Seoni, Barghat News : आदिम जाति सहकारी समिति में व्याप्त अनियमितताओं की जांच विगत छह माह से जारी है। चाहे वह धान शॉर्टेज की वसूली हो अथवा लाखों रुपये के खाली बारदानों में हुई हेराफेरी का मामला हो, यह सब सिर्फ विभागीय जांच की औपचारिकता में सिमटकर रह गया है। वैसे तो आदिम जाति सहकारी समिति में दर्जनों अनियमितताएँ हैं, जिनके चलते समिति को लाखों से करोड़ों रुपये की आर्थिक क्षति हुई है।
वर्तमान स्थिति में समिति घाटे के दौर से गुजर रही है। यहाँ तक कि समिति में कार्यरत कर्मचारियों को भी वेतन देने के लाले पड़े हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ, किसानों से जुड़ी इस समिति में निष्पक्ष कार्रवाई के बजाय केवल जांच के नाम पर स्वार्थ की रोटी ही सेकी जा रही है। किन्तु किसानों से जुड़ी इस संस्था को पटरी पर लाने के प्रयास सिर्फ जांच तक ही सिमटकर रह गए हैं।
सिवनी कलेक्टर के आदेश पर भी नहीं हुआ अमल
उल्लेखनीय है कि वैसे भी सहकारी समितियाँ किसी न किसी मामले में आए दिन सुर्खियों में बनी रहती हैं, किन्तु आदिम जाति सहकारी समिति के ज़िम्मेदारों से बारदानों तथा धान शॉर्टेज की वसूली के निर्देश जिला कलेक्टर से जारी होने के पश्चात भी सम्बंधित विभाग द्वारा पत्र पर अमल न होना, वैसे ही आदिम जाति सहकारी समिति लालपुर को चर्चित कर रहा है। जबकि जिला कलेक्टर से जारी पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि समिति के ज़िम्मेदारों से वसूली की कार्रवाई कर राशि मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन को उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए।
किन्तु एक वर्ष से ज्यादा का समय बीतने के बाद भी जिला कलेक्टर के पत्र पर कार्रवाई न होना विभागीय उदासीनता तथा निष्क्रियता को स्पष्ट प्रदर्शित करता है। वहीं सूत्रों की मानें तो उप पंजीयक सहकारिता सिवनी से जांच दल गठित कर जांच तो करवाई गई, किन्तु वसूली की कार्रवाई अब तक नहीं की गई। वहीं वर्तमान में भी समिति की केवल जांच की प्रक्रिया ही प्रारम्भ हो रही है।
ऐसी स्थिति में यह भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब जिला कलेक्टर के पत्र पर यह आलम है, तो सामान्य लोगों की शिकायत पर क्या सम्बंधित विभाग द्वारा कार्रवाई होती है? जबकि सहकारी समितियाँ किसानों से जुड़ी समितियाँ हैं, जहाँ हजारों की तादाद में और दर्जनों गांवों के किसानों का खाद, बीज से लेकर के सीसी लोन के रूप में लेनदेन चलता है। किसानों से जुड़ी समितियों की विभागीय उदासीनता के चलते यह स्थिति समझ से परे है।
खुले बाजार में बिक गए लाखों के खाली बारदाने
उल्लेखनीय है कि आदिम जाति सहकारी समिति लालपुर को विभिन्न धान उपार्जन केंद्रों में नए तथा पुराने बारदाने मध्य प्रदेश स्टेट सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन सिवनी से प्राप्त हुए थे, जिन्हें खरीदी उपरांत वापस करना था। किन्तु बचे हुए लाखों खाली नए तथा पुराने बारदाने खुले बाजार में ज़िम्मेदारों द्वारा बेच दिए गए। विक्रित बारदानों की राशि न तो समिति खातों में जमा की गई और न ही मध्य प्रदेश सिविल सप्लाईज कॉर्पोरेशन को जमा की गई।
