सिवनी: धारनाकला (एस.शुक्ला): चैत्र नवरात्र के पावन अवसर पर सप्तमी तिथी को राधे कृष्ण मन्दिर प्रांगण मे विराजित मां जगत जननी की महा आरती आस्था और भक्ति के साथ सम्पन्न हुई.
जिसमे ग्राम व आसपास के गावो से आई हुई शक्ति स्वरूपा माता बहनो ने एक स्वर मे मां जगत जननी मां अम्बे की महा आरती कर पुन्य लाभ भी अर्जित किया.
प्रसादी के रूप मे वितरित हुआ सोने का पेडल एवं चांदी के सिक्के
उल्लेखनीय है की मां जगत जननी के दरबार मे सैंकड़ों की तादाद मे शक्ति स्वरूपा माताओ और बहनो ने अपने अपने घरो से आरती की थाल सजाकर अपनी उपस्थिती देते हुए मां जगत जननी की महा आरती सम्पन्न की तथा आरती के बाद प्रसादी का वितरण किया गया.
दान दाताओं के द्वारा दिये गये चांदी के सिक्के तथा चांदी की बिछिया के साथ साथ सोने के पेडल प्रसादी का पैकेट तैयार कर उन महिलाओ को वितरण किया गया जो महिलाए आरती की थाल सजाकर जगत जननी के दरबार मे महा आरती मे उपस्थित थी.
इस तरह महा आरती मे 158 चांदी के सिक्के तथा 11 जोडी चांदी की बिछिया तथा सोने के पेडल तथा सोने की नथ प्रसाद के रूप मे महा आरती मे वितरण किया गया.
वर्ष 2002 से हुई है शुरूआत
उल्लेखनीय है की महा आरती की शुरूआत धारनाकला मे वर्ष 2002 से हुई है धारनाकला बस स्टेंड मै 1949 से स्थापित हो रही मां जगत जननी की प्रतिमा के पावन पर्व पर महा आरती प्रारम्भ की गई थी और आज मां अम्बे की यही महा आरती विशाल रूप परिणित हो चुकी है.
महाआरती का अनुशरण अब गाँव गाँव मे प्रारम्भ हो चुका है तथा भक्ति और श्रद्धा के साथ माता तथा बहनो के द्वारा महा आरती की जा रही है.
शारदीय नवरात्र पर वितरित हुई थी 1101 आरती थाल
उल्लेखनीय है की धारनाकला मे मां जगत जननी की आरती के लिये देवी भक्त अभिजीत जैसवाल के द्वारा अपनी माता मधुबाला जैसवाल की स्मृति मे 1101 आरती की थाल तथा पाच चांदी की आरतिया थाल भी वितरित करते महा आरती की गई थी जिससे धारनाकला मे मां जगत जननी का यह नवरात्र पर्व विशेश रूप से मनाया जाने लगा तथा नवरात्र पर्व का अनुशरण और महाआरती के महत्व को आस पास के ग्रामीण अंचलो मे भी समझते हुऐ महा आरती की जाने लगी है.
रामलीला के माध्यम से भगवान राम की कथा का अनुशरण
उल्लेखनीय है की राधे कृष्ण मन्दिर प्रांगण मे मां भगवती की स्थापना के साथ ही प्रथम दिन से ही प्रयाग राज से आये हुऐ कलाकारो के द्वारा रामलीला के माध्यम से जन समुदाय को भगवान राम की भक्ति तथा रामायण मे समाहित सार का श्रवण लगातार कराया जा रहा है.
यहा यह बताना भी लाजिमी है की रामानंद सागर द्वारा दिखाई गई रामायण के बाद अब दर्शको को रामलीला (नाटक) के माध्यम से रामायण देखने व सुनने का मौका मिला है जिसे जन समुदाय बडी उत्सुकता और लगन के साथ देख भी रहा है और सुन भी रहा है.
यहा यह बताना भी लाजिमी है की चैत्र नवरात्र पर प्रति दिन संगीत मय आरती तथा जस का गायन यहा लगातार हो रहा है तथा भक्तो के सहयोग से प्रसादी के रूप मे प्रति दिन भंडारा भी वितरण हो रहा है तथा भक्तो की अपार भीड जगदम्बा के दर्शन के लिये उमड रही है