Diwali 2020: जाने दीपावली में लक्ष्मी जी पूजा की विधि, पूजन सामग्री, शुभ मुहूर्त

By SHUBHAM SHARMA

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पंडित सलिल तिवारी : Diwali 2020: जाने दीपावली में लक्ष्मी लक्ष्मी जी पूजा की विधि, सामग्री, शुभ मुहूर्त पूजा का किसी भी धार्मिक व्यक्ति के जीवन में बहुत अधिक महत्व होता है। कोई भी व्यक्ति अपने किसी ईष्ट को, अपने किसी देवता को, किसी गुरु को मानता है तो वह उनकी कृपा भी चाहता है। वह चाहता है कि उसके ईष्ट, देवता हमेशा उसके साथ रहें, गुरु का उसे मार्गदर्शन मिलता रहे। इसी कृपा प्राप्ति के लिए जो भी साधन या कर्मकांड अथवा क्रियांए की जाती हैं उन्हें पूजा विधि कहते हैं। धर्मक्षेत्र के अलावा कर्मक्षेत्र में भी पूजा का बहुत महत्व है इसलिये काम को भी लोग पूजा मानते हैं।

धन, संपत्ति अर्थात पैसा वर्तमान में मनुष्य की सबसे बड़ी जरुरत है। पैसे से ही मनुष्य के जीवन की तमाम भौतिक जरुरतें पूरी होती हैं। धन, संपत्ती, समृद्धि का एक नाम लक्ष्मी भी है। लक्ष्मी जो कि भगवान विष्णु की पत्नी हैं। मान्यता है कि मां लक्ष्मी की कृपा से ही घर में धन, संपत्ती समृद्धि आती है। जिस घर में मां लक्ष्मी का वास नहीं होता वहां दरिद्रता घर कर लेती है। इसलिये मां लक्ष्मी का प्रसन्न होना बहुत जरुरी माना जाता है और उन्हें प्रसन्न करने के लिये की जाती है मां लक्ष्मी की पूजा। आइये आपको बताते हैं कि क्या है लक्ष्मी पूजन की विधि और पूजा के के लिये चाहिये कौनसी सामग्री?

कौन हैं माँ लक्ष्मी

देवी लक्ष्मी को धन और सम्रद्धि की देवी कहा जाता है। सनातन धर्म के विष्णु पुराण में बताया गया है कि लक्ष्मी जी भृगु और ख्वाती की पुत्री हैं और स्वर्ग में यह वास करती थी। समुद्रमंथन के समय लक्ष्मी जी की महिमा का व्याख्यान वेदों में बताया गया है। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को अपने पति के रुप में वरण किया जिससे इनकी शक्तियां और प्रबल हुई मानी जाती हैं।

लक्ष्मी का अभिषेक दो हाथी करते हैं। वह कमल के आसन पर विराजमान है। लक्ष्मी जी के पूजन में कमल का विशेष महत्त्व बताया गया है। क्योकि यह फूल कोमलता का प्रतीक है इसलिए माँ लक्ष्मी जी की पूजा में इसका स्थान आता है। लक्ष्मी जी के चार हाथ बताये गये हैं। वे एक लक्ष्य और चार प्रकृतियों (दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प, श्रमशीलता एवं व्यवस्था शक्ति) के प्रतीक हैं और माँ लक्ष्मी जी सभी हाथों से अपने भक्तों पर आशीर्वाद की वर्षा करती हैं। इनका वाहन उल्लू को बताया गया है जो निर्भीकता का सूचक है।

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माँ लक्ष्मी जी की मुख्य पूजा तो वैसे दिवाली पर की जाती है किन्तु लक्ष्मी पूजा निरंतर करना, और भी ज्यादा फलदायक माना जाता है।

दीपावली में लक्ष्मी पूजन के लिये जरूरी सामग्री

मां लक्ष्मी की पूजा के लिये सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार जुटा सकते हैं। मां लक्ष्मी को जो वस्तुएं प्रिय हैं उनमें लाल, गुलाबी या फिर पीले रंग का रेशमी वस्त्र लिया जा सकता है। कमल और गुलाब के फूल भी मां को बहुत प्रिय हैं। फल के रुप में श्री फल, सीताफल, बेर, अनार और सिंघाड़े भी मां को पसंद हैं। अनाज में चावल घर में बनी शुद्ध मिठाई, हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है। दिया जलाने के लिये गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा पूजन में रोली, कुमकुम, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चौकी, कलश, मां लक्ष्मी व भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा या चित्र, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, दीपक, रुई, मौली, नारियल, शहद, दही गंगाजल, गुड़, धनियां, जौ, गेंहू, दुर्वा, चंदन, सिंदूर, सुगंध के लिये केवड़ा, गुलाब अथवा चंदन के इत्र ले सकते हैं।

