“ रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून ”

By SHUBHAM SHARMA

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सागर: ज्योति शर्मा 

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून

ज्योति शर्मा

 “ पानी रे पानी तेरा रंग कैसा, दुनिया बनाने वाले रब जैसावर्ष 1972 में बनी शोर फिल्म के गीत की यह पंक्तियां  हमारे जीवन में जल  का क्या महत्व है  हमें भली-भांति समझा देती है। जल के महत्व को समझाने के लिए हीविश्व जल दिवसप्रत्येक वर्ष 22 मार्च को संपूर्ण विश्व में मनाया जाता है इस दिवस का मुख्य उद्देश्य ही जल  का संरक्षण करना और जल के महत्व व जल की उपलब्धता सभी तक सुनिश्चित करना है। 

‘विश्व जल दिवस’ की अंतरराष्ट्रीय स्तर पहल ‘रियो डि जेनेरियो’ में  वर्ष 1992 में आयोजित ‘पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन’ में की गई थी,  वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी सामान्य सभा के द्वारा निर्णय लेकर इस दिन  को वार्षिक कार्यक्रम के रूप में मनाने का निर्णय लिया था । जिस पर सर्वप्रथम वर्ष 1993 को पहली बार  ‘विश्व जल दिवस’ मनाया गया था।  इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के बीच जल संरक्षण का महत्व, साफ पीने योग्य जल का महत्व आदि को बताना था। 

प्रकृति की देन जल, जिसे हम पानी, नीर ,अमृत, उदक ना जाने कितने नामों से पुकारते हैं।  प्रकृति में मौजूद सभी पेड़- पौधे, पशु- पक्षी एवं हम मनुष्य के जीवन यापन  में जल का विशेष महत्व है । जल के महत्व को  महाकवि  रहीमदास ने  अपने दोहे –

“ रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
 पानी गए न ऊबरे मोती, मानस चून।।”

अर्थात पानी के बिना  कुछ भी नहीं है अर्थात जिस ग्रह पर पानी मिलेगा वही जीवन की आशा की जा सकती है । पानी के बिना जीवन जीना संभव ही नहीं है। पानी के बिना भूमि बंजर हो जाती है सूखा पड़ जाता है। मनुष्य भोजन के बिना जीवित रह सकता है परंतु  जल बिन जीवन  संभव ही नहीं है। इससे हम जल के महत्व को समझ सकते हैं और यही  समझाने के लिएविश्व जल दिवसमनाया जाता है ।

वर्तमान समय में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां जल स्तर बहुत नीचे पहुंच गया है। देश के कई शहरों में जल संकट ने विकराल रूप धारण कर लिया है। भविष्य में इसके और भयसूचक संकेत दिख रहे हैं।   वर्ष 2019  की नीति आयोग की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2030 तक पानी खत्म होने की कगार पर आ जाएगा। इस किल्लत का सामना सबसे ज्यादा दिल्ली, बंगलूरू, चेन्नई और हैदराबाद के लोगों को करना पड़ेगा। रिपोर्ट में  चेताया  गया था कि वर्ष 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो जाएगी और वही हमें देखने को मिला भी।  रिपोर्ट में बताया गया कि यदि ऐसे ही रहा तो कुछ समय बाद ही करीब 10 करोड़ लोग पानी के कारण परेशानी उठाएंगे।

2030 तक देश के लगभग 40 फीसदी लोगों तक पीने के पानी की पहुंच खत्म हो जाएगी। वहीं चेन्नई में जल संकटविकराल रूप धारण किए हैं । चेन्नई में आगामी दिनों में तीन नदियां, चार जल निकाय, पांच झील और छह जंगल पूरी तरह से सूख जाएंगे। जबकि कई अन्य जगहों पर भी इन्हीं परिस्थितियों से गुजरना पड़ेगा। ऐसा नहीं है कि यह रिपोर्ट पहली बार आई है। तीन साल पहले भी नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि देश में जल संरक्षण को लेकर अधिकांश राज्यों का काम संतुष्टिजनक नहीं है।

