सिवनी -भारत एक ऐसा देष है जो कई समस्याओं का दंष कई वर्षो से झेल रहा है, जिनमें आतंकवाद, नस्लवाद, जातिवाद, क्षेत्रीयवाद समाजवाद प्रमुख है । भारत की आजादी के समय जनसंख्या लगभग 39 करोड़ थी, जो 70 वर्षो मे बढ़कर लगभग 135 करोड़ हो गई , वर्ष 2011 की जनगणना मे 122 करोड़ के लगभग थी, विष्व की 760 करोड आबादी में 141 करोड़ चीन एवं 33 करोड़ अबादी अमेरिका की है, ज्ञात हो कि भारत में एक दिन में लगभग 49000 बच्चे जन्म लेते है, और 22500 लोग स्वर्ग सिधारते है, च्वचनसंजपवद हतवूजी 17ः से अधिक है जिसके कारण आवास की समस्या, पानी की समस्या, स्वास्थ्य की समस्या, खेती की समस्या, रोजगार की समस्या ने जन्म ले लिया साथ ही विष्व में नस्लवाद, आतंकवाद, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन आदि समस्याओं के साथ-साथ पर्यावारण असंतुलन सतत बन गया है ।
डी.पी.सी. रोल माॅडल के छात्रों ने इस अवसर पर जनसंख्या वृद्धि को सबसे बड़ी चुनौती बताया तथा प्रदेषवार आकड़े प्रस्तुत किये जिसमें सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्यों उत्तरप्रदेष एवं न्यूनतम जनसंख्या वाले लक्ष्यदीप, दमनदीप, दादर-नगार हवेली, अंडमान सिक्किम, चंढ़ीगढ की पृष्ठभूमि पर चर्चा की साथ ही अधिकमत जनसंख्या वाले प्रदेषों उत्तरप्रदेष, महाराष्ट्र, बिहार, पष्चिम बंगाल, मध्यप्रदेष, तमिलनाडू, राजस्थान कर्नाटक आदि प्रदेषों की समस्याओं को आधार बनाकर शांति-अषांति की दृष्टि से खाका तैयार किया, छात्र नमन सनोड़िया, कृष्णा गहलोद, अराध्य-अथर्व चतुर्वेदी, षिवा, गौरी आदि का कहना था कि जिन राज्यों में जनसंख्या कम है, उन राज्यों में शांति एवं प्राकृतिक संपदा की भरमार है, परन्तु जिन-जिन प्रदेषों में जनसंख्या वृद्धि सघन हो रही है वहाॅ लूटपाट, हत्या, बलात्कार, बलवा, एक्सीडेंट आदि घटनाओं में इजाफा हुआ ।
इस अवसर पर संस्था के चेयरमेन ने सरकार को जनसंख्या वृद्धि पर सख्त कानून बनाये जाने की आवष्यकता की बकालत की एवं चीन की तर्ज पर एक बच्चे के कानून को संसद से नियम बनाकर पारित कराकर कई समस्याओं जिनमें प्रमुख बेराजगारी, भुखमरी, नस्लवाद, आतंकवाद, आदि से मुक्ति का साधन बनाया जा सकता है ।
आवष्यकता है चीन जैसी दृढ़ इच्छा शक्ति की जहाॅं के कानून को अपनाकर दो से अधिक बच्चों की स्थिति में 50000/- वाािर्षक टेक्स की अवधारणा से देष को बचाया जा सकता है ।