पैंगोंग इलाके से सैनिकों को हटाने पर भारत-चीन सहमत, पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू

Khabar Satta
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खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता
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नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग झील इलाके से अपने-अपने सैनिकों को पूरी तरह पीछे हटाने पर सहमति बन गई है। वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बीते नौ महीने से जारी गंभीर सैन्य टकराव को हल करने की दिशा में बनी इस अहम सहमति का एलान संसद के दोनों सदनों में गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया। समझौते के तहत पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों से भारत व चीन के सैनिक अपने साजो-समान और हथियारों के साथ पीछे हटने शुरू भी हो गए हैं। सैन्य तनातनी टालने के लिहाज से महत्वपूर्ण इस समझौते के तहत पैंगोंग झील इलाके में चीन अपनी सैन्य टुकड़ी को फिंगर-आठ के पास पूरब की तरफ रखेगा। वहीं, भारत अपनी सेनाओं को फिंगर-तीन के पास अपने स्थायी बेस धान सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच इस इलाके में सैनिकों की वापसी पर बनी सहमति में इस बात का स्पष्ट ख्याल रखा गया है कि हम अपनी एक इंच जमीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे। संसद में समझौते की घोषणा के बाद इस इलाके से दोनों देशों के सैनिकों के पीछे हटने के फोटो और वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें दोनों तरफ के सैनिक अपने हथियारों व साजोसमान को हटाते हुए दिख रहे हैं। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से जारी लंबे और गंभीर टकराव के दौर में पैंगोंग झील इलाके में बातचीत से गतिरोध का रास्ता निकलने की जानकारी सबसे पहले रक्षा मंत्री ने राज्यसभा को दी। राजनाथ ने कहा कि सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर लगातार संवाद और अपनी एक इंच जमीन किसी को नहीं देने के पीएम के दिशानिर्देश के तहत हम डटे रहे। अब सदन को बताते हुए खुशी हो रही है कि चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर सैनिकों को पीछे हटाने पर समझौता हो गया है। इस बात पर भी पूर्ण सहमति हो गई है कि इलाके से सैनिकों को पूरी तरह हटाने के 48 घंटे के अंदर दोनों देशों के बीच वरिष्ठ कमांडर स्तर की बातचीत हो और बचे हुए मुद्दों का हल निकाला जाए। इसके बाद लोकसभा में अपने बयान को दोहराते हुए राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि पिछले साल एलएसी पर चीन की हरकतों के कारण क्षेत्र में शांति और स्थायित्व पर ही नहीं, भारत-चीन संबंधों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है।

चरणबद्ध तरीके से हटेंगे सैनिक

रक्षा मंत्री ने कहा कि समझौते के अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम मोर्चे पर तैनात अपने सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से व समन्वय के साथ हटाएंगे और इसकी अपने स्तर पर पुष्टि भी करेंगे। चीन अपनी सैन्य टुकडि़यों को झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-आठ के पास पूरब की दिशा में और भारत अपनी सेना को फिंगर-तीन के पास धान सिंह थापा पोस्ट के स्थायी बेस पर रखेगा। इसी तरह का कदम पैंगोंग लेक के दक्षिणी किनारे पर दोनों देशों की ओर से उठाया जाएगा। सभी कदम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे। अप्रैल, 2020 के बाद से जो भी निर्माण दोनों पक्षों की ओर से पैंगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी इलाके में किया गया है, उन्हें हटाकर पुरानी स्थिति बना दी जाएगी।

बातचीत के बाद शुरू होगी गश्त

रक्षा मंत्री ने बताया कि यह भी तय हुआ है कि दोनों देशों की सेनाएं झील के उत्तर में परंपरागत स्थानों की गश्त समेत अन्य सैन्य गतिविधियां भी अस्थायी रूप से स्थगित रखेंगी। गश्त तभी शुरू की जाएगी, जब सेना एवं राजनयिक स्तर पर बातचीत करके सहमति बन जाएगी। रक्षा मंत्री ने कहा कि इस समझौते पर बुधवार से अमल शुरू हो गया है और उम्मीद है कि जल्द झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर पिछले साल पैदा हुए गतिरोध से पहले जैसी स्थिति बहाल हो जाएगी।

हमने कुछ खोया नहीं

रक्षा मंत्री ने सदन को भरोसा दिया कि हमने कुछ खोया नहीं है। एलएसी पर तैनाती तथा गश्त के बारे में कुछ मुद्दों का समाधान होना बाकी है और इन पर बातचीत होगी। दोनों देश इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकाल के तहत जल्द से जल्द सैनिकों को पीछे हटा लिया जाए। अब तक की बातचीत के बाद चीन भी संप्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है और हमारी यही अपेक्षा है कि चीन मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का पूरी गंभीरता से प्रयास करेगा। रक्षा मंत्री ने भीषण बर्फबारी में भी शौर्य के साथ डटे सैनिकों की सदन में प्रशंसा करते हुए कहा कि जिन शहीदों के शौर्य व पराक्रम की नींव पर सैनिकों की वापसी का यह समझौता हुआ है, उन्हें देश सदैव याद रखेगा।

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