सिवनी, बरघाट, धारनाकला: धारनाकला बस स्टैंड में आयोजित दुर्गा उत्सव में गौ माता की विशेष पूजन के अवसर पर प्रस्तुत झांकी ने जनमानस के हृदय को छू लिया। सैकड़ों महिलाओं और पुरुषों की आँखों में आंसू थे, और पूरे प्रांगण में “गौ माता की जय” के नारों से गूंज उठी। नवरात्रि पर्व के इस विशेष अवसर पर विभिन्न झांकियों और कार्यक्रमों के बीच, गौ माता की पूजा का यह दृश्य विशेष रूप से दिल को छू लेने वाला था।
धारनाकला बस स्टैंड पर विशेष झांकी: गौ माता की महिमा
भारत में हिन्दू धर्म में गौ माता को एक विशेष स्थान दिया गया है। गाय को “गौ माता” इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह हमें अपना दूध देकर पोषण करती है और हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा मानी जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि गौ माता के शरीर में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है, और उसकी सेवा और पूजा से उन सभी देवताओं की कृपा प्राप्त होती है।
धारनाकला में दुर्गा उत्सव के दौरान प्रस्तुत की गई झांकी का मुख्य संदेश यही था – गौ माता का संरक्षण और सम्मान। प्रत्येक वर्ष यहाँ इस विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है, और यह परंपरा जनमानस को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण साधन बन गई है।
गोकशी पर विराम का संदेश
इस वर्ष की झांकी में समिति ने गौ माता पर हो रहे अत्याचारों पर फोकस किया। झांकी ने दर्शाया कि जिस गौ माता को हम पूजनीय मानते हैं, वही गाय आज लोभ और लालच के कारण कसाईखानों में बेची जा रही है। यह झांकी एक स्पष्ट संदेश दे रही थी कि गौ हत्या न केवल हमारी धार्मिक आस्थाओं पर हमला है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर पर भी प्रहार है।
समिति के इस प्रयास ने लोगों का ध्यान इस ज्वलंत समस्या की ओर आकर्षित किया। यह झांकी दर्शकों के लिए एक आत्मनिरीक्षण का विषय बन गई, जिससे लोग भावुक हो गए और उनकी आँखों से आंसू झलक पड़े। यह दृश्य केवल एक कहानी नहीं, बल्कि गौमाता की वास्तविक स्थिति की एक झलक थी।
गौ माता के संरक्षण के लिए ठोस कदम जरूरी
दुर्गा उत्सव समिति के वरिष्ठ सदस्य कमल किशोर बघेल ने इस मौके पर कहा कि गौ माता की सुरक्षा एक राष्ट्रीय चेतावनी का संकेत है। आज के समय में गौ हत्या हमारी नैतिकता और एकता को तोड़ने का कार्य कर रही है। हमारे संविधान में भी राज्यों को यह निर्देश दिया गया है कि गौ हत्या पर रोक लगाई जाए, लेकिन इसके बावजूद इस पर सख्ती से अमल नहीं किया जा रहा है।
कमल बघेल ने इस मुद्दे पर जोर देते हुए कहा कि गौ माता का महत्व हमारे लिए सर्वोपरि है। उनके अनुसार, गौ माता की पूजा का महत्व किसी भी देवी-देवता या तीर्थ से कम नहीं है। समिति ने झांकी के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया कि जब तक गौ माता का संरक्षण नहीं किया जाता, तब तक हमारी संस्कृति और आस्थाएं सुरक्षित नहीं रह सकतीं।
गौमाता की पूजा का महत्व और हमारी जिम्मेदारी
गौ माता की पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का भी अभिन्न हिस्सा है। आज के आधुनिक युग में, जब समाज पशुधन और पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से दूर होता जा रहा है, ऐसे में गौ माता का संरक्षण और उनकी सेवा अत्यधिक आवश्यक हो गया है।
धारनाकला की झांकी ने इस मुद्दे को व्यापक रूप से उठाया। झांकी के माध्यम से यह दिखाने का प्रयास किया गया कि किस प्रकार लोभ, लालच और व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण गौ हत्या जैसे अमानवीय कृत्य हो रहे हैं। समिति ने इस अवसर का उपयोग जनमानस को जागरूक करने के लिए किया, ताकि लोग गौ माता के महत्व को समझें और उनके संरक्षण के लिए आगे आएं।
समाज और सरकार की भूमिका
गौमाता की सुरक्षा और संरक्षण के लिए सिर्फ धार्मिक संगठनों या व्यक्तिगत प्रयासों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। सरकार और समाज को भी इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है। संविधान में उल्लेखित निर्देशों के अनुसार, राज्य सरकारों को गौ वध पर रोक लगाने के लिए कठोर कानून लागू करने चाहिए।
साथ ही, सामाजिक जागरूकता और शिक्षा के माध्यम से लोगों को यह समझाने की जरूरत है कि गौ माता का संरक्षण केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है।
गौमाता के बिना कुछ भी नहीं
समिति के सदस्य कमल बघेल ने अपने भाषण में कहा कि यदि हम गौ माता का सम्मान और सुरक्षा नहीं करेंगे, तो हमारी आस्थाएं और सांस्कृतिक धरोहर भी खतरे में पड़ जाएंगी। गौ माता की पूजा और सेवा केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं हैं, बल्कि यह हमारे अस्तित्व का आधार हैं।
गौ माता का संरक्षण हमारी संस्कृति, परंपराओं और भविष्य की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है। इसके बिना हमारा समाज और राष्ट्र एकता और प्रगति के मार्ग पर आगे नहीं बढ़ सकता।