भोपाल । कहावत है कि दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है, पर हम हैं कि मानते ही नहीं। हम कोरोना रूपी उबलते दूध से एक नहीं, दो बार जलने के बाद भी अपनी जिंदगी के प्रति गंभीर नहीं हैं। अब हमारी जिन्दगी बचाने के लिए सरकार ही वैक्सीनेशन को एक अभियान के रूप में चलाने जा रही है। क्योंकि वैक्सीनेशन कोरोना से बचाव की वारंटी है। ये ऐसी वारंटी है, जो किसी भी रूप में किसी गारंटी से कम नहीं हैं।
सरकार द्वारा नि:शुल्क वैक्सीन की व्यवस्था के बाद हमारा यह कर्त्तव्य तो बनता ही है कि हम घर से निकलकर वैक्सीनेशन सेंटर तक पहुंचें, टीका लगवायें और दूसरों को भी वहाँ जाने के लिए प्रेरित करें। यह भी कि लोकतंत्र में जहाँ एक ओर सरकार की अपनी जिम्मेदारियां हैं, तो हमारे भी कुछ कर्तव्य हैं। कोरोना को समाप्त करने के लिए हमें निर्धारित कोरोना गाइड-लाइन का पालन करना चाहिये। वैक्सीनेशन करवाना चाहिये। सभी को चाहिये कि वैक्सीनेशन के बाद भी कोरोना की समाप्ति तक कोरोना गाइड-लाइन को अपनी जीवन-शैली में शामिल करें।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री पद की चौथी पारी जब शुरू की तो शपथ के बाद संभवत वो पहले मुख्यमंत्री होंगे, जो सीधे राजभवन से मंत्रालय जा पहुंचे थे, क्योंकि देश-दुनिया के साथ मध्यप्रदेश भी इस अपरिचित, अनजानी कोरोना महामारी से बुरी तरह जकड़ता जा रहा था।
डॉक्टर्स, वैज्ञानिक, प्रदेश के आला से लेकर हर अधिकारी इस बीमारी से लड़ने के लिए अपने-अपने कयास लगा रहे थे। सब इस महामारी के छोर को पकड़ने की कोशिश में लगे थे। हर व्यक्ति अपने काम के मुताबिक कोरोना से लड़ने में लगा था। या यूँ कहें कि कोरोना से लड़ने का, इस लड़ाई को जीतने का तरीका खोज रहा था।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता को कोरोना पर जीत का अपना तीन सूत्री मूलमंत्र बताया कि पहला सभी लोग घर पर रहें, दूसरा सिर्फ घर पर रहें, तीसरा सिर्फ घर पर ही रहें और जनता भी अपना सारा काम छोड़कर, अपने-अपने शहर छोड़कर वापस अपने घरों में समा गई।
मुख्यमंत्री श्री चौहान के सामने घर से बैठकर कोरोना से जंग लड़ते अपने कमजोर वर्ग के परिवारों की भोजन व्यवस्था करना भी एक चुनौती थी, जिसे उन्होंने कोरोना अवधि में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने चुनिंदा अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ खाद्यान्न उपार्जन के साथ ही नि:शुल्क खाद्यान्न वितरण व्यवस्था को सुनिश्चित किया। वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना से प्रदेश के उन मजदूरों को जो प्रदेश के बाहर रह रहे हैं, उन्हीं प्रदेशों में नि:शुल्क खाद्यान उपलब्ध कराया।
सच है परंतु अपने स्वभाव के अनुसार कड़वा
कोरोना ने वो सब कुछ दिखा दिया, जो हम सपने में भी नहीं सोचना चाहते। सिर्फ एक पॉजिटिव रिपोर्ट आने से एक सीमा के बाद न पिता काम आया, न पुत्र काम आया, न दौलत काम आई, न शोहरत काम आई, न धर्म काम आया न कर्म काम आया। न तुम काम आये और न ही हम काम आये। न रिश्ते काम आये और न ही रिश्तेदार काम आये।
