धारनाकला (एस. शुक्ला): किसानों से जुड़ी सहकारी समितियों को लाखों रुपये की चपत लगाने वाले जवाबदारों पर संबंधित विभाग की मेहरबानी समझ से परे है, और इस संबंध में विभाग से अनेक बार वसूली तथा कार्रवाई के लिए पत्र तो जारी होते हैं, किन्तु जारी पत्र और नोटिस पर आज तक कोई अमल सामने नहीं आया है, और यही कारण है कि सहकारी समितियां लगातार घाटे में जा रही हैं और समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को महीनों से वेतन देने के तक लाले पड़े हुए हैं।
फिर भी सहकारी समितियों को लाखों और करोड़ों की हानि पहुंचाने वाले मालामाल तो हो रहे हैं, वही दूसरी तरफ सहकारी समितियां लगातार नुकसान और हानि का सामना कर रही हैं।
समिति को प्राप्त होने वाले लाखो के कमीशन से समिति वंचित
उल्लेखनीय है कि खरीफ उपार्जन समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य सहकारी समितियों के द्वारा करते हुए हजारों किवटल धान का शॉर्टेज दिया गया है, और यह शॉर्टेज कैसे आया, यह सबकुछ आला अधिकारियों को सज्ञान में होते हुए भी वसूली की कार्रवाई नोटिस तक ही सिमटकर रह गई है और उसी का परिणाम है कि सहकारी समितियों को कमीशन के तौर पर मिलने वाली लाखों रुपये की राशि धान के शॉर्टेज में एम पी स्टेट सिविल सप्लायर के द्वारा काट ली गई, साथ ही लाखों रुपये की राशि वसूली के रूप में समिति पर बकाया है।
प्रशासको के स्थान परिवर्तन से रूकी कार्रवाई
उल्लेखनीय है कि जिले की सभी सहकारी समितियों में संचालक बोर्ड के न होने से समिति के संचालन का दायित्व समिति प्रबंधक के साथ साथ प्रशासक के हाथों में था, किन्तु उप आयुक्त निगम के स्थानांतरण के बाद से जिले की सहकारी समितियों जिन पर ठोस कार्रवाई होनी थी, वह तो रूकी ही।
साथ ही उप आयुक्त के के शिव के पदभार ग्रहण करने के बाद जिले के समस्त प्रशासकों के भी स्थान परिवर्तन हो जाने से समितियों की लंबित जांच भी प्रभावित होती हुई नजर आ रही है। चूंकि समितियों के समिति प्रबंधकों द्वारा बरती गई अनियमितताओं पर बहुत हद तक प्रशासक के द्वारा कार्रवाई की जा रही थी, किन्तु एकाएक स्थान परिवर्तन हो जाने से और समितियों में प्रशासक बदले जाने से कार्रवाई फिर ठंडे बस्ते में चली गई है।
सिवनी कलेक्टर के आदेश पर भी नही हुआ अमल
उल्लेखनीय है कि सहकारी समितियों में व्याप्त अनियमितताओं पर तो ठोस कार्रवाई होती नहीं है, चाहे वह फर्जी नियुक्तियों से संबंधित हो अथवा समिति को भारी हानि और नुकसान से संबंधित हो। किन्तु जिला कलेक्टर के आदेश पर भी कोई कार्रवाई न हो तो अन्दाजा लगाया जा सकता है कि सहकारिता विभाग में किस तरह नियमों को ताक पर रखकर संचालन किया जा रहा है।
जिला कलेक्टर के आदेश पर उपायुक्त कार्यालय द्वारा अब तक कार्रवाई न किया जाना समझ से परे है, जबकि जिला कलेक्टर के आदेशानुसार समिति के जवाबदारों से जिन पर लाखों रुपये मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कार्पोरेशन का बकाया है वसूली करते हुए उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित था। किन्तु जिला कलेक्टर के आदेश पर भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो ऐसे में अन्दाजा लगाया जा सकता है कि सामान्य लोगों की शिकायत पर संबधित विभाग द्वारा क्या कार्रवाई होगी।
वही यह बताना भी लाजिमी है कि वर्तमान में अनेक समितियों पर वसूली तथा अनियमितताओं से संबंधित शिकायत की जांच महीनों से संबंधित विभाग में लम्बित है। जिस पर न ही जांच हो रही है और न ही कार्रवाई, जिससे किसानों से जुड़ी सहकारी समितियों में व्याप्त अनियमितताएं चरम सीमा पर हैं और विभागीय निष्क्रियता के चलते समितियां भी गर्त में जा रही हैं। इससे इंकार नहीं किया जा सकता।