सिवनी- (नन्दन श्रीवात्री)जरा जरा सी बात पर सबसे आगे आकर मंच लूटने वाले जिले के बहुचर्चित विधायक आखिर अपने विधानसभा क्षेत्र में हुए एक गंभीर और आपराधिक मामले में कैसे चुप्पी साधे बैठे हैं। अपने ही विधानसभा क्षेत्र में घटित एक प्रदेश स्तरीय मुद्दे को ना भुना पाना कांग्रेसी विधायक का दोहरा चरित्र दर्शाता है। कभी खुद ही वाट्सअप ग्रुप में अश्लीलता परोसकर बहुचर्चित हुए विवादास्पद विधायक हर स्तर पर जाकर अपनी राजनीति को दिनोंदिन निखारते चले जा रहे हैं। अपनी विधानसभा से परे हटकर प्रदेश स्तरीय राजनीति में उछल कूद कर छोटी से छोटी बात को सोशल मीडिया पर लाकर वाहवाही लूटने वाले विधायक को अपनी ही पार्टी के लिए लाभकारी मुद्दा मिलने के बाद भी चुप्पी साधे रहना आखिर क्या दर्शाता है…? क्या विधायक रजनीश सिंह को अपनी पार्टी और वरिष्ठ जनों पर भरोसा नहीं रहा या फिर इतने गंभीर मुद्दे को ना उठाकर भाजपा को लाभ पहुंचाकर अपनी जीत सुनिश्चित करने की कोई गुप्त योजना है। अब स्पष्ट है कि ठाकुर रजनीश सिंह अपनी कांग्रेस पार्टी के भरोसे नहीं बल्कि भाजपा के कृपा पात्र बनकर आगामी चुनाव जीतने की जुगत में हैं !
अपने ही विधानसभा में घटित ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर चुप्पी साधे रखने वाले युवा जुझारू विधायक जहां एक नाबालिग स्कूली छात्रा के साथ ऐसी घिनौनी हरकत वो भी एक जिम्मेदार और नामी व्यक्ति के द्वारा जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बार बार अपने प्रदेश के भांजे-भांजियों की सुरक्षा और उन पर आने वाली
कांग्रेस शासन काल में त्रिविभागीय मंत्री रह चुके स्व. हरवंश सिंह की राजनितिक विरासत को संभालने में नाकामयाब केवलारी विधानसभा क्षेत्र के युवा तुर्क विधायक ने बीतते पांच सालों के कार्यकाल में क्षेत्रीय जनता के हित और क्षेत्रीय विकास के लिए कभी भी सत्तारूढ़ भाजपा सरकार का विरोध तक नही किया क्योंकि वो जानते हैं कि विधानसभा चुनावों में भाजपा के कुछ स्थानीय नेता ही उनको अंदर से भरपूर समर्थन करते हैं। इसी एहसान के चलते कांग्रेस के विधायक रजनीश सिंह ने अपनी ही पार्टी और वरिष्ठजनों को भ्रम में रखकर इतने बड़े संवेदनशील मुद्दे को उठाने के बजाए अहसान का बदला चुकाकर इस मामले में कोई बयान या विज्ञप्ति ना तो सोशल मीडिया में और ना ही अखबारों के माध्यम से जारी किया। इससे प्रतीत होता है कि ठाकुर रजनीश सिंह का अपनी ही पार्टी और पार्टी के जिम्मेदार वरिष्ठजनों पर से विश्वास उठ गया है।
केवलारी का राजनितिक इतिहास गवाह है कि भाजपा के केंडिडेट भितरघात के कारण ही वर्षो से पराजित हो रहे है। इसी क्रम को आगे बढ़ाने के लिये रजनीश सिंह ने भाजपा की रीढ़ की हड्डी माने जाने संघ से जुड़े शिक्षक बाल गोविन्द दुबे के मामले पर मौन धारण कर रखा है। जबकि ऊक्त मुद्दा ना केवल नाबालिक बच्ची के साथ हुए मानसिक व दैहिक शोषण का था बल्कि ये एक ऐसा कृत्य था जिसका विरोध स्वयं भाजपा के पूर्व महामंत्री सन्तोष नगपुरे तक ने किया जबकि सत्ता में उनका ही दल सवालों के घेरे में आ गया था। इतना ही नहीं इश गंभीर मुद्दे को लेकर पूरे जिले में जमकर बयानबाजी होती रही और विरोध में विधानसभा मुख्यालय केवलारी कोना-कोना बंद रहा। सवाल यह है कि आखिर अपने ही विधानसभा क्षेत्र में घटित नाबालिग स्कूली छात्रा के साथ हुए गंभीर मामले को लेकर केवलारी में बुलाये गये बन्द के दौरान क्यों विधायक रजनीश सिंह नदारद रहे…? यहाँ तक कि वो एक बयान तक प्रेस को नहीं दे पाए जो इस कृत्य का विरोध करता दिखाई देता…?
सूत्रों की मानें तो संघ कैडर की ताकत रजनीश सिंह भलि भांति जानते हैं। जबकि उनकी ही पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लगातार प्रदेश में घटित हो रहे छेड़छाड़ बलात्कार जैसी घिनौनी हरकतों व घटनाओं को चुनावी मुद्दा बनाने में लगे हैं।
कुल मिलाकर एक बार फिर ठाकुर रजनीश सिंह ने पिछली विधानसभा चुनावों में संघ व भाजपा के उन कार्यकताओं का अहसान चुकया है जो भीतरघात कर उनकी मदद करते चले आ रहे हैं। अब देखना है कि भाजपा अपने इन भीतरघात करने वालों को किस तरह से सबक सिखाएगी।