नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के मरीजों के इलाज में ऑक्सीजन की कमी और कालाबाजारी की खबरों के बीच केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि देश में इसकी कोई कमी नहीं है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण के अनुसार मंगलवार को पूरे देश में हुए ऑक्सीजन की कुल खपत की तुलना में 1900 मीट्रिक टन अधिक की उत्पादन क्षमता है। भूषण ने कहा कि कमी ऑक्सीजन की नहीं, बल्कि राज्यों में इसके वितरण के प्रबंधन की है।
राजेश भूषण ने देश में ऑक्सीजन की उत्पादन क्षमता और खपत का विवरण देते हुए बताया कि प्रतिदिन 6900 मीट्रिक टन की कुल उत्पादन क्षमता की तुलना में मंगलवार को 5000 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत हुई। इनमें 2800 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मरीजों के इलाज में लगी, जिनमें कोरोना के साथ-साथ दूसरे मरीज भी शामिल हैं। वहीं 2200 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत औद्योगिक इकाइयों में हुई। इस तरह 1900 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता का उपयोग नहीं हो सका।
इनवेंटरी प्रबंधन की है समस्या
राजेश भूषण के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। समस्या अस्पताल के स्तर पर इनवेंटरी प्रबंधन की है। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि प्रत्येक राज्य यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक अस्तपाल के स्तर पर ऑक्सीजन की इनवेंटरी का प्रबंधन हो। ताकि समय रहते ऑक्सीजन की जरूरत को लेकर अलर्ट किया जा सके। इसके लिए प्रत्येक राज्य को बेहतर इनवेंटरी प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने ऑक्सीजन की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए राज्यों को हरसंभव मदद का भरोसा देते हुए कहा कि इसके लिए केंद्रीय स्तर भी एक कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है, जिसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव, उद्योग मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव, ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया के एक अधिकारी को रखा गया है। राज्य सरकारों के साथ-साथ यदि आम जनता भी इस कंट्रोल रूम को ऑक्सीजन की कमी या कालाबाजारी से संबंधित कोई जानकारी देना चाहे तो दे सकती है। इसके साथ ही राज्यों के स्वास्थ्य सचिवों के साथ बैठक में इसी तरह का कंट्रोल रूम राज्य स्तर पर बनाने की सलाह दी गई है, जो हर दिन हर अस्पताल में ऑक्सीजन की उपलब्धता की मॉनिटरिंग करे और समय रहते वहां से ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाले सिस्टम को अलर्ट करे।