दीपावली में लक्ष्मी जी की पूजा की विधि

सबसे पहले पूजा के जलपात्र से थोड़ा जल लेकर मूर्तियों के ऊपर छिड़कें इससे मूर्तियों का पवित्रकरण हो जायेगा, इसके पश्चात स्वयं को, पूजा सामग्री एवं अपने आसन को भी पवित्र करें। पवित्रीकरण के दौराण निम्न मंत्र का जाप करें-

इसके बाद जिस जगह पर आसन बिछा है उस जगह को भी पवित्र करें और मां पृथ्वी को प्रणाम करें। इस प्रक्रिया में निम्न मंत्र का उच्चारण करें-

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ॐ पृथ्वी त्वया धृता लोका देवि त्वं विष्णुना धृता।
त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्‌॥
पृथिव्यै नमः आधारशक्तये नमः

अब पुष्प, या अंजुलि से एक बूंद पानी अपने मुंह में छोड़िए और ॐ केशवाय नमःॐ नारायणाय ॐ वासुदेवाय नमः  मंत्र बोलिये इसके बाद फिर तीन बूंद पानी पानी डालिये फिर ॐ हृषिकेशाय नमः कहते हुए हाथों को धो लें, इस प्रक्रिया को आचमन कहते हैं

पूजा के आरंभ में स्वस्तिवाचन किया जाता है इसके लिये हाथ में पुष्प, अक्षत और जल लेकर निम्‍न मंत्र का पाठ करें-किसी भी पूजा को करने में संकल्प प्रधान होता है इसलिये इसके बाद संकल्प करें। संकल्प के लिये हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लें साथ में कुछ द्रव्य यानि पैसे भी लें अब हाथ में लेकर संकल्प मंत्र का जाप करते हुए संकल्प किजिये

ऊँ विष्णु र्विष्णुर्विष्णु : श्रीमद् भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्त्तमानस्य अद्य श्री ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेत वाराह कल्पै वैवस्वत मन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे युगे कलियुगे कलि प्रथमचरणे भूर्लोके जम्बूद्वीपे भारत वर्षे भरत खंडे आर्यावर्तान्तर्गतैकदेशे —*— नगरे —**— ग्रामे वा बौद्धावतारे विजय नाम संवत्सरे श्री सूर्ये ………आयने …………ऋतौ महामाँगल्यप्रद मासोत्तमे शुभ ……….मासे ………… पक्षे ………….तिथौ ………….राशि स्थिते चन्द्रे ………….राशि स्थिते सूर्य …………. स्थिते देवगुरौ शेषेषु ग्रहेषु यथा यथा राशि स्थान स्थितेषु सत्सु एवं ग्रह गुणगण विशेषण विशिष्टायाँ चतुर्थ्याम्‌ शुभ पुण्य तिथौ — +– गौत्रः –++– अमुक शर्मा, वर्मा, गुप्ता, दासो ऽहं मम आत्मनः श्रुति स्‍मृति पुराणोक्‍त फल प्राप्‍तयर्थं कायिक वाचिक मानसिक संसारगिक चर्तुविधपातक दुरित क्षयायर्थं धर्मार्थ  मो्क्ष प्राप्‍तयर्थ्ं अहं लक्ष्‍मी देवी पुजनं करिष्‍येत ”इसके पश्चात्‌ हाथ का जल किसी पात्र में छोड़ देवें। संकल्प लेने के बाद भगवान श्री गणेश व मां गौरी की पूजा करें। इसके लिए निम्‍न मंत्र का उच्‍चारण करें –

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दीपवाली लक्ष्मी पूजा में कलश पूजन

हाथ में थोड़ा जल लेकर आह्वान व पूजन मंत्रों का उच्चारण करें फिर पूजा सामग्री चढायें। फिर नवग्रहों की पूजा करें, इसके लिये हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर नवग्रह स्तोत्र बोलें। तत्पश्चात भगवती षोडश मातृकाओं का पूजन करें। माताओं की पूजा के बाद रक्षाबंधन करें। रक्षाबंधन के लिये मौलि लेकर भगवान गणपति पर चढाइये फिर अपने हाथ में बंधवा लीजिये और तिलक लगा लें। इसके बाद महालक्ष्मी की पूजा करें।

दीपावली 2020 दिनांक एवं समय

शनिवार, 14 नवंबरदीपावली 2020 (उत्तर भारत) | दिवाली का त्योहार हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. आइए आपको बताते हैं पूजा के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में. मां लक्ष्मी और गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 5 बजकर 28 मिनट से 7 बजकर 24 मिनट तक रहेगा. प्रदोष काल: 17:28 से 20:07 तक रहेगा

माँ लक्ष्मी जी की पूजा के लिए वेदों में कई महत्वपूर्ण मन्त्र दिये गये हैं। माँ लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्‍त का पाठ करें

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् (1)

यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम्
अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम्(2)

