Indore News: कच्ची उम्र में बच्चों को पक्की सीख देने वाले संस्थानों की तलाश में रहते हैं पेरेंट्स – ललित सरदाना

By SHUBHAM SHARMA

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Sardana

इंदौर: कच्ची उम्र में सिखाई हुई हर एक बात बच्चों को लम्बे समय तक याद रहती है। शिक्षा के मामले में भी ऐसा ही होता है। प्राथमिक कक्षाओं में बच्चों को जिस तरह का ज्ञान और शिक्षा दी जाती है, वह उनके बेहतर भविष्य के लिए नींव का काम करती है।

इस बात को तवज्जो देते हुए अक्सर पेरेंट्स विश्वसनीय स्कूलों की तलाश में रहते हैं, ताकि जीवन में उन्हें अपने बच्चों के लिए फिर पीछे पलटकर देखना न पड़े। देवास स्थित जाने-माने संस्थान, सरदाना इंटरनेशनल स्कूल के संस्थापक और शिक्षाविद् ललित सरदाना ने पेरेंट्स की इस चिंता को काफी हद तक हल करने की कोशिश की है, और बताया है कि उनका विद्यालय, सरदाना इंटरनेशनल स्कूल आखिरकार किस तरह से छोटे बच्चों में शिक्षा और संस्कार की अटूट नींव रखने का काम करता है।

सिखाई हुई हर एक बात कंठस्थ

जिस तरह किसी ईमारत की नींव कमजोर हो जाने पर बाहरी तौर पर हम उसमें कितना ही रंग-रोगन करने या मजबूती देने का प्रयास कर लें, उस ईमारत को मजबूती नहीं दी जा सकती।

ठीक उसी प्रकार, यदि किसी बच्चे को प्रायमरी लेवल पर बेहतर शिक्षा न मिले, तो बड़ी क्लासेस में कितना ही प्रयास क्यों न कर लिया जाए, बच्चे के सीखने के स्तर को बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है। स्कूलों को चाहिए कि बच्चों के बेहतर भविष्य के सृजन के लिए विशेष तौर पर काम करें और कई बार एक पाठ का रिविज़न कराकर उसे बच्चों को कंठस्थ कराएँ।

ताकि पेरेंट्स भी निश्चिन्त रहें

कई बार पेरेंट्स जाने-अनजाने में ऊपरी तौर पर बेहतर प्रतीत होने वाले स्कूलों में बच्चों को प्रवेश तो दिला देते हैं, लेकिन बड़ी कक्षाओं में आने के बाद भी बच्चों में सुनने, पढ़ने, बोलने, लिखने और समझने की क्षमता बेहतर नहीं हो पाती, और न ही उनमें क्रिएटिविटी का विस्तार हो पाता है।

बहुत-से बच्चे पढ़ाई और होमवर्क से अपना जी चुराते हुए मोबाइल के साथ समय बिताना अधिक पसंद करते हैं। प्रायमरी लेवल पर पढ़ाने की एप्रोच बड़ी क्लासेस से बहुत भिन्न होती है, इस बात पर भी स्कूलों को ध्यान देना बहुत आवश्यक है।

स्कूल ऐसा होना चाहिए, जिसमें भेजने के बाद पेरेंट्स की समस्याएँ हल हो सकें। व्यस्त दिनचर्या के चलते पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ क्वॉलिटी टाइम स्पेंड नहीं कर पाते हैं। एकेडमिक्स में कमजोर होने, पब्लिक स्पीकिंग में शर्माने या डरने, हैंडराइटिंग खराब होने और संस्कार देने जैसी गतिविधियों पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

लॉस कवर करता चले

स्कूलों को बच्चों के होने वाले लॉस को ध्यान में रखते हुए वर्तमान सेशन के साथ ही साथ पुराने सेशंस के टॉपिक्स भी कवर करते चलना चाहिए। इससे नए प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की पिछले वर्ष पढ़ाई ठीक से न होने के कारण हुए नुकसान की भी भरपाई हो जाती है। विद्यार्थियों द्वारा सभी कक्षाएँ अटेंड करना, होमवर्क करना, वर्कशीट्स हल करना, सेशन के सभी टेस्ट्स देना अनिवार्य होना चाहिए, इसमें विद्यालयों का सपोर्ट बहुत जरुरी है। इसके साथ ही पेरेंट्स-

टीचर मीटिंग में दोनों के सपोर्ट से बच्चे की कमियों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाना चाहिए। बच्चे की रुचियों को देखते हुए स्कूल के भीतर और बाहरी तौर पर हॉबी क्लासेस जॉइन कराना चाहिए, ताकि उसकी पढ़ाई और रूचि बेहतर रूप से बैलेंस रहे।

पर्सनालिटी डेवलपमेंट और कम्युनिकेशन पर विशेष ध्यान

बच्चों के बात करने और उठने-बैठने के तरीके पर ध्यान देना सिर्फ पेरेंट्स की जिम्मेदारी नहीं है, टीचर्स को भी बच्चों के बात करने के लहज़े, भाषा और कम्युनिकेशन स्किल पर काम करने की जरुरत होती है, क्योंकि स्कूल ही वह स्थान है, जहाँ बच्चे में सीखने के कौशल की अधिकता देखी जाती है। छोटी उम्र में बच्चों को भाषा संबंधी सीख देना सबसे अधिक उचित होता है और एक अच्छे वातावरण में बच्चा भाषा का कौशल सरलता से सीख सकता है। इसलिए स्कूलों में प्राथमिक कक्षाओं से ही हिंदी और इंग्लिश कम्युनिकेशन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही नियमित रूप से बच्चों को शुद्ध लेखन कराने सहित स्पोकन इंग्लिश, पर्सनालिटी डेवलपमेंट और ग्रुप डिस्कशन की वर्कशॉप लगाई जाना चाहिए। इसके फलस्वरूप बच्चों का पब्लिक के बीच अपनी बात रखने का कॉन्फिडेंस तेजी से निखरता है और स्टेज फियर भी दूर होता है।

स्मार्ट क्लासेस और एक्टिविटीज़ भी चलती रहें

बच्चों की पढ़ाई में दिलचस्पी बनी रहे, इसे ध्यान में रखते हुए स्कूलों में नर्सरी से ही स्मार्ट क्लासेस, वीडियो क्लासेस और प्रैक्टिकल लैब्स की मदद से पढ़ाई कराई जाना चाहिए। इनकी सहायता से बच्चे मन लगाकर पढ़ते हैं और पाठ का कॉन्सेप्ट एक ही बार में उन्हें समझ आ जाता है। खेल-कूद और अन्य गतिविधियों को भी स्कूल में शामिल किया जाना चाहिए, कारण यह कि खेल-कूद के माध्यम से बच्चों का मन-मस्तिष्क काफी तेजी से विकसित होता है और साथ ही वे फुर्तीले भी बनते हैं।

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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