वाराणसी से आई एक बड़ी खबर के मुताबिक, कथित होस्टल काण्ड से जाने जानी वाली यूट्यूबर नेहा सिंह राठौर के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करने के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है। यह मामला वाराणसी के लंका थाना क्षेत्र में श्री हनुमान सेना नामक सामाजिक संगठन की शिकायत पर दर्ज हुआ है। इस लेख में हम इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जानकारी देंगे, साथ ही इससे जुड़े कानूनी पक्ष, राजनीतिक प्रतिक्रिया और पूर्व घटनाओं का भी उल्लेख करेंगे।
शिकायत के अनुसार, नेहा सिंह राठौर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को “कायर” और “जनरल डायर” कहा, जिसे अत्यंत आपत्तिजनक माना गया है। यह पोस्ट देश विरोधी भावना और जातिगत विद्वेष फैलाने की आशंका के तहत दर्ज की गई है।
एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita – BNS) की धारा 197 (1)(a), 197 (1)(d) और 353(2) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है। ये धाराएं विशेष रूप से सरकारी अधिकारियों के खिलाफ असम्मानजनक व्यवहार, सार्वजनिक सेवा में बाधा, और सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने से संबंधित हैं।
शिकायतकर्ता कौन हैं और उनकी मांग क्या है
यह मामला श्री हनुमान सेना के अध्यक्ष द्वारा दर्ज कराया गया है। उनकी शिकायत है कि नेहा सिंह राठौर की सोशल मीडिया पोस्ट न केवल प्रधानमंत्री का अपमान करती है, बल्कि इससे सामाजिक शांति भंग हो सकती है। उन्होंने त्वरित कानूनी कार्रवाई की मांग की है, ताकि इस तरह की भड़काऊ पोस्टों पर नियंत्रण लगाया जा सके।
वाराणसी के अलावा अन्य स्थानों पर भी शिकायतें
केवल वाराणसी ही नहीं, बल्कि काशी के विभिन्न थाना क्षेत्रों में भी नेहा सिंह राठौर के खिलाफ अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। ये सभी शिकायतें इसी प्रकार के आरोपों पर आधारित हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया और इससे जनता की भावनाएं आहत हुई हैं।
पहले भी विवादों में रह चुकी हैं नेहा सिंह राठौर
यह पहली बार नहीं है जब नेहा सिंह राठौर किसी कानूनी विवाद में फंसी हैं। अप्रैल महीने में भी हजरतगंज थाना, लखनऊ में उनके खिलाफ एक गंभीर मामला दर्ज किया गया था। उस समय का मामला पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा था, जिसमें उन्होंने सोशल मीडिया पर सरकार पर धार्मिक और जातिगत राजनीति करने का आरोप लगाया था।
उनका बयान था:
“पुलवामा की तरह पहलगाम का भी इस्तेमाल वोट बटोरने के लिए किया जाएगा।”
इस बयान पर कवि अभय प्रताप सिंह ने हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। आरोप था कि नेहा सिंह राठौर के ऐसे बयान देश विरोधी हैं और इससे सांप्रदायिक सौहार्द को ठेस पहुंचती है।
नेहा सिंह राठौर की पहचान और उनके विचार
नेहा सिंह राठौर एक लोकगायिका, कवयित्री और सोशल मीडिया एक्टिविस्ट के रूप में जानी जाती हैं। उनके द्वारा बनाए गए कई गाने और वीडियो सरकारी नीतियों और सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्य करते हैं। उन्हें एक विवादास्पद हस्ती माना जाता है, जो लगातार सत्ता पक्ष के खिलाफ खुलकर बोलती हैं।
उनके समर्थक उन्हें सच्चाई की आवाज़ कहते हैं, वहीं विरोधी उन्हें साजिशकर्ता और भ्रामक प्रचारक कहते हैं। इस बार का मामला बेहद संवेदनशील है क्योंकि इसमें देश के प्रधानमंत्री पर सीधा निशाना साधा गया है।
कानूनी विश्लेषण: BNS की धाराएं क्या कहती हैं
इस मामले में जिन धाराओं का इस्तेमाल किया गया है, वे निम्नलिखित हैं:
- धारा 197 (1)(a) – सरकारी अधिकारी के प्रति अपमानजनक वक्तव्य।
- धारा 197 (1)(d) – जानबूझकर सार्वजनिक भावनाएं भड़काने का प्रयास।
- धारा 353(2) – सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करना।
इन धाराओं के तहत कड़ी सज़ा का प्रावधान है और यदि दोष सिद्ध होता है, तो नेहा सिंह राठौर को लंबी अवधि तक जेल हो सकती है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और जनभावना
इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। बीजेपी समर्थक इसे देश के प्रधानमंत्री का अपमान मानते हैं, वहीं विपक्षी दलों के कुछ नेता इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला कह रहे हैं।
सोशल मीडिया पर दो वर्ग बन गए हैं – एक वर्ग नेहा के समर्थन में है तो दूसरा उनके खिलाफ। #IStandWithNeha और #ArrestNehaSinghRathore जैसे ट्रेंड्स ट्विटर पर छाए हुए हैं।
सोशल मीडिया पर प्रभाव और यूजर्स की प्रतिक्रिया
नेहा सिंह राठौर की सोशल मीडिया उपस्थिति काफी मजबूत है। उनके यूट्यूब चैनल और ट्विटर पर लाखों फॉलोवर्स हैं। उनकी हर पोस्ट पर हजारों की संख्या में प्रतिक्रियाएं आती हैं। यह मामला भी इंटरनेट पर वायरल हो गया है और इससे जुड़ी क्लिप्स तेजी से शेयर की जा रही हैं।
क्या कहती हैं नेहा सिंह राठौर
अब तक नेहा सिंह राठौर की तरफ से कोई औपचारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, उनके कुछ समर्थकों ने दावा किया है कि नेहा ने जो भी कहा वह व्यंग्यात्मक शैली में था और उसका उद्देश्य किसी को अपमानित करना नहीं था।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम देशहित
यह मामला एक बार फिर यह सवाल खड़ा करता है कि क्या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं तय होनी चाहिए? जब कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर जनता के प्रतिनिधियों के खिलाफ तीखी टिप्पणी करता है, तो वह सत्य की आवाज़ है या विघटनकारी सोच?
नेहा सिंह राठौर का मामला भारत में सार्वजनिक अभिव्यक्ति और कानून की सीमाओं के बीच के संघर्ष को उजागर करता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस कानूनी लड़ाई का अंत किस रूप में होता है।