सिवनी – भगवान श्रीकृष्ण की बाल लिलायें एवं उनके द्वारा समाज में एकता स्थापित करने के लिये जो प्रयास किये गये वह आज भी प्रासंगिक है बचपन उनका अटखेलियों में बीता एवं युवा अवस्था में उन्होंने जो कार्य किये वह आज भी प्रासंगिक है इसी बात को ध्यान में रखते हुये यादव महासभा द्वारा जन्माष्ठमी पर्व के अवसर पर अनेक आयोजन किये जाते है इसी तारतम्य में 3 सितम्बर को रैली का आयोजन किया गया जय अंबे सिक्यूरटी सर्विस के डायरेक्टर अरूण यादव ने कहा कि कृष्ण प्रत्येक युग के लिये आश्वस्ति है कर्म के प्रणेता है कृष्ण की प्रासंगिकता प्रत्येक युग में बनी रहती है |
एडव्होकेट अखिलेश यादव ने कहा कि कृष्ण कृतित्व में प्रत्येक युग के प्रश्रों के उत्तर और उसकी समस्याओं के समाधान है उनका व्यक्तित्व व कृतित्व इतना लचीला है कि वह प्रत्येक परिस्थिति में अनुकूल हो जाता है के के यादव सर ने कहा कि कृष्ण के जाने कितने नाम है, उनसे जुडी जाने कितनी लीलाएं है आख्यान है, दर्शन है, लेकिन ये सब उनकी देखने की भिन्न भिन्न दृष्टियां है वे तो अपनी अस्मिता में केवल चपल ग्वाले से लेकर महाभारत की गीता के आख्याता है वे एक साथ रोसश्वर भी है तथा योगेश्वर भी और इन दोनों स्वरूपों में वे परम विश्वसनीय है वे यशोदा को ाभी अपना ब्रहा स्वरूप दिखाते है और कुरूक्षेत्र में अर्जुन को भी लेकिन अंतत: अपनी मानवीय अस्मिता में लौट आते है विनोद यादव ने कहा कि मनुष्य की आस्था को यह जताने हेतु कि ईश्वर की नियति सच्चे मनुष्य होने में है यह सहज जिज्ञासा होती है अखिलेश यादव ने कहा कि आज के इस प्रगतिशील पल पल परिवर्तित होते समय में कृष्ण की इतनी स्मृति क्यों बनी रहती है उनकी छवि उनका कृतित्व क्यों हमारे मन से दूर करें नही हो पाता .