वही ‘इकोलॉजिकल थ्रेट रजिस्टर 2020’ के अनुसार भारत में करीब 60 करोड़ लोग आज पानी की जबरदस्त किल्लत का सामना कर रहे हैं। भविष्य में यह आंकड़ा बढ़कर 140 करोड़ पर पहुंच  जाएगा, जोकि आबादी के लिहाज से दुनिया में सबसे ज्यादा है। वहीं यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो दुनिया के करीब 260 करोड़ लोग गंभीर जल संकट का सामना करने को विवश हैं।

जबकि अगले 20 वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर 540 करोड़ पर पहुंच जाएगा। जिसका सबसे ज्यादा असर एशिया क्षेत्र पर पड़ेगा। पानी की समस्या का असर कृषि और खाद्य सुरक्षा पर भी पड़ रहा है जिसके कारण कुपोषण की समस्या भी बढ़ती जा रही है ।

रिपोर्ट में इस समस्या के लिए बढ़ती आबादी को भी जिम्मेदार बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत और चीन दुनिया की सबसे आबादी वाले देश होंगे। जहां चीन के बारे में अनुमान है कि उसकी जनसंख्या वृद्धि की दर में कमी आ जाएगी, इसमें हर साल 0.07 की दर से कमी आ रही है।

वहीं दूसरी ओर भारत  में यह हर साल 0.6 फीसदी की दर से बढ़ रही है जिसका परिणामस्वरूप अनुमान है कि 2026 तक भारत की आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी। बढ़ती आबादी का असर संसाधनों पर भी पड़ेगा जिससे पानी जैसे अमूल्य संसाधन की भारी किल्लत पैदा हो जाएगी।    

इस रिपोर्ट में उन 19 देशों की पहचान की है जो सबसे ज्यादा पर्यावरण से जुड़े संकटों का सामना कर रहे हैं। जिसमें भारत भी शामिल है। रिपोर्ट के अनुसार 135 करोड़ की आबादी वाला भारत, पर्यावरण से जुड़े चार अलग-अलग तरह के संकटों का सामना कर रहा है।

जिसमें सूखा, चक्रवात और जल संकट शामिल हैं। यदि आंकड़ों को देखें तो आज भी देश की करीब 40 फीसदी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जो बारिश की कमी और सूखे की समस्या से प्रभावित हैं। और यदि पानी का सबसे ज्यादा खपत करने वाले देशों की बात करें तो उसमें भी भारत शामिल है। जो हर साल 40,000 करोड़ क्यूबिक मीटर से भी ज्यादा पानी का उपभोग कर रहा है। 

भारत पहले से ही जल की उपलब्धता को लेकर तनाव की स्थिति में है। वही ‘वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट’ द्वारा जारी किए गए एक्वाडक्ट वाटर रिस्क एटलस के अनुसार, भारत को दुनिया के 17 “अत्यंत जल-तनावग्रस्त” देशों में 13 वें स्थान पर रखा गया है। जो देश में बढ़ते जल संकट को दर्शाता है।

कुछ समय पहले जिस तरह चेन्नई में डे जीरो की स्थिति बनी थी, वो देश में इस समस्या को उजागर करती है। केवल चेन्नई ही नहीं दिल्ली सहित देश के कई अन्य शहरों में भी पानी की समस्या गंभीर रूप लेती जा रही है।  जल को संरक्षित रखने  और प्रत्येक  घर  तक पहुंचाने  के लिए सरकार द्वारा भी अथक प्रयास किए जा रहे हैं परंतु हालात बहुत  अच्छे नहीं है भूजल स्तर लगातार गिरने से स्थिति भयावह होती जा रही है।

