सिवनी/कान्हीवाड़ा। मन में लगन और मजबूत इच्छाशक्ति हो तो कामयाबी जरूर मिलती है। कान्हीवाड़ा में घर-घर जाकर दूध बेचने वाले का 30 वर्षीय बेटा अमेरिका में वैज्ञानिक बना है जिसकी चहुओर प्रशंसा हो रही है।
प्रतिदिन गाय भैंसों की देखभाल करना और सुबह सवेरे 5-6 किलोमीटर तक साइकिल चलाकर घर-घर दूध पहुंचाना, कभी बारिश, कभी कड़ाके की ठंड लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी। खुद तंगी में जिए लेकिन बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी।
पिता का परिश्रम और त्याग बेटे कृष्ण कुमार ठाकुर के लिए प्रेरणा बना और आज 30 वर्षीय कृष्ण कुमार ठाकुर अमेरिकन गवर्नमेंट के प्रतिष्ठित संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ वाशिंगटन में वैज्ञानिक के रूप में चयनित हुए हैं।
यह कहानी है सिवनी जिले के कान्हीवाड़ा उप तहसील मुख्यालय से 3 किलोमीटर दूर स्थित सहजपुरी गांव के एक छोटे से किसान महेश ठाकुर और उनके बेटे कृष्ण कुमार ठाकुर की।
डॉक्टर के. के. ठाकुर ने अपनी हायर सेकेंडरी तक की शिक्षा कान्हीवाड़ा स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में की। इस दौरान वह और उनका भाई अजय ठाकुर अपने पिता महेश ठाकुर के साथ घर-घर जाकर दूध बेचने का कार्य करते थे जो इनके परिवार के लिए आय का साधन था।
होनहार बेटे को शिक्षा में किसी भी तरह की कमी ना हो इसलिए पिता ने दिन रात मेहनत की। स्कूल की पढ़ाई होते ही डॉ कृष्ण कुमार ठाकुर ने भोपाल से बी फार्मेसी की फिर GPAT की परीक्षा उत्तीर्ण कर NIPER गुवाहाटी से MS की डिग्री हासिल की।
कठिन परिश्रम के कारण डॉक्टर के. के. ठाकुर को आईआईटी गुवाहाटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में Phd में जगह मिल गई। इसके बाद अभी डॉक्टर के.के. ठाकुर का चयन अमेरिका के सरकारी संस्थान नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ वाशिंगटन में हुआ है वह यहां आगे की रिसर्च जारी रखेंगे।
डॉक्टर के के ठाकुर ने अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता के परिश्रम और त्याग को दिया है। जो अभी भी परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ग्राम सहजपुरी में निवास करते हैं।