डेस्क।कंगारू केयर नवजात शिशुओं के देखभाल की एक तकनीक है। खासकर उन शिशुओं के लिए जिनका वजन जन्म के समय काफी कम होता है।
इसमें बच्चों को माता-पिता सीने से चिपकाकर रखते हैं, जिससे उनकी गर्मी बच्चे के शरीर को मिलती है। इससे शिशु की सेहत सही रहती है। समय से पहले (प्रीमौच्योर) या समय पूरा होने के बाद जन्में बच्चों की देखभाल के लिए इस तकनीक का सहारा लिया जा है।
कौन दे सकता है कंगारू केयर?
आमतौर पर कंगारू केयर के लिए शिशु की मां सबसे सही व्यक्ति होती है लेकिन अगर किसी कारण वह ऐसा नहीं कर सकती तो शिशु के भाई-बहन, दादा-दादी, नाना-नानी, चाची, मौसी, बुआ, चाचा आदि में से कोई भी बच्चे को कंगारू केयर देकर मां की जिम्मेदारी उठा सकते हैं।
मगर, कंगारू केयर दे रहे व्यक्ति को स्वच्छता के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है जैसे- हर दिन नहाना, साफ कपड़े पहनना, हाथों को नियमित धोना, हाथों के नाखून काटे हुए और साफ हो।
कंगारू केयर को कब शुरू किया जा सकता है?
कंगारू केयर या त्वचा से त्वचा संपर्क तकनीक की शुरूआत बच्चे के जन्म से ही करनी चाहिए और आगे पूरी पोस्टपार्टम अवधि में इसे जारी रखा जा सकता है। रिसर्च के अनुसार, दुनियाभर में हर साल 2 करोड़ बच्चे कम वजन के साथ जन्म लेते हैं, जिनमें आधे से ज्यादा बच्चों की मौत हो जाती है। ऐसे में इस आसन व कम खर्च वाली तकनीक से प्री मेच्योर यानि कम वजन के 40 फीसदी बच्चों की जान बचाई जा सकती है।
कंगारू केयर की अविध कितनी होनी चाहिए?
कंगारू केयर तकनीक की अवधि शुरूआत में करीबन 30 से 60 मिनट होनी चाहिए। जब धीरे-धीरे मां व शिशु को इसकी आदत पड़ जाए और आत्मविश्वास आ जाए तो लंबे समय तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। कम वजन वाले शिशु के लिए जितने ज्यादा लंबे समय इसका इस्तेमाल किया जाए उतना अच्छा है। बच्चे को कंगारू केयर देते हुए मां खुद भी आराम कर सकती है या आधा लेटकर सो सकती हैं।
कंगारू केयर की प्रकिया
इसके लिए मां के स्तनों के बीच शिशु को रखकर उसका सिर एक तरफ झुका लें, ताकि वह आसानी से सां ले सके। बच्चे का पेट मां के पेट के ऊपर हो। साथ ही उसके हाथ व पैर मुड़े हुए हो। ‘कंगारू मदर केयर’ देते समय बच्चे को सिर्फ डायपर ही पहनाए। मां को भी ऐसे कपड़े पहनाएं जाे हैं, जो आगे की तरफ से खुला हो। इससे मां के सीने की गति व सांसों से बच्चे को गर्माहट मिलती है।
कंगारू केयर तकनीक से बच्चे को मिलेंगे ये फायदे
- शिशु की अच्छी देखभाल व उसे अपनेपन के एहसास करवाने के लिए यह सबसे बढ़िया तकनीक है। इससे बच्चा माता-पिता के साथ जुड़ाव महसूस करता है।
- इससे शिशु के मस्तिष्क का विकास होता है और भावनिक प्रतिभा के निर्माण को बढ़ावा मिलता है। आंखों से आंखों का कॉन्टैक्ट होते रहने से प्यार, अपनापन और विश्वास से सामाजिक प्रतिभा का भी विकास होने में मदद मिलती है।
इस तकनीक की मदद से स्तनपान को भी काफी बढ़ावा मिलता है। साथ ही यह शिशु के पोषण व विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देती है। - खासकर कम वजन के बच्चों और सर्दियों में शरीर का तापमान सही रखने के लिए यह तकनीक काफी मददगार है। साथ ही इससे शिशु लंबे समय तक शांत होकर सोते रहते हैं और फिर जागने पर कम रोते हैं।
- इस तरह की केयर वाले बच्चे ज्यादा स्वस्थ, होशियार होते हैं। साथ ही इससे शिशु का इम्यून सिस्टम भी सही रहता है।
- जब नवजात को ठंडा बुखार होता है उस दौरान नवजात को बुखार से बचाने के लिए कंगारू मदर केयर ट्रीटमेंट की सलाह दी जाती है।