सिवनी: सिवनी के बोरदई आदिवासी कन्या परिसर में घटित हुई एक दर्दनाक घटना ने समूचे समाज को झकझोर कर रख दिया है। कक्षा 12वीं की छात्रा आकांक्षा भलावी ने आत्महत्या का प्रयास करते हुए हार्पिक का सेवन किया। इस घटना ने न केवल छात्रावास की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है।
प्रताड़ना के आरोप: एक छात्रा की व्यथा
आकांक्षा ने आत्महत्या के प्रयास से पहले एक गंभीर आरोप लगाया है कि उसे छात्रावास की अधिक्षिका और एक शिक्षक द्वारा प्रताड़ित किया गया। उसने बताया कि गलती से उसके पास उसके चाचा का मोबाइल चार्जर और छात्रावास की बेड शीट रह गई थी। इस मामूली बात को लेकर अधिक्षिका और शिक्षक ने उसके साथ दुर्व्यवहार किया, जिससे आहत होकर उसने यह घातक कदम उठाया।
छात्रा की स्थिति और उपचार
आकांक्षा की हालत गम्भीर बताई जा रही है और उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने उसकी स्थिति को नाजुक बताया है, और उसे बचाने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रशासन की चुप्पी और छात्रावास की व्यवस्थाओं पर उठते सवाल
इस घटना के बाद छात्रावास प्रबंधन और आदिवासी विकास विभाग के अधिकारियों ने चुप्पी साध रखी है। किसी भी अधिकारी ने इस घटना पर सार्वजनिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है, जिससे छात्रावास की व्यवस्थाओं और सुरक्षा पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
आदिवासी छात्रवासों की दशा: एक गहन विश्लेषण
आदिवासी छात्रवासों की स्थिति हमेशा से ही चिंताजनक रही है। इन छात्रवासों में बुनियादी सुविधाओं की कमी, अनुशासनहीनता और प्रशासनिक लापरवाही के मामले अक्सर सामने आते रहे हैं। आकांक्षा की घटना ने इन समस्याओं को फिर से उजागर कर दिया है। यह जरूरी है कि सरकार और संबंधित विभाग इन समस्याओं का समाधान करने के लिए ठोस कदम उठाएं।
समाज की भूमिका और हमारी जिम्मेदारी
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे समाज में ऐसी घटनाएं क्यों होती हैं और हम किस प्रकार से इन्हें रोक सकते हैं। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे छात्र-छात्राओं को एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिले, जहां वे बिना किसी डर के शिक्षा प्राप्त कर सकें।