सिवनी: गांधी जी के तीन बंदर के बाद पढ़िए बरघाट विधायक के तीन बंदरों की कहानी

By SHUBHAM SHARMA

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Arjun Kakodiya ke teen bandar

सिवनी, बरघाट, धारनाकला (एस.शुक्ला): राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के बारे मे तो आपने सुना ही होगा जब भी बापू का जिक्र होगा उनसे जुडे तीन बन्दरो की बात जरूर होगी लेकिन क्या क्या आप जानते है की इन तीन बन्दरो का नाम बापू के साथ कैसे जुडा नहीं तो चलिए पहले यह जानते है माना जाता है की ये बन्दर चीन से बापू तक पहुचे थे.

दरअस्ल देश विदेश से लोग अक्सर सलाह लेने के लिये महात्मा गांधी के पास आया करते थे जिसमे मिजारू बन्दर की पहली श्रेणी आती है इसने दोनो हाथो से आखे बंद कर रखी है यानी जो बुरा नही देखता, दूसरी श्रेणी किकाजारू बन्दर अथवा इसके दोनो हाथो से कान कान बन्द कर रखे है यानी जो बुरा नही सुनता इसके बाद तीसरी श्रेणी मे इवाजारू बन्दर है इसने दोनो हाथो से मुह बन्द कर रखा है यानि जो बुरा नही कहता.

चीन से आए थे ये तीनो बंदर

चीन से आए थे ये गांधी जी के तीन बंदर

कहा जाता है की एक दिन चीन का एक प्रतिनिधि मंडल उनसे मिलने आया बातचीत के दौरान उन लोगो ने गांधी जी को एक भेट देते हुऐ कहा कि “यह एक बच्चो के खिलोने से बडे तो नही है लेकिन हमारे देश मे बहुत मशहूर है” गांधी जी ने तीन बंदरों के सैट को देखकर बहुत प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसे अपने पास रख लिया और यही नही जिन्दगी भर संभाल कर रखा.

इस तरह से ये तीन बन्दर उनके नाम के साथ हमेशा के लिये जुड गये माना जाता है की ये तीन बन्दर बुरा न देखो, बुरा न सुनो और बुरा न बोलो के सिद्धांत को दर्शाते है यही नही इन तीन बंदरों के नाते को जापानी संस्कृति से भी जोडा जाता है 1617 मे जापान के निक्को स्थित तोगोशू की समाधि पर यही तीनो बन्दर बने हुऐ है.

सिवनी जिले के बरघाट विधायक के तीन बंदरों की कहानी

माना जाता है की ये बन्दर चीनी दार्शनिक कन्फ्यूशियस के थे और आठवे शताब्दी मे चीन से जापान पहुचे उस वक्त जापान में सीट सम्प्रदाय मे बंदरों को काफी सम्मान दिया जाता था जापान मे इन्हे बुद्धिमान बन्दर माना जाता था और तीन बनदरो के प्यार से नाम भी है और यही तीन बंदरों की कहानी वर्तमान मे सिवनी जिले के बरघाट विधानसभा मे दोहराई जा रही है जो की वर्तमान विधायक अर्जुन सिंह ककोडिया पर सिद्ध हो रही है की क्या बरघाट विधायक के ये तीन बंदर वास्तविक मे आने वाले समय मे अर्जुन की नैया पार लगाने मे अहम भूमिका अदा करेंगे या अर्जुन की नैया को गर्त मे डूबो देगे.

वैसे विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बिगुल बजने की तैयारी हो रही है किन्तु बरघाट विधायक के ये तीन बंदरों की कहानी बरघाट विधानसभा मे जमकर गूंज रही है चूकी बरघाट विधानसभा मे ये विधायक के करीबी होने के साथ ही विशेष सलाहकार भी माने जाते है साथ ही इन्होने अपने विधायक के कार्यकाल मे अपनी रोटी सेकने अथवा अपना स्वार्थ सिद्ध करने में कोई कसर भी बाकी नही छोडी है

किन्तु इन तीन महान बंदरों की कहानी क्या आने वाले विधानसभा चुनाव मे कांग्रेस को वापसी की दहलीज पर लाकर खडा कर देगी चूकि बरघाट विधानसभा मे इन तीन बंदरों की तुलना गांधी जी तीन बंदरों से ठीक विपरीत हो रही है और यह भी कयास अभी से लगने प्रारम्भ हो गये है की बरघाट विधानसभा के ये तीन बंदर बुरा मत देखो बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो की कहानी मे जरूर उल्टा मोड़ लायेंगे.

