बरघाट, सिवनी (एस. शुक्ला)। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर 1 से 7 दिसंबर तक चल रहे जागरूकता पखवाड़े के तहत बालाजी B.Ed कॉलेज, बरघाट में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें छात्र–छात्राओं ने एचआईवी/एड्स के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने का संदेश दिया।
कार्यक्रम में नुक्कड़ नाटक, रंगोली, भाषण और पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन हुआ, जिसमें युवाओं ने अपने रचनात्मक अंदाज़ में एचआईवी से संबंधित मिथकों और सच्चाइयों को बेहद प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत किया। कॉलेज का पूरा परिसर जागरूकता के नारों और सामाजिक संदेशों से गूंज उठा।
आईसीटीसी टीम ने दिया महत्वपूर्ण मार्गदर्शन
कार्यक्रम में सिविल हॉस्पिटल बरघाट के आईसीटीसी केंद्र से परामर्शदाता श्रीमती रिचा सरवन और लैब टेक्नीशियन पुष्पा कटरे ने विशेष रूप से उपस्थित होकर छात्रों को एचआईवी संक्रमण, बचाव के उपाय, जाँच की प्रक्रिया और सामाजिक भ्रांतियों के बारे में जागरूक किया।
उन्होंने बताया कि—
- समय पर जाँच और उपचार से एचआईवी संक्रमित व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है।
- जागरूकता ही एड्स से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है।
- समाज को इस विषय पर खुलकर बात करनी चाहिए ताकि भेदभाव को खत्म किया जा सके।
कॉलेज प्रबंधन व शिक्षकों ने बढ़ाया हौसला
कॉलेज के शिक्षक–गणों ने छात्रों की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम न सिर्फ ज्ञान बढ़ाते हैं, बल्कि युवाओं को सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए भी प्रेरित करते हैं। कार्यक्रम का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना भी था।
नुक्कड़ नाटक बना कार्यक्रम का आकर्षण
छात्रों द्वारा प्रस्तुत नुक्कड़ नाटक में दिखाया गया कि किस प्रकार गलत धारणाएँ और जागरूकता की कमी के कारण एचआईवी मरीजों को मानसिक व सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है। नाटक का संदेश स्पष्ट था—
“एचआईवी से डरें नहीं, समझें और जागरूक बनें।”
रंगोली और पोस्टर ने दिया शक्ति का संदेश
रंगोली व पोस्टर प्रतियोगिता में छात्रों ने ‘लाल रिबन’ के प्रतीक से प्रेरित कई कलाकृतियाँ बनाईं, जो एचआईवी जागरूकता का मजबूत संदेश दे रही थीं। जजों ने छात्रों की रचनात्मकता की प्रशंसा की।
कार्यक्रम का मुख्य संदेश
इस जागरूकता पखवाड़े ने छात्रों व स्थानीय समुदाय को यह महत्वपूर्ण संदेश दिया कि—
- एचआईवी का नियमित परीक्षण जरूरी है।
- संक्रमण से बचाव संभव है।
- एड्स के प्रति भेदभाव खत्म करना समय की मांग है।
- समाज तभी सुरक्षित है जब युवा जागरूक हों।
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