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इस दिन है गंगा दशहरा, जानिए महत्व, तिथि और पूजा विधि

By Ranjana Pandey

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डेस्क।हिंदू धर्म में गंगा को मां का दर्जा दिया गया है। गंगाजल बहुत ही पवित्र और पूजनीय माना जाता है। हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य और पूजा अनुष्ठान में गंगाजल का प्रयोग अवश्य किया जाता है।

गंगा भवतारिणी हैं, इसलिए हिंदू धर्म में गंगा दशहरा का विशेष महत्व माना जाता है। पौराणिक धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन मां गंगा का अवतरण पृथ्वी पर हुआ था।

भागीरथ अपने पूर्वजों की आत्मा का उद्धार करने के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाए थे। इसी कारण गंगा को भागीरथी भी कहा जाता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया जाता है। इस बार 20 जून 2021 दिन रविवार को गंगा दशहरा मनाया जाएगा। इस दिन विधिपूर्वक मां गंगा की पूजा की जाती है।

धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस दिन गंगा में स्नान करना और इसके बाद दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। आइये जानते हैं गंगा दशहरा का महत्त्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।


गंगा दशहरा का महत्त्व–

गंगा दशहरा के दिन ही मां गंगा स्वर्ग से उतरकर पृथ्वी पर हुई थी इसलिए इस तिथि को गंगा जयंती के रुप में भी मनाया जाता है। इस पर्व को महापुण्यकारी माना गया है।

गंगा दशहरा के दिन पवित्र नदी में स्नान और दान करने से कई महायज्ञों के फल के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

मान्यता है कि गंगा दशहरा पर गंगा नदी में डुबकी लगाने से पाप कर्मों का नाश होता है और व्यक्ति को इस जन्म के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सत्तू, मटका और हाथ का पंखा दान करना बहुत शुभफलदायी माना जाता है।

गंगा दशहरा का शुभ मुहूर्त

गंगा दशहरा का पावन पर्व 20 जून को मनाया जाएगा।

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी तिथि आरंभ- 19 जून 2021, शनिवार को शाम 06 बजकर 50 मिनट से

ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष दशमी तिथि समाप्त- 20 जून 2021 को, रविवार को शाम 04 बजकर 25 मिनट पर


गंगा दशहरा पूजा विधि-

गंगा दशहरा के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नित्यकर्म करके गंगा में स्नान करना चाहिए।

इस समय कोरोना को देखते हुए घर पर ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं।

स्नान करने के पश्चात सूर्योदय के समय एक लोटे में जल लेकर उसमें थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।

अब मां गंगा का ध्यान करते हुए गंगा के मंत्रों का जाप करें।

पूजन और जाप पूर्ण होने के बाद मां गंगा की आरती करें और गरीब और जरूरत मंद ब्रह्माणों को यथाशक्ति दान दें।

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