इसका अंदाजा हम इसी बात से लगा सकते हैं । जहां पहले 50-60 फीट पर ही शुद्ध जल मिल जाता था, लेकिन अब 300 से 400 फीट पर शुद्ध पानी मिल रहा है। और कई  क्षेत्र तो ऐसे हैं जहां हजार फुट पर भी जल का मिल पाना संभव नहीं हो पा रहा है। इस तरह जल स्तर लगातार गिरता ही जा रहा है । जल स्तर के गिरने के साथ जल प्रदूषण भी एक बहुत बड़ा चिंतनीय विषय हो गया है।

प्रदूषित होता अमृतुल्य जल

 

जल संकट के साथ जल प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। कई मीलो की दूरी तय करने के बाद भी शुद्ध जल ना मिल पाने के कारण लोग दूषित  जल पीने के लिए मजबूर है। जिससे यह लोग गंभीर बीमारियों से बड़ी संख्या में  ग्रस्त है साथ ही जल प्रदूषण दर्दनाक मौतों का कारण भी बन रहा है ।

जल प्रदूषण से हैजा, डायरिया,टायफाइड,उल्टी -दस्त, पाचन तंत्र में समस्या, प्रजनन तंत्र संबंधी  बीमारियां व जल एक जगह एकत्रित हो जाने से मच्छरों के प्रजनन में बढ़ोतरी होने से मलेरिया जैसी बीमारियां हमारे भारत देश में मौतों का बड़ा आंकड़ा दर्शाती है ।

भारत में हर साल लगभग 3.77 करोड़ भारतीय  प्रदूषित जल से होने वाली बीमारियों से प्रभावित होते हैं, 2015 में भारत में डायरिया के कारण 3. 29 लाख से अधिक बच्चों की मृत्यु हो गई अर्थात देश  के 21 प्रतिशत से अधिक रोग पानी से संबंधित होते हैं।

वर्ष 2019  की नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार करीब दो लाख लोग स्वच्छ पानी न मिलने के चलते हर साल जान गंवा देते हैं।कुछ स्वतंत्र संस्थाओं द्वारा जुटाए डाटा का उदाहरण देते हुए रिपोर्ट में दर्शाया गया था कि करीब 70 प्रतिशत प्रदूषित पानी के साथ भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें पायदान पर है।

संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए चेतावनी दी कि अगर अभी भी सभी देशों ने एकजुट होकर पर्यावरण को बचाने के लिए सख्त कदम नहीं उठाए तो एशिया, पश्चिमी एशिया और अफ्रीका के शहरों व क्षेत्रों में 2050 तक लाखों लोगों की अकाल मृत्यु हो सकती है।

रिपोर्ट अनुसार 2050 तक जल प्रदूषण ही मौतों का अकेला कारण बन जाएगा। फ्रेश वॉटर सिस्टम प्रदूषकों की वजह से कीटाणु प्रतिरोधक हो जाएंगे। इसकी वजह से न सिर्फ लोगों की अकाल मृत्यु होगी बल्कि पुरुषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी बुरा असर डालेगा।

इस तरह जल को अमृत तुल्य माना जाता है जल संकट से  जिस तरह हम जूझ रहे हैं इसको देखते हुए सरकार को सिर्फ चुनाव अभियान तक ही जल संरक्षण योजनाओं को ना रखा जाए बल्कि  जल संकट को मुख्य मुद्दा समझ इसका निवारण करना अति आवश्यक होना चाहिए।

इसके साथ जल प्रदूषण पर भी रोकथाम लगानी चाहिए। साथ ही  हम सबका भी यह काम है की जल प्रदूषण को कम किया जाए । इसके लिए हमें भी जल प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूकता लाना आवश्यक है । साथ ही बरसात में जल को संरक्षित रखने के कार्य करना बहुत आवश्यक है अन्यथा दिनोंदिन जलस्तर नीचे ही गिरता जा रहा है। इस बात को हमें ध्यान रखना चाहिए ।

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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