यह बात कोई और नही बल्कि वर्तमान मे कांग्रेस से जुडे लोग ही कह रहे है जो एक समय तन मन धन से कांग्रेस के साथ हुआ करते थे किन्तु इन चार वर्ष के कार्यकाल मे और तीन बंदरों की कारगुजारीयो ने शायद बहुत से कांग्रेस से जुडे लोगो को आहत किया है और शायद इसका परिणाम आने वाले समय मे कांग्रेस की नैया न डुबो दे यह कहना भी गलत नही होगा.

25 वर्ष के बनवास को तोडने मे मिली थी सफलता

वैसे यहाँ यह भी उल्लेखनीय है की बरघाट हमेशा से भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है और यही कारण है की बरघाट विधानसभा सीट हमेशा 25 वर्ष से भाजपा की झोली मे जाती रही है जिसमे लगातार 15 वर्ष डॉ. ढालसिंह बिसेन तथा 10 वर्षो तक भाजपा विधायक कमल मर्सकोले ने बरघाट विधानसभा मे विधायक के रूप मे प्रतिनिधित्व किया किन्तु बरघाट के पच्चीस वर्ष के बनवास को वर्तमान विधायक अर्जुन सिंह ककोडिया ने तोडने मे अहम भूमिका अदा की और भाजपा का गढ़ माने जाने वाली यह सीट काग्रेस की झोली मे डालते हुए यह सीट भाजपा से छीन ली और मध्यप्रदेश मे सरकार का दायित्व भी कांग्रेस को प्राप्त हो गया किन्तु सत्ता के उलटफेर मे मध्यप्रदेश मे कुछ माह बाद ही भाजपा की सरकार बैठ गई.

वर्तमान मे बरघाट मे चल रही राजनैतिक गणित मे विधानसभा चुनावो को लेकर पुन: मथंन का दौर प्रारम्भ हो चुका है जिसमे अर्जुन सिंह की मेहनत तो क्षेत्र मे सभी की जुबान पर है किन्तु इनके इर्द गिर्द के तीन बन्दरो का जिक्र भी लोगो की जुबान पर है जो काग्रेस के विधायक के रूप मे आने के बाद इन तीन बन्दरो ने जो स्वार्थ की रोटी सेक कर अपना स्वार्थ सिद्ध किया है उससे यह कहना भी गलत नही होगा की जो मतदाता एक समय कांग्रेस के साथ जुडा था वही मतदाता आज से इनसे दूरियां बनाता हुआ नजर आ रहा है और क्या यही दूरियां इन तीन बंदरों के कारण काग्रेस को पुन: वापसी लाने मे कारगर साबित होगी अथवा इन तीन बंदरों के चक्कर मे कांग्रेस की लुटिया फिर एक बार डूबती नजर आयेगी यह तो आने वाला समय ही निर्भर करेगा किन्तु गांधी के तीन बन्दर की तुलना इनसे करना नाइंसाफी ही होगी

भाजपा मे भी है लम्बी कतार

वैसे लगातार लम्बे समय मे सत्ता मे काबिज भाजपा के लिये भी आने वाले चुनाव मे राह आसान नही है चूकि विधानसभा की टिकिट की दौड मे एक नही अपितु दर्जनो नाम सामने आ रहे है तथा बरघाट मे इनके किये जा रहे जनसम्पर्क को भी चुनाव की दृष्टी से देखा जा रहा है और भाजपा से किसे बरघाट विधानसभा के लिये उतारा जा सकता है यह तो समय बतायेगा किन्तु यह भी सही है की लगातार क्षेत्र मे भाजपा से उम्मीदवार के रूप सभी अपने आपको छेत्र मे प्रदर्शित कर रहे है जिससे आने वाले समय मे बरघाट विधानसभा की गेंद किसके पाले मे गिरती है यह तो छेत्र का मतदाता ही तय करेगा

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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