Happy Holi 2022: इस होली पर बन रहे ग्रहों के बेहद शुभ संयोग, शुभ संयोग में खेलें होली दुःख तकलीफों का होगा सर्वनाश

SHUBHAM SHARMA
By
SHUBHAM SHARMA
Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
7 Min Read
Braj Ki Holi 2023: क्या आप जानते है कैसी खेली जाती है ब्रज की होली, यहाँ जानिए पूरी डिटेल में

कासगंज । होली का पर्व ढेर सारी खुशियां और उल्लास लेकर आता है। 17 मार्च को होलिका दहन होगा और उसके अगले दिन 18 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी। इस वर्ष होली का पर्व बेहद खास है।

होली ग्रहों के ऐसे शुभ संयोग में खेली जाएगी जो बहुत दुर्लभ ही बनता है। हालांकि होलिका दहन की शाम भद्रा दोष भी रहेगा इसलिए इस बार होलिका शाम की बजाय रात में जलाई जाएगी।

इस वर्ष होली किन शुभ ग्रहों को लेकर आ रही है इसके संबंध में शूकर क्षेत्र सोरों के ज्योतिषाचार्य गौरव दीक्षित बताते हैं कि 17 मार्च को होलिका दहन के दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति 3 राजयोग बना रही हैं। इस दिन गजकेसरी योग, वरिष्ठ योग और केदार योग बन रहे हैं। होली पर ग्रहों का ऐसा शुभ महासंयोग पहले कभी नहीं बना है।

इतने शुभ योग में होलिका दहन का होना देश के लिए बेहद लाभदायी साबित होगा। एक साथ 3 राजयोगों का बनना मान-सम्मान, पारिवारिक सुख-समृद्धि, तरक्की और वैभव लाता है।

उस पर होलिका दहन के दिन गुरुवार का होना बेहद शुभ माना जाता है। साथ ही सूर्य भी गुरु की राशि मीन में रहेंगे। कुल मिलाकर ग्रहों की ऐसी शुभ स्थिति बीमारियों, दुख और तकलीफों का नाश करेगी साथ ही दुश्मनों पर जीत भी दिलाईगी।

ज्योतिषशास्त्र के हिसाब से होलिका दहन में कुछ विशेष वस्तुएं डाली जाती हैं। जो आपके जीवन की समस्याओं को दूर कर सकती हैं। मान्यता के मुताबिक होलिका अग्नि में काली हल्दी डालने से बुरी नजर दूर होती है। वहीं, गोमती चक्र अर्पित करने से अदृश्य बाधाएं दूर होती हैं।

कौड़ियां अर्पित करने से जीवन में चल रही धन संबंधी बाधाओं का दूर किया जा सकता है। इसी तरह से अग्नि में नींबू अर्पित करने से नजर और हाय दूर होती है।

अग्नि में गुंजा डालने से शत्रुओं से रक्षा होती है, वहीं एक, दो, पांच और दस रुपये के सिक्के रोग और घर में व्याप्त कलेश को दूर करते हैं। सिक्कों को पांच, 11 या 21 के क्रम में चढ़ाएं (जैसे पांच रुपए के पांच सिक्के, 11 सिक्के या 21 सिक्के)

होलिका दहन के दिन सुबह 10.48 बजे से रात 8.55 बजे तक भद्रा रहेगी। ऐसे में शास्त्रानुसार रात नौ बजे के बाद होलिका दहन किया जाना शुभ और मंगलकारी होगा।

होली पर रंगों का महत्व

रंग का मनुष्य के जीवन से गहरा संबंध होता है। रंग हमारी भावनाओं को दर्शाते हैं। रंगों के माध्यम से व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से प्रभावित होता है। यही कारण है कि हमारी भारतीय संस्कृति में होली का पर्व फूलों, रंग और गुलाल के साथ खेलकर मनाया जाता है।

ज्योतिष के अनुसार जीवन से जुड़े ये रंग नौ ग्रहों की शुभता को बढ़ाने में भी मददगार साबित होते हैं। जानने के लिए आगे की ज्योतिषीय आधार पर लाल रंग को देखें तो इस रंग से भूमि, भवन, साहस, पराक्रम के स्वामी मंगल ग्रह प्रसन्न रहते हैं।

पीला रंग अहिंसा, प्रेम, आंनद और ज्ञान का प्रतीक है। यह रंग सौंदर्य और आध्यात्मिक तेज को तो निखारता ही है, इससे देव गुरु बृहस्पति भी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं। नारंगी रंग ज्ञान, ऊर्जा, शक्ति, प्रेम और आनंद का प्रतीक है। जीवन में इसके प्रयोग से मंगल और बृहस्पति की कृपा के साथ-साथ सूर्य देव की भी असीम कृपा बरसती है। सफेद रंग शांति, पावनता और सादगी को दर्शाता है।

इस रंग के प्रयोग से चंद्रमा, शुक्र की कृपा बनी रहती है। नीला रंग साफ-सुथरा, निष्पापी, पारदर्शी, करुणामय, उच्च विचार होने का सूचक है। नीले रंग के प्रयोग से शनिदेव की कृपा बराबर बनी रहती है। हरा रंग खुशहाली, समृद्धि, उत्कर्ष, प्रेम, दया, पावनता का प्रतीक है।

हरे रंग के प्रयोग से बुध ग्रह प्रसन्न रहते हैं। सौहार्दपूर्ण ढंग से होली खेलने से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। वहीं सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। घर-परिवार पर देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है।

होलिका दहन मुहूर्त

रात 9 बजकर 6 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक। अवधि 01 घण्टा 10 मिनट भद्रा पूंछ रात 9 बजकर 6 मिनट से लेकर 10 बजकर 16 मिनट तक। भद्रा मुख रात 10 बजकर 16 मिनट से लेकर 18 मार्च की दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक।

होली से जुड़ी है कहानी

होली पर्व से जुड़ी हुई अनेक कहानियां हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है भक्त प्रहलाद की है। प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के अहंकार में वह स्वयं को ही भगवान मानने लगा था। उसने अपने राज्य में भगवान के नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी।

हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था। प्रहलाद की ईश्वर भक्ति से नाराज होकर हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को अनेक कठोर दंड दिए। परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग कभी भी नहीं छोड़ा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में जल नहीं सकती।

हिरण्यकश्यप ने आदेश दिया कि होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठे, आदेश का पालन हुआ। परन्तु आग में बैठने पर होलिका तो आग में जलकर भस्म हो गई, परन्तु प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ। इस तरह होली का त्यौहार अधर्म पर धर्म की, नास्तिक पर आस्तिक की जीत के रूप में भी देखा जाता है।

उसी दिन से प्रत्येक वर्ष ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में होलिका जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जाता है कि प्रहलाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रहलाद यानी आनंद अक्षुण्ण रहता है।

Share This Article
Follow:
Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *