानान्तरित कर दिया गया।

इसके बाद सन् 1924 में जब यह मार्ग प्रारम्भ हुआ तब कहीं जाकर स्मारक स्थल का निर्माण शुरू हो सका। 42 मीटर ऊँचे इण्डिया गेट से होकर कई महत्वपूर्ण मार्ग निकलते हैं। पहले इण्डिया गेट के आसपास होकर काफी यातायात गुजरता था। परन्तु अब इसे भारी वाहनों के लिये बन्द कर दिया गया है।

शाम के समय जब स्मारक को प्रकाशित किया जाता है तब इण्डिया गेट के चारो ओर एवं राजपथ के दोनों ओर घास के मैदानों में लोगों की भारी भीड़ एकत्र हो जाती है। 625 मीटर के व्यास में स्थित इण्डिया गेट का षट्भुजीय क्षेत्र 306,000 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल में फैला है।

इण्डिया गेट के सामने स्थित वह छतरी अभी भी ज्यों की त्यों है। इस छतरी के नीचे किसी जमाने में जार्ज पंचम की भव्य मूर्ति हुआ करती थी। भारत के आज़ाद होने के बाद उस मूर्ति को सरकार ने वहाँ से हटा कर कोरोनेशन पार्क में स्थापित कर दिया।

शहीद सैनिकों की स्मृति में यहाँ एक राइफ़ल के ऊपर सैनिक की टोपी रखी गयी है जिसके चार कोनों पर सदैव अमर जवान ज्योति जलती रहती है। इसकी दीवारों पर उन हज़ारों शहीद सैनिकों के नाम हैं। सबसे ऊपर अंग्रेज़ी में लिखा है-

भारतीय सेनाओं के शहीदों के लिए, जोफ्रांस और फ्लैंडर्स मेसोपोटामिया,फारस, पूर्वी अफ्रीका गैलीपोली और निकटपूर्व एवं सुदूरपूर्व की अन्य जगहों पर शहीद हुए, और उनकी पवित्र स्मृति में भी जिनके नाम दर्ज हैं और जो तीसरे अफ़ग़ान युद्ध में भारत में या उत्तर-पश्चिमी सीमा पर मृतक हुए।

इंडिया गेट के आस पास हरे भरे मैदान, बच्चों का उद्यान और प्रसिद्ध बोट क्लब इसे एक उपयुक्त पिकनिक स्थल बनाते हैं। इंडिया गेट के फव्वारे के पास बहती शाम की ठण्डी हवा ढेर सारे दर्शकों को यहां आकर्षित करती हैं।

शाम के समय इंडिया गेट के चारों ओर लगी रोशनियों से इसे प्रकाशमान किया जाता है जिससे एक भव्य दृश्य बनता है। स्मारक के पास खड़े होकर राष्ट्रपति भवन का नज़ारा लिया जा सकता है। सुंदरतापूर्वक रोशनी से भरे हुए इस स्मारक के पीछे काला होता आकाश इसे एक यादगार पृष्ठभूमि प्रदान करता है। दिन के प्रकाश में भी इंडिया गेट और राष्ट्रपति भवनके बीच एक मनोहारी दृश्य दिखाई देता है।

हर वर्ष 26 जनवरी को इंडिया गेट गणतंत्र दिवस की परेड का गवाह बनता है जहां आधुनिकतम रक्षा प्रौद्योगिकी के उन्नयन का प्रदर्शन किया जाता है। यहां आयोजित की जाने वाली परेड भारत देश की रंगीन और विविध सांस्कृतिक विरासत की झलक भी दिखाती है। जिसमें देश भर से आए हुए कलाकार इस अवसर पर अपनी कला का प्रदर्शन करते है।

इंडिया गेट की कुछ रोचक बाते – India Gate Interesting Facts

  1. दिल्ली शहर के मध्य में स्थित इंडिया गेट 42 मीटर ऊँचा है और भारत के प्रसिद्ध सैनिको का नाम इंडिया गेट की दीवारो पर उकेरा गया है। उस दीवार पर उन सैनिको के नाम लगे हुए है जिन्होंने अफगान और प्रथम विश्व युद्ध के समय अपने प्राणों की आहुति दी थी। दिल्ली का यह स्मारक दिल्ली की मुख्य सड़को से जुड़ा हुआ है।
  2. इंडिया गेट का निर्माण कार्य 1921 में शुरू हुआ था और इस स्मारक को पूरा बनने में पुरे 10 साल लगे थे और 1931 में इंडिया गेट बनकर तैयार हुआ। कहा जाता है की पेरिस के अर्क दी ट्रिओम्फे से प्रेरित होकर इस स्मारक का निर्माण किया गया था। भारत के इंडिया गेट को एडविन लुटएंस ने आर्किटेक्ट किया था।
  3. इंडिया गेट में प्रसिद्ध अमर जवान ज्योति भी है, जो 24×7 जलती रहती है। इस अमर जवान ज्योति को 1971 के इंडो पाक युद्ध में शहीद हुए सैनिको के लिए बनायी गयी थी। 1972 में गणतंत्र दिवस के मौके पर भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसे जलाया था।
  4. अमर जवान ज्योति गेट के तीर्थ स्थल पर मार्बल से बनी हुई है। इसके ऊपर एक रिफिल और सैनिक की टोपी भी बनायी गयी है।
  5. भारत के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री इंडिया गेट को देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थलो में से एक मानते है। भारत में सभी लोग इंडिया गेट के महत्त्व को जानते है।
  6. भारत की जल, वायु और थल तीनो सेनाये अमर जवान ज्योति के महत्त्व को जानते है।
  7. इंडिया गेट को विश्व को सबसे बड़ी वैश्विक युद्ध धरोहर माना जाता है। जिसे रोज़ लाखो भारतीय देखने आते है।
  8. इंडिया गेट का इतिहासिक महत्त्व होने के कारण और आस-पास हरा भरा गार्डन होने के कारण यह स्थल एक प्रसिद्ध पिकनिक स्पॉट भी है।
  9. इंडिया गेट 26 जनवरी को होने वाली गणतंत्र दिवस परेड के लिए काफी प्रसिद्ध है।

इंडिया गेट एक सरकारी धरोहर है और इसका वैश्विक और राष्ट्रिय महत्त्व भी है। सभी और इसे देश की इज़्ज़त और सम्मान से देखते है। इंडिया गेट हमारे लिये निश्चित ही गर्व की बात है।


SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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