भगवान श्री गणेश का विवाह किस से और कैसे हुआ ? और उनके विवाह में क्या रुकावटें आई…

SHUBHAM SHARMA
4 Min Read

भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र गणेश जी की पूजा सभी भगवानों से पहले की जाती है| प्रत्येक शुभ कार्य करने से पहले इन्हे ही पूजा जाता है| गणेश जी को गणपति के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि यह गणों के देवता है और इनका वाहन एक मूषक होता है| ज्योतिषी विद्या में गणेश जी को केतु के देवता कहा गया है|

- Advertisement -

📢 हमारे WhatsApp ग्रुप से जुड़ें

गणेश जी के शरीर की रचना माता पार्वती द्वारा की गई थी| उस समय उनका मुख सामान्य था, बिल्कुल वैसा जैसा किसी मनुष्य का होता है| एक समय की बात है माता पार्वती ने गणेश को आदेश दिया कि उन्हें घर की पहरेदारी करनी होगी क्योंकि माता पार्वती स्नानघर जा रही थी| गणेश जी को आदेश मिला की जब तक पार्वती माता स्नान कर रही है घर के अंदर कोई न आए| तभी दरवाज़े पर भगवान शंकर आए और गणेश ने उन्हें अपने ही घर में प्रवेश करने से मना कर दिया, जिसके कारण शिव जी ने गणेश का सर धड़ से अलग कर दिया| गणेश को ऐसे देख माता पार्वती दुखी हो गई| तब शिव ने पार्वती के दुख को दूर करने के लिए गणेश को जीवित कर उनके धड़ पर हाथी का सिर लगा दिया और उन्हें प्रथम पूज्य का वरदान दिया|

क्या आप जानते है गणेश जी का विवाह किस कारण नहीं हो पा रहा था: 

गणेश जी के दो दन्त भी थे जो उनके हाथी वाले सिर की सुंदरता बढ़ाते थे| किन्तु परशुराम के साथ युद्ध करने के कारण गणेशजी का एक दांत टूट गया था| तब से वे एकदंत कहलाए जाते है| दो कारणों की वजह से गणेश जी का विवाह नहीं हो पा रहा था| उनसे कोई भी सुशील कन्या विवाह के लिए तैयार नहीं होती थी| पहला कारण उनका सिर हाथी वाला था और दूसरा कारण उनका एक दन्त| इसी कारणवश गणेशजी नाराज रहते थे|

अब जानिए गणेश जी का विवाह किस से और कैसे हुआ:  

जब भी गणेश  किसी अन्य देवता के विवाह में जाते थे तो उनके मन को बहुत ठेस पहुँचती थी| उन्हें ऐसा लगा कि अगर उनका विवाह नहीं हो पा रहा तो वे किसी और का विवाह कैसे होने दें सकते है| तो उन्होंने अन्य देवताओं के विवाह में बाधाएं डालना शुरू कर दिया|

इस काम में गणेश जी की सहायता उनका वाहन मूषक करता था| वह मूषक गणेश जी के आदेश का पालन कर विवाह के मंडप को नष्ट कर देता था जिससे विवाह के कार्य में रूकावट आती थी| गणेश और चूहे की मिली भगत से सारे देवता परेशान हो गए और शिवजी को जाकर अपनी गाथा सुनाने लगे| परन्तु इस समस्या का हल शिवजी के पास भी नहीं था| तो शिव-पार्वती ने उन्हें बोला कि इस समस्या का निवारण ब्रह्मा जी कर सकते है|

यह सुनकर सब देवतागण ब्रह्मा जी के पास गए, तब ब्रह्माजी योग में लीन थे| कुछ देर बाद देवताओं के समाधान के लिए योग से दो कन्याएं ऋद्धि और सिद्धि प्रकट हुई| दोनों ब्रह्माजी की मानस पुत्री थीं|दोनों पुत्रियों को लेकर ब्रह्माजी गणेशजी के पास पहुंचे और बोले की आपको इन्हे शिक्षा देनी है| गणेशजी शिक्षा देने के लिए तैयार हो गए| जब भी चूहे द्वारा गणेश जी के पास किसी के विवाह की सूचना अति थी तो ऋद्धि और सिद्धि उनका ध्यान भटकाने के लिए कोई न कोई प्रसंग छेड़ देतीं थी| ऐसा करने से हर विवाह बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाता था|

परन्तु एक दिन गणेश जी को सारी बात समझ में आई जब चूहे ने उन्हें देवताओं के विवाह बिना किसी रूकावट के सम्पूर्ण होने के बारे में बताया| इससे पहले कि गणेश जी क्रोधित होते, ब्रह्मा जी उनके सामने ऋद्धि सिद्धि को लेकर प्रकट हुए और बोलने लगे कि मुझे इनके लिए कोई योग्य वर नहीं मिल रहा है| कृपया आप इनसे विवाह कर लें|

इस प्रकार गणेश जी का विवाह बड़ी धूमधाम से ऋद्धि और सिद्धि के साथ हुआ और इसके बाद इन्हे दो पुत्रों की प्राप्ति हुई जिनका नाम था शुभ और लाभ|

Share This Article
Follow:
Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *