सिवनी: क्रिकेट सट्टेबाजों के जाल में फंसे नेहरू रोड निवासी युवा दवा व्यापारी दीपक अग्रवाल ने कुछ दिनों पूर्व बीते शुक्रवार की रात्रि को बहुत ज्यादा मात्रा में नींद की गोलियों सहित अन्य नशीले पदार्थों का सेवन करके आत्महत्या का प्रयास किया।
उसे परिवार और परिचितों ने जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया, लेकिन हालत और बिगड़ने के कारण उसे नागपुर मेडिकल उपचार के लिए रेफर किया गया। वहां उसकी हालत में सुधार बताया गया है, लेकिन डॉक्टरों ने उसे कुछ दिनों तक उपचार के लिए भर्ती रखा है और स्थिति नॉर्मल होने में समय लगेगा।
दीपक अग्रवाल, जो 42 वर्षीय है, गुरुकृपा मेडिकल स्टोर का संचालक है और उसके दो छोटे बच्चे हैं। पिछले कुछ दिनों से उसे कर्जदारों की अनैतिक वसूली से परेशानी हो रही है और सट्टेबाजों के दैनिक ब्याज की राशि में फंसा हुआ है।
उसकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा सट्टे के कारोबारियों द्वारा जब्त किया गया है। उसकी मजबूरी को समझते हुए कुछ लोग ने उसे शराब आदि के बहाने नशेड़ी बनाकर उसकी संपत्ति को धोखे से लूट लिया है और उसे मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, सट्टेबाजों से दीपक अग्रवाल को लाखों रुपये का ब्याज रोजाना चुकाना पड़ रहा था और उनकी वसूली के लिए उन्होंने हर दिन अवैध तत्वों को भेजना था। दीपक अग्रवाल ने राशियों को देते रहकर अपनी संपत्ति की सुरक्षा करने की कोशिश की, लेकिन कर्ज कम नहीं हो रहा था, बल्कि बढ़ रहा था।
जानकारी के अनुसार, पीढ़ीवाले दीपक अग्रवाल ने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा बेच दिया है और हर दिन लाखों रुपये का ब्याज चुकाना शुरू कर दिया है। उससे ब्याज वसूलने वाले हर दिन लाखों रुपये ब्याज ले रहे हैं। अगर इस खबर में सच्चाई है, तो उसके पास आज भी बीस करोड़ रुपये से ज़्यादा का कर्ज है, जिसका ब्याज हर दिन लाखों में होता है।
जिन दिन ब्याज नहीं मिलता था, वह राशि दूसरे दिन मूलधन बन जाती थी और फिर उस राशि पर ब्याज चलने लगता था। हालांकि, अपनी सारी प्रयासों के बावजूद, उसका कर्ज उसे छोड़ने की संभावना नहीं बन रही थी, इसलिए उसने मजबूरी में आत्महत्या का कदम उठाया।
जानकारी के मुताबिक, दीपक अग्रवाल ने आत्मघाती कदम उठाए थे और पुलिस बयान करने के लिए भी जाने थे। लेकिन दीपक की हालत ठीक नहीं थी, इसलिए शायद वह बयान नहीं कर पाए। हालांकि, उनकी पत्नी ने बयान दिया है और उसमें उन्होंने कुछ ब्याजमाफियों के नामों का खुलासा किया है।
उसने बताया है कि कर्ज के चक्कर में उनकी सारी जेबर, जमीन और अन्य संपत्ति नष्ट हो गई है। पीड़ित पत्नी बहुत रो रही थी और बच्चे भी परेशान थे। रोते हुए पत्नी ने ब्याजमाफियों को कोस रही थी और अपस्पष्ट आवाज सुनाई दी, जिसके अनुसार ब्याजमाफियों ने उसके घर के सामान तक बेच दिए। लेकिन हमारे पति ने सिर्फ साख बचाने में लगे रहे और जब देने के लिए कुछ नहीं रहा, तो आज उन्होंने एक अप्रिय निर्णय लिया और आत्महत्या कर ली। हम उन्हें छोड़ने वालों को माफ नहीं करेंगे।
दीपक अग्रवाल ने क्रिकेट से संबंधित एक कर्ज लिया था, जिसकी रकम ब्याज के साथ बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। उसे उस कर्ज को चुकाने की स्थिति में सक्षम नहीं होने का सामना करना पड़ रहा है।
क्रिकेट के सट्टे का व्यापार नशेड़ी कारोबारी लोगों द्वारा बढ़ाया जा रहा है, जिससे अनेक परिवारों को नुकसान हो रहा है। इस अनैतिक कारोबार के खिलाफ कई बार समाचार में रिपोर्ट की गई है, लेकिन सट्टेबाजों पर कार्रवाई नहीं होने से युवाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है।
रिपोर्टों के अनुसार, इस कारोबार को आसामजिक तत्वों के द्वारा बढ़ावा मिल रहा है, और इन आसामजिक तत्वों के माध्यम से युवाओं को आटेरनेट के जाल में फंसाया जा रहा है, जहां उन्हें धन की वसूली के तरीके सिखाए जाते हैं। इससे कई परिवारों की स्थायी संपत्ति, जमा पूंजी के साथ ही धन भी हड़प जाता है।
क्रिकेट सट्टा और जुआखोरी के चक्कर में फंसे युवाओं में कर्जदार बनने की समस्या बढ़ रही है और वे अपने परिवार को मुसीबत में डालकर उन्हें बर्बाद कर रहे हैं। धन संपत्ति के साथ-साथ, अनेक परिवारों के युवाओं ने आत्महत्या कर ली है। इसके साथ ही, जब लोग अनैतिक व्यापार में फंसते हैं, तो उन्हें ब्याजमाफियाओं के कर्ज से भी परेशानी होती है, जिसके कारण कई लोग आत्महत्या कर रहे हैं।
क्रिकेट के सट्टे के साथ-साथ, नशे का व्यापार भी ज़िले में तेजी से फैल रहा है, और इस व्यापार में युवाओं को शामिल करके उन्हें इसका आदी बनाया जाता है। धीरे-धीरे, उन्हें आसामजिक तत्वों के चक्कर में फंसाकर उन्हें शारीरिक, आर्थिक, मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक रूप से तोड़ा जाता है। अनेक युवा इस चक्कर में फंसकर आत्महत्या या अपराधिक गतिविधियों की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं।