MODI के प्लान अपनाएगा WHO, 3L को ध्यान में रखने की आवश्यकता पर जोर

By SHUBHAM SHARMA

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भारत में पैर पसारते कोरोना वायरस को देखकर भारत सरकार लगातार ही इस महामारी से निपटने के लिए अनेको जरूरी कदम उठाते आई है । भारत में कोरोना वायरस से अब तक 273 लोगों की मौत हो चुकी है और कोरोना संक्रमण के 8447 मामले सामने आ चुके है . भारत देश में कोरोना के बढ़ते मामले को देखते हुए 21 दिनों का लॉकडाउन किया गया और यह फिलहाल 14 अप्रैल तक रहेगा, लेकिन इस बीच देश में कोरोना की बढ़ती स्थिति को देखते हुए 30 अप्रैल तक लॉकडाउन का बढ़ाया जा सकता है। कई राज्यों ने तो इसे 30 अप्रैल तक बढ़ाने की घोषणा भी कर दी है। हालाँकि यह राष्ट्रीय स्तर पर होगा या नहीं, इस पर फिलहाल आधिकारिक घोषणा बाकी है। जो की हो सकता है प्रधान मंत्री मोदी 14 अप्रैल की सुबह 10 बजे घोषणा कर दे

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इस बीच लॉकडाउन को बढ़ाने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का साथ मिला है. WHO का कहना है कि भारत एक बार फिर से लॉकडाउन करने जा रहा है, ऐसे न अगले चरण में न सिर्फ बीमारी को फैलने से रोकने की तरफ ध्यान देना होगा, बल्कि लोगों की आजीविका भी सुनिश्चित करनी होगी, ताकि लोग इससे कम से कम प्रभावित हो सकें।

इंडिया टुडे और आज तक के न्यूज डायरेक्टर राहुल कंवल की WHO के विशेष दूत डॉक्टर डेविड नाबरो से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया : WHO के विशेष दूत डॉक्टर डेविड नाबरो ने इस पर अपनी राय देते हुए कहा, “भारत के लोगों ने जिस तरह से इस पर अमल किया, हम उसका समर्थन करते हैं। हमारे पास इसका विस्तृत आँकड़ा नहीं है, लेकिन हमें लगता है कि आप लॉकडाउन के माध्यम से कोरोना के बहुत बड़े प्रकोप को रोकने में सक्षम हैं। इसके साथ ही हम सभी संबंधित नागरिक समाज, लोगों के संगठनों, स्थानीय और राष्ट्रीय सरकारों द्वारा संकट से प्रभावित लोगों की आजीविका को बचाने के के लिए किए गए प्रयास, विशेष रूप से खाद्य संकट को रोकने के लिए जारी प्रयासों से बहुत खुश हैं।”

जब नाबरो से पूछा गया कि भारत को लॉकडाउन के अगले चरण में किस तरह बढ़ना चाहिए तो उन्होंने कहा कि लॉकडाउन 2.0 को अधिक ध्यान केंद्रित करने और डेटा-संचालित करने की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा, “इस दौरान हमें 3L को ध्यान में रखने की आवश्यकता है। वो है- Life (जीवन), livelihood (आजीविका) और living (रहन-सहन)। यानी कि हम किस तरह से अपना जीवन जी रहे हैं, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हम जब तक इस वायरस से निपटने में सक्षम नहीं हो जाते, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। हमें इसके साथ सहज होना पड़ेगा। यह हमारे जीने के तरीके को बदल रहा है। हर कोई अपने व्यावहारिक जीवन में सोशल डिस्टेंसिग का पालन नहीं कर सकता, हर कोई इस नई सच्चाई के अनुकूल नहीं हो सकता। इसलिए हमें जीवन के पैटर्न में सरलता के साथ बदलाव लाना होगा।”

आगे नाबरो ने कहा कि लॉकडाउन 2.0 में उन स्थानों की पहचान की जाती है, जहाँ पर अधिक जोखिम होता है। जैसे कि इसने सबसे ज्यादा देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया। इसने देश के कई अन्य हिस्सों को भी प्रभावित किया है। इससे धीरे-धीरे राहत मिलेगी। इस लॉकडाउन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इस पर अधिक ध्यान देने और ज्यादा से ज्यादा आँकड़ा एकत्रित करने की जरूरत है। 

उल्लेखनीय है कि डेबिड नाबरो ने पहले भी लॉकडाउन लागू करने को लेकर भारत की तारीफ की थी। जब मोदी सरकार ने पिछले महीने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में 21 दिनों का लॉकडाउन लागू किया, तो सरकार के इस फैसले की विपक्षी दलों ने आलोचना भी की। कहा गया कि सरकार ने बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन का ऐलान कर दिया। हालाँकि WHO के विशेष दूत डॉक्टर डेविड नाबरो ने कहा कि भारत में लॉकाडउन को जल्दी लागू करना एक दूर की सोच थी, साथ ही ये सरकार का साहसिक फैसला था। इस फैसले से भारत की जनता को कोरोना वायरस के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ने का मौका मिलेगा।

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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