काँग्रेस के द्वारा 09 नवंबर को निकाली गयी नामाँकन रैली के बारे में यह चर्चा भी तेज हो गयी है कि इस रैली को आखिर निकाला क्यों गया था। इस रैली के रूट को लेकर भी तरह – तरह की चर्चाओं का बाजार गर्माया हुआ है, वहीं रैली के समापन के बाद काँग्रेस के प्रत्याशियों के द्वारा नामाँकन दाखिल नहीं किया जाना भी चर्चा का विषय बना रहा।
ज्ञातव्य है कि जिला काँग्रेस कमेटी के द्वारा पूर्व में विज्ञप्ति जारी कर कहा गया था कि काँग्रेस के चारों प्रत्याशियों के द्वारा 09 नवंबर को नामाँकन दाखिल करने के लिये रैली का आयोजन किया जायेगा। इस रैली के उपरांत चारों प्रत्याशियों के द्वारा नामाँकन दाखिल किया जायेगा।
बताया जाता है कि 11 बजे से आयोजित यह रैली नागपुर रोड स्थित काँग्रेस कार्यालय से आरंभ होकर महावीर मढ़िया, शंकर मढ़िया, नगर पालिका, बस स्टैण्ड, पोस्ट ऑफिस के सामने से एमएलबी मार्ग होकर गुजरने वाली थी। यह रैली निर्धारित समय पर आरंभ भी हो गयी थी।
काँग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि इस रैली में दो नेताओं को यह कहकर पहले ही कलेक्टर कार्यालय भेज दिया गया था कि वे किसी प्रत्याशी के प्रस्तावक हैं, इसलिये पहले जाकर फॉर्म आदि की जाँच कर लें। सूत्रों ने बताया कि कलेक्टर कार्यालय में 09 नवंबर को बार-बार उद्घोषणा होती रही कि अब फॉर्म भरने में एक घण्टा शेष है, अब तीस मिनिट शेष, अब पाँच मिनिट शेष और अब समय समाप्त हो गया।
सूत्रों ने बताया कि इसके बाद भी काँग्रेस की रैली निर्धारित स्थान तक नहीं पहुँच पायी। इसका कारण यह था कि काँग्रेस के प्रत्याशियों के द्वारा सुबह ही नामाँकन दाखिल करने के बाद वे रैली में शामिल हुए थे। वहीं, कार्यकर्त्ताओं के बीच चल रहीं चर्चाओं के अनुसार अगर प्रत्याशियों के द्वारा पहले फॉर्म भरकर रैली का आयोजन किया गया था तो यह रैली कलेक्टर कार्यालय से काँग्रेस कार्यालय के लिये प्रस्थान करना चाहिये थी न कि काँग्रेस कार्यालय से कलेक्टर कार्यालय के लिये!
रैली जब बस स्टैण्ड के आगे बढ़ी तब कार्यकर्त्ताओं के बीच यह चर्चा भी चलती रही कि इस रैली को नेहरू रोड, शुक्रवारी, जैन मंदिर, गणेश चौक के रास्ते ले जाया जाना चाहिये था। दलसागर तालाब के मुहाने वाली सड़क के दोनों ओर बसाहट नहीं होने से इस रैली के रूट पर भी अनेक कार्यकर्त्ताओं के द्वारा प्रश्न चिन्ह लगाये गये।
रैली के उपरांत कार्यकर्त्ताओं में यह चर्चा भी तेजी से चलती रही कि जब प्रत्याशियों को रैली के उपरांत नामाँकन दाखिल नहीं करना था तो रैली का आयोजन क्यों किया गया! कार्यकर्त्ताओं ने कहा कि यह तो शायद पहली ही बार हुआ होगा कि पहले नामाँकन दाखिल किया गया और बाद में नामाँकन रैली निकाली गयी हो!