सौर उर्जा से जगमगा रहे देश के कई प्रमुख धार्मिक स्थल, अब बारी है हरमिंदर साहिब की

By Khabar Satta

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नई दिल्‍ली। गोल्डन टेंपल के नाम से ख्यात श्री हरमिंदर साहिब परिसर की सभी इमारतों पर आठ करोड़ रुपये की लागत से सोलर सिस्टम लगेगा। एसजीपीसी ने सोलर सिस्टम लगाने की जिम्मेदारी यूनाइटेड सिख मिशन कैलिफोर्निया को सौंपी है। यूनाइटेड सिख मिशन और सिख लेंस फाउंडेशन के प्रतिनिधियों ने एसजीपीसी की अध्यक्ष बीबी जगीर कौर के साथ बैठक की। सोलर सिस्टम लगने से श्री हरिमंदिर साहिब सूर्य की रोशनी से जगमगाएगा। इसके साथ ही देश के अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों में सौर ऊर्जा के उपयोग पर नजर:

सूरज की रोशनी से जगमगाएगा श्री हरमंदिर साहिब में आठ करोड़ खर्च होंगे: जगीर कौर ने बताया कि यूनाइटेड सिख मिशन के प्रमुख रछपाल सिंह ढींडसा ने सोलर सिस्टम स्थापित करने की पेशकश की थी। सोलर सिस्टम पर आठ करोड़ रुपये खर्च होंगे और यह एक मेगावाट का होगा।

एक करोड़ की बचत होगी: सिस्टम लगने के बाद एसजीपीसी के बिजली पर खर्च होने वाले एक करोड़ रुपये हर वर्ष बचेंगे। इसके पश्चात अन्य तख्तों और ऐतिहासिक गुरुद्वारों में भी सोलर सिस्टम स्थापित किए जाएंगे। इसके लिए अलग योजना बनेगी।

छह माह में पूरा हो जाएगा काम: यूनाइटेड सिख मिशन के रछपाल सिह ढींडसा ने बताया कि सोलर प्रोजेक्ट करीब छह माह में पूरा किया जाएगा। सात कंपनियों के आवेदन आए हैं। पहले चरण में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पन्न कर इससे रोशनी का काम होगा। पहले चरण में रसोई घर शामिल नहीं है।

सौर ऊर्जा से चलने वाला दुनिया का सबसे बड़ा रसोई शिर्डी साईं प्रसादालय: दुनिया के सबसे बड़े नि:शुल्क रसोईघर शिर्डी के साईं प्रसादालय को माना जाता है। यहां रोजाना 40-50 हजार साईं भक्त प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह रसोई सौर ऊर्जा से तैयार होती है। यह भारत में सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संचालित रसोईघर भी है। वर्ष 2009 से लागू इस व्यवस्था के तहत श्री साईं संस्थान प्रसादालय के चार छतों में सौर ऊर्जा के पैनल लगे हैं।

ओडिशा के कोणार्क मंदिर में 10 मेगावाट की बिजली: केंद्र सरकार ने ओडिशा के कोणार्क सूर्य मंदिर और कोणार्क शहर को पूरी तरह से सौर ऊर्जा से जगमग करने की योजना शुरू की है, यानी शहर में बिजली की पूरी जरूरत सौर ऊर्जा के जरिये पूरी होगी। योजना के तहत 10 मेगावाट ग्रिड से जुड़ी सौर परियोजना और सौर वृक्ष, सौर पेयजल कियोस्क सौर ऊर्जा से चलेंगे। कोणार्क सूर्य मंदिर और कोणार्क शहर को सौर ऊर्जा से जगमग करने की योजना की जिम्मेदारी एमएनआरई ने ली है। मंत्रालय इसके लिए लगभग 25 करोड़ रुपये देगा।

तिरुपति में सौर भाप से बनता है खाना: 1,18,000 लीटर डीजल की बचत होती है तिरुपति बालाजी में, जिसकी कीमत 2.3 करोड़ रुपये है। आंध्र प्रदेश में तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम भारत के सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थानों में से एक है। मंदिर के अधिकारी मंदिर में हर रोज बड़ी संख्या में भक्तों को भोजन उपलब्ध कराते हैं। इस प्रक्रिया में ईंधन की कमी और बिजली की समस्या से जूझना पड़ा, तो सौर ऊर्जा की मदद से इस समस्या का समाधान निकाला गया था। मंदिर परिसर में एक विशाल सौर भाप खाना पकाने की प्रणाली स्थापित की। इसमें 15,000 लोगों का भोजन रोजाना तैयार करने की क्षमता है। यह स्वचलित ट्रैकिंग सौर डिश कंसंट्रेटर्स है, जो पानी को उच्च दबाव वाली भाप में बदल देती है। इससे आसानी से खाना पक जाता है।

धार्मिक स्थलों के लिए सौर ऊर्जा बेहतर विकल्प: धार्मिक स्थलों में जगह की कमी होती है। ऐसे में बिजली उत्पादन के लिए इतने बड़े स्तर पर पैनल लगाना मुश्किल होता है। ऐसे में सौर वृक्ष बेहतर विकल्प है। यह 100 गुना कम स्थान घेरता है। सौर वृक्ष एक सामान्य वृक्ष जैसे ही होते हैं, जिसमें पत्तियों के रूप में सौर पैनल लगे होते हैं। इसकी शाखाएं धातु की बनी होती हैं। बंगाल के दुर्गापुर में केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान ने इसका निर्माण किया है। यह सौर वृक्ष चार वर्ग फीट स्थान घेरता है तथा 3 किलोवाट ऊर्जा का उत्पादन करता है। इसके साथ एक बैटरी जुड़ी होती है जो सौर उर्जा से उत्पन्न बिजली को संग्रहित करती है।

उत्तर प्रदेश: पांच प्रमुख धार्मिक नगरी को सौर नगरी बनाने की तैयारी: 2024 तक अयोध्या, काशी, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर के धार्मिक स्थलों सहित शहर को सौर नगरी में बदलने का लक्ष्य। 669 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा इन स्थलों में स्थित घरों की छतों से। 859 करोड़ तथा राज्य सरकार द्वारा 473 करोड़ रुपये का अनुदान भी देगी 2022 तक 10700 मेगावाट सौर ऊर्जा के उत्पादन के लक्ष्य को पूरा करेगा

Khabar Satta

खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता

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