श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मादेवी जुषताम्
कांसोस्मितां हिरण्यप्राकारां आद्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम्(3)

पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वयेश्रियम
चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियंलोके देव जुष्टामुदाराम्(4)

तां पद्मिनीमीं शरणमहं प्रपद्ये अलक्ष्मीर्मे नश्यतां त्वां वृणे
आदित्यवर्णे तपसोऽधिजातो वनस्पतिस्तववृक्षोथ बिल्व: (5)

तस्य फलानि तपसानुदन्तु मायान्तरायाश्च बाह्या अलक्ष्मी:
उपैतु मां देवसख: कीर्तिश्चमणिना सह(6)

प्रादुर्भुतो सुराष्ट्रेऽस्मिन् कीर्तिमृध्दिं ददातु मे
क्षुत्पिपासामलां जेष्ठामलक्ष्मीं नाशयाम्यहम्(7)

अभूतिमसमृध्दिं च सर्वानिर्णुद मे गृहात
गन्धद्वारां दुराधर्षां नित्यपुष्टां करीषिणीम्(8)

ईश्वरिं सर्वभूतानां तामिहोपह्वये श्रियम्
मनस: काममाकूतिं वाच: सत्यमशीमहि(9)

पशूनां रूपमन्नस्य मयि श्री: श्रेयतां यश:
कर्दमेनप्रजाभूता मयिसंभवकर्दम(10)

श्रियं वासयमेकुले मातरं पद्ममालिनीम्
आप स्रजन्तु सिग्धानि चिक्लीत वस मे गृहे(11)

नि च देवीं मातरं श्रियं वासय मे कुले
आर्द्रां पुष्करिणीं पुष्टि पिङ्गलां पद्ममालिनीम्(12)

चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह
आर्द्रां य: करिणीं यष्टीं सुवर्णां हेममालिनीम्(13)

सूर्यां हिरण्मयीं लक्ष्मी जातवेदो म आवह
तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्(14)

यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योअंश्वान् विन्देयं पुरुषानहम्(15)

य: शुचि: प्रयतोभूत्वा जुहुयादाज्यमन्वहम्
सूक्तं पञ्चदशर्च च श्रीकाम: सततं जपेत्(16)

लक्ष्मी जी की पूजा करते वक़्त साफ़-सफाई का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये। दीपावली के अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा के बाद दीपक पूजन करें इसके लिये तिल के तेल के सात, ग्यारह, इक्कीस अथवा ज्यादा दीपक प्रज्जवलित कर एक थाली में रखकर पूजा करें। जिसके लिए निम्‍न मंत्र का उच्‍चारण करें-

ऊं लक्ष्‍मी देवयै नम: दीपं दर्शयामि
इसके पश्‍चात देवी जी को चन्‍दन चढावें जिसके लिए निम्‍न मंत्र का उच्‍चारण करें-

ऊं लक्ष्‍मी देवयै नम: चंदनं समर्पयामि
इसके बाद देवी जी को अक्षत चढावें जिसके लिए निम्‍न मंत्र का उच्‍चारण करें

ऊं लक्ष्‍मी देवयै नम: अक्षतान समर्पयामि
इसके बाद देवी जी को पुष्‍प या पुष्‍पमाला चढावें जिसके लिए निम्‍न मंत्र का उच्‍चरण करें

ऊं लक्ष्‍मी देवयै नम: पुष्‍पाणि समर्पयामि
इसके पश्‍चात देवी जी को सिंदूर चढावें जिसके लिए निम्‍न मंत्र का उच्‍चारण करें-

ऊं लक्ष्‍मी देवयै नम: सिंदूरं समर्पयामि
इसके बाद देवी जी को धूप बत्‍ती दिखायें जिसके लिए निम्‍न मंत्र का उच्‍चारण करें

ऊं लक्ष्‍मी देवयै नम: धूपं आघ्रापयामि
इसके बाद देवी जी को प्रसाद चढावें जिसके लिए निम्‍न मंत्र का उच्‍चरण करें –

ऊं लक्ष्‍मी देवयै नम: नैवेदयं समर्पयामि
इसके बाद घर की महिलायें अपने हाथ से सोने-चांदी के समस्त आभूषण इत्यादि को मां लक्ष्मी को अर्पित कर दें। एंव निम्‍न मंत्र का उच्‍चारण करें –

ऊं लक्ष्‍मी देवयै नम: कृताया: पूजाया: सादगुणयार्थे द्रव्‍य दक्षिणां समर्पयामि
इसके पश्‍चात देवी जी की आरती करें ऊं जैय लक्ष्‍मी माता

अगले दिन स्नान के बाद विधि-विधान से पूजा के बाद आभूषण एवं सुहाग की अन्य सामग्री जो अर्पित की थी उसे मां लक्ष्मी का प्रसाद समझकर स्वयं प्रयोग करें। मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।

SHUBHAM SHARMA

Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.

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