परंतु सच यह है कि काम आई तो सिर्फ सरकार, डॉक्टर, अस्पताल, सरकार के वॉलेंटियर्स, कोरोना वॉरियर, पुलिस और प्रशासन, जिन्होंने सिर्फ पेशेंट देखा और अपना काम। वरना सत्य यह भी था कि पॉजिटिव रिपोर्ट के बाद घर के सामने अस्पताल की एम्बुलेंस और हाथ में दैनिक उपयोग की वस्तुओं का एक थैला और शून्य-सा भाव लेकर अस्पताल के लिये रवाना हुआ पेशेंट। फिर न घर वाले मिलने आये और न ही रिश्तेदार। शायद वो भी गलत नहीं थे। बयार ही कुछ ऐसी थी कि वो जाते तो वो भी चपेट में आ जाते। ठीक होकर वापस घर आये तो ठीक, वरना अस्पताल में ही बिना रिश्तेदारों के अंतिम यात्रा की ओर उसी एम्बुलेंस में।
कोरोना की दूसरी लहर है तो अंतिम चरण में। पॉजिटिविटी दर भी 0.15 प्रतिशत तक आ गई। परंतु जरूरत इस बात की है कि आगे तीसरी लहर में पहले जैसी बदहवासी, अस्त-व्यस्तता नहीं होने पाये। उस स्थिति के आने के पहले ही तीसरी लहर को आने ही न दें और आ भी जाये तो कोई नुकसान नहीं होने पाये। इसलिये हर मोर्चे पर हर स्तर पर हमें कोरोना को समाप्त करना है।
कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर का करें पालन
तीसरी लहर से लड़ाई के पहले जरूरी है कि हम कोविड एप्रोपिएट बिहेवियर को अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा बना लें। अब हमें इस बात का इंतजार नहीं करना चाहिये कि सरकार कहेगी तभी हम मास्क लगायें, सोशल डिस्टेंसिंग रखें, हाथ बार-बार धोएँ, सेनेटाइजर का उपयोग करें, पानी खूब पियें, योगा एवं व्यायाम को अपनी जिंदगी का साथी बना लें। ताजे फल, ताजा भोजन करें। यह वो छोटी-छोटी बातें हैं, जिनकी हम आदत डाल लें तो कोई परेशानी नहीं होगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने संदेश में कहा ही है कि कोरोना की तीसरी लहर से लड़ाई में वैक्सीनेशन ही हमारा मुख्य हथियार होगा। वैक्सीनेशन से किसी तरह का नुकसान नहीं है।
अफवाहों पर न दें ध्यान
कुछ लोग वैक्सीनेशन को गलत ठहरा रहे हैं। ये लोग न डॉक्टर हैं, न वैज्ञानिक और न ही सरकार के नुमाइंदे। फिर हम कोई नासमझ तो हैं नहीं कि कोरोना को इन्होंने ही देखा और भोगा है। कोरोना एक ऐसी महामारी है, जिसके बारे में पहले कभी किसी को कोई अनुभव नहीं था। चिकित्सा के क्षेत्र में डॉक्टर्स ने अपने अनुभव और ट्रीटमेंट में प्राप्त परिणामों के आधार पर मरीजों का इलाज किया। फिर वैक्सीनेशन एक मोहल्ले या व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं रहा। इसे दुनिया के तमाम देशों में लोगों ने करवाया है। यही वजह है कि कई देशों में आज मास्क जरूरी नहीं है।
सरकार को चिंता है तो सिर्फ जन-जीवन को बचाने की, मानवता को बचाने की। उसके लिये उन्होंने पूरे प्रयास भी किये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आव्हान पर देश में कम्पलीट कोरोना कर्फ्यू की व्यवस्था हो अथवा राज्यों में राज्य सरकार द्वारा उसका पालन करवाने और घर में बैठी अपनी जनता का पालन-पोषण की व्यवस्था हो, सरकार ने हर मोर्चे पर सफलतापूर्वक काम किया। इसी का परिणाम है कि आज हम दूसरी लहर के बाद तीसरी लहर को भी सुनियोजित ढंग से मात देने की तैयारी कर रहे हैं।
हमारा प्रयास यह हो कि हमें तीसरी लहर का सामना करने की जरूरत न पड़े। पिछले पन्द्रह माह में हमने वो सब खोया, अपना घर, अपना परिवार, अपने रिश्ते और रिश्तेदार, धन-दौलत, हमारी तरक्की, महत्वपूर्ण समय, काम-धंधा, नौकरियाँ, सब कुछ। इससे ज्यादा खोने की हिम्मत न आपमें है और न हममें। इसलिये कोरोना से बचाव के जो भी उपाय हों, छोटे हों, बड़े हो, हमें करना चाहिये। हर स्तर पर करना चाहिये, वरना हम नहीं कोई और हमारा इतिहास सुनेगा और सुनायेगा। अभी भी समय है। संभल जाएं, वैक्सीनेशन कराएं, जिंदगी को बचाएं।