ऐसी स्थिति में लाखों रुपये के खाली बारदानों की राशि की लेनदारी समिति के खाते में बढ़ती चली गई और समिति को मिलने वाला कमीशन भी नहीं मिल पाया। इसके चलते धीरे-धीरे ज़िम्मेदारों की कारगुजारियों और स्वार्थ के कारण समिति की आर्थिक स्थिति कमजोर होती चली गई और समिति के ज़िम्मेदार मालामाल होते चले गए।
धान शॉर्टेज की राशि भी लाखों में
उल्लेखनीय है कि आदिम जाति सहकारी समिति लालपुर द्वारा वर्ष 2022-23 में भी धान उपार्जन का कार्य किया गया था, जिसमें धारनाकला और धोबी सर्रा केंद्र में लगभग 1650 क्विंटल धान का शॉर्टेज देते हुए लगभग तैंतीस लाख रुपये की आर्थिक क्षति पहुँचाई गई। इस कारण से भी समिति को धान उपार्जन के कार्य के कमीशन से वंचित होना पड़ा है। धान उपार्जन की नीति और नियमों के आधार पर धान शॉर्टेज की राशि की वसूली धान खरीदी प्रभारी से होना सुनिश्चित है, किन्तु विभागीय सांठगांठ के चलते इस नियम पर आज तक ध्यान नहीं दिया गया। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत को उजागर करता है।
जबकि वास्तविकता पर ध्यान दिया जाए तो समिति को मिलने वाले कमीशन की राशि की धान शॉर्टेज की कहानी पहले ही समिति के ज़िम्मेदारों द्वारा तैयार की जा चुकी है, जिस पर विभाग द्वारा आज तक अमल नहीं किया गया। यही कारण है कि लालपुर ही नहीं, अपितु जिले की अधिकांश सहकारी समितियों में शॉर्टेज का दंश चलता आ रहा है, जिस ओर विभागीय उदासीनता समितियों को गर्त में ले जाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
एक नहीं अनेकों समितियाँ हैं इस दायरे में
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि लालपुर ही नहीं, अपितु अनेकों समितियाँ इस दायरे में आती हैं। किन्तु ज़िम्मेदार विभाग और अधिकारी अपनी स्वार्थ की नीति अपनाते हुए ठोस कार्रवाई से दूर हैं और जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं। जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण लालपुर है, जहाँ लगभग छह माह से जांच की खानापूर्ति की कार्रवाई जारी है।
दागदारों के हाथों सौंप दी समिति की कमान
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि IBPS फार्म इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल सिलेक्शन के तहत आदिम जाति सहकारी समिति लालपुर तथा बृहदाकार सहकारी समिति आष्टा में समिति प्रबंधक के रूप में अनामिका निकोषे तथा प्राची शर्मा द्वारा समिति प्रबंधक का प्रभार लेकर कार्य किया जा रहा था। किन्तु इनका अच्छा कार्य और किसानों को समय पर मिलने वाली सुविधाएँ और लाभ रास नहीं आया और इन्हें हटाकर दागदार समिति के पूर्व समिति प्रबंधक, जो अनियमितताओं के चलते निलंबित थे, उन्हें समिति का प्रभार देते हुए समिति प्रबंधक बना दिया गया।
जब इस संबंध में ज़िम्मेदार समिति के प्रशासक से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि नव नियुक्त समिति प्रबंधक का दो माह का प्रशिक्षण पूर्ण न होने के कारण उन्हें हटाया गया है। जबकि जिन्हें वर्तमान में समिति प्रबंधक का प्रभार सौंपा गया है, उनकी दर्जनों शिकायतों के चलते उन्हें निलंबित किया जा चुका है और वर्तमान में भी लाखों रुपये की रिकवरी उन पर शेष है।
बावजूद इसके उन पर मेहरबानी और वास्तव में जिसे समिति प्रबंधक के रूप में नियुक्त किया गया था, उसे हटाना विभागीय निष्क्रियता को प्रदर्शित करता है।अब देखना होगा की क्या जिले की संवेदनशील जिला कलेक्टर इस ओर ध्यान देकर कार्रवाई करेगी?