मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती को लेकर राज्य सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है। अब राज्य में पुलिस के कांस्टेबल, सब-इंस्पेक्टर सहित अन्य ग्रेड-3 पदों पर भर्ती के लिए एक अलग भर्ती बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसका उद्देश्य वर्तमान में चल रही लंबी भर्ती प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी और समयबद्ध बनाना है।
भर्ती प्रक्रिया में देरी का मुख्य कारण: कर्मचारी चयन बोर्ड पर अधिक भार
वर्तमान में मध्य प्रदेश में पुलिस भर्ती का जिम्मा कर्मचारी चयन बोर्ड (ESB) के पास है, लेकिन बोर्ड के पास पहले से ही कई अन्य विभागों की भर्तियों का कार्यभार होने के कारण पुलिस भर्ती में 1.5 से 2 साल तक का समय लग जाता है।
पुलिस मुख्यालय ने बार-बार इस विषय में सरकार को सुझाव दिया था कि एक स्वतंत्र पुलिस भर्ती बोर्ड बनाया जाए, जिससे सालाना आधार पर भर्ती की प्रक्रिया को तेज किया जा सके। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस पर संज्ञान लिया है और डीजीपी कैलाश मकवाना को इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर कैबिनेट को भेजने के निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री की बड़ी घोषणा: पिछड़ी जनजातियों को विशेष प्राथमिकता
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह भी निर्देश दिए हैं कि बैगा, सहरिया और अन्य पिछड़ी जनजातियों के युवाओं को पुलिस भर्ती में विशेष अवसर दिए जाएं। इसके लिए एक विशेष योजना तैयार की जाएगी जिससे इन समुदायों के बेरोजगार युवाओं को सरकारी सेवा में स्थान मिल सके।
भर्ती बोर्ड के गठन से क्या होंगे फायदे?
1. समयबद्ध चयन प्रक्रिया
नए पुलिस भर्ती बोर्ड के गठन से यह सुनिश्चित होगा कि हर साल नियमित रूप से भर्ती प्रक्रिया चलाई जा सके। इससे 20,000 से अधिक रिक्त पदों को तेजी से भरा जा सकेगा।
2. स्वतंत्र और पारदर्शी प्रक्रिया
एक स्वतंत्र बोर्ड होने से भर्ती प्रक्रिया पर किसी अन्य विभाग का बोझ नहीं होगा। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और परीक्षाएं व परिणाम समय पर जारी किए जा सकेंगे।
3. युवाओं को मिलेगा शीघ्र अवसर
हर साल कांस्टेबल और सब-इंस्पेक्टर के हजारों पदों पर भर्ती का रास्ता खुलेगा, जिससे युवाओं को रोजगार के अवसर तेजी से मिलेंगे।
मौजूदा स्थिति: 7500 कांस्टेबल और 500 सब-इंस्पेक्टर पदों पर भर्ती स्वीकृत
सरकार ने हाल ही में 7500 पुलिस कांस्टेबल और 500 सब-इंस्पेक्टर पदों पर भर्ती की स्वीकृति दी है। इन पदों के लिए पुलिस मुख्यालय ने कर्मचारी चयन बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है। बोर्ड ने वर्ष के अंत तक परिणाम घोषित करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन 1 लाख से अधिक अभ्यर्थियों की संख्या को देखते हुए इस वर्ष चयन की संभावना कम मानी जा रही है।
ऐसे में अगर पुलिस भर्ती बोर्ड का गठन जल्दी हो जाता है तो इन पदों को जल्दी भरा जा सकता है और युवाओं को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
पुलिस बल की वर्तमान स्थिति और रिक्त पदों की संख्या
मध्य प्रदेश पुलिस बल में फिलहाल लगभग 20,000 पद खाली हैं। इस कारण राज्य में कानून व्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ रहा है। कई जिलों में पुलिसकर्मियों की भारी कमी है, जिससे अपराध नियंत्रण में दिक्कतें आ रही हैं।
पुलिस मुख्यालय का कहना है कि हर साल कम से कम 6,000 कांस्टेबल और 300 एसआई की भर्ती होनी चाहिए ताकि पुलिस बल हमेशा सशक्त बना रहे।
सिंहस्थ को देखते हुए भर्ती की तैयारी
सरकार ने 2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ को देखते हुए अभी से कांस्टेबलों की भर्ती हर साल करने की योजना बनाई है। इस धार्मिक आयोजन के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखना महत्वपूर्ण है और इसके लिए अपर्याप्त पुलिस बल एक चुनौती बन सकता है।
भर्ती बोर्ड गठन की प्रक्रिया
मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार, अब डीजीपी प्रस्ताव बनाकर गृह विभाग के माध्यम से कैबिनेट में भेजेंगे। कैबिनेट से अनुमोदन मिलने के बाद भर्ती बोर्ड का गठन किया जाएगा। इसके बाद यह बोर्ड अपने स्वतंत्र ढांचे के तहत विज्ञापन, परीक्षा, रिजल्ट और नियुक्ति तक की प्रक्रिया संचालित करेगा।
भविष्य की संभावनाएं: हर साल होगी नियमित भर्ती
इस बोर्ड के गठन से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर साल पुलिस बल में नई नियुक्तियां हो सकें। इससे न केवल बेरोजगारी घटेगी, बल्कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत होगी। इसके साथ ही अन्य राज्यों की तरह मध्य प्रदेश में भी पुलिस भर्ती एक समयबद्ध कैलेंडर पर आधारित होगी।