दिल्ली: रक्षाबंधन का पर्व श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके सुखी व लंबे जीवन की कामना करती हैं।
लेकिन भाई को राखी बांधने से पहले विघ्नहर्ता श्री गणेश जी को राखी बांधे। ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी ने बताया कि रक्षाबंधन पर इस बार आयुष्मान, रवि, सौभाग्य और शुभ योग बन रहा है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार रक्षाबंधन पर पाताल लोक की भद्रा रहेगी, लेकिन इस समय चार तरह के शुभ योग भी बनेंगे। 11 अगस्त को सूर्योदय से लेकर दोपहर 3:31 तक आयुष्मान योग रहेगा। इसके अलावा सुबह 5:30 से शाम 5:53 तक रवि योग रहेगा। तीसरा शुभ योग सौभाग्य योग11:33 बजे तक रहेगा।
चौथा और आखिरी शुभ योग धनिष्ठा नक्षत्र में शोभान योग रहेगा। पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 11 अगस्त सुबह 10:39 से प्रारंभ होकर 12 अगस्त सुबह 7:05 बजे तक रहेगा। पूर्णिमा आरंभ के 10:39 से लेकर रात 8:52 तक पाताल लोक की भद्रा रहेगी। लेकिन चार शुभयोग का संयोग रक्षाबंधन पर होने से इस पर्व की उपयोगिता और बढ़ गई है।
भद्रा तीन लोकों में घूमती है: ज्योतिषाचार्य ने बताया कि ज्योतिष विज्ञान में भद्रा सभी 12 चंद्र राशियों के अनुसार तीन लोक स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक और पाताल लोक में घूमती है, तथा चंद्र की गोचर स्थिति पर निर्भर रहती है।
गोचर जिस दिन चंद्रमा कर्क, सिंह, कुम्भ और मीन राशि में स्थित होता है, उस दिन भद्रा का बास मृत्युलोक में माना जाता है, जो कि अशुभ होता है। वही जिस दिन चंद्रमा गोचर जब मेष, वृषभ, मिथुन, वृश्चिक राशि में होता है, उस दिन भद्रा का वास स्वर्ग लोक में माना जाता है जो कि सामान्य होता है।
अगर जिस दिन चंद्रमा गोचर जब कन्या, तुला, धनु, मकर राशि में स्थित होता है। उस दिन भद्रा का वास पाताल लोक में माना जाता है और पाताल लोक की भद्रा अशुभ नहीं होती।
11 अगस्त श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को चंद्रमा मकर राशि में स्थित रहेंगे, जो रात्रि 9:30 पर कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। अत: रक्षाबंधन के दिन भद्रा का बास पाताल लोक में रहेगा। रक्षाबंधन के दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11:56 से 12:49 बजे तक रहेगा। रात्रि 8:52 के बाद भद्रा भी समाप्त हो जाएगी।