SC ST Act: CM Shivraj Singh accepted the demand. Tweeted official statement by tweeted . MP NEWS
मध्यप्रदेश में स्थित बालाघाट जिले के अखबारों में सीएम शिवराज सिंह का एक बयान छपा है। बयान में शिवराज सिंह ने कहा है कि एससी एसटी एक्ट के तहत प्राप्त होने वाली शिकायतों में बिना जांच के गिरफ्तारी नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एससी एसटी एक्ट का दुरुपयोग नहीं होने देंगे और जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि इसी मांग को लेकर पूरे प्रदेश में लगातार विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह बयान सीएम शिवराज सिंह ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए दिया। हालांकि इसका कोई भी वीडियो सामने नहीं आया है।
खबर लिखते समय ही सीएम शिवराज सिंह का आधिकारिक बयान भी सामने आ गया है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा है एमपी में नहीं होगा SC-ST ऐक्ट का दुरुपयोग, बिना जाँच के नहीं होगी गिरफ़्तारी।
एमपी में नहीं होगा SC-ST ऐक्ट का दुरुपयोग, बिना जाँच के नहीं होगी गिरफ़्तारी।
— ShivrajSingh Chouhan (@ChouhanShivraj) 20 September 2018
पूरे प्रदेश में हो रहा है जबर्दस्त विरोध
एससी एसटी एक्ट में हुए संशोधन के बाद पूरे प्रदेश में जबर्दस्त विरोध हो रहा है। शुरूआत में भाजपा का मानना था कि समय के साथ यह विरोध समाप्त हो जाएगा परंतु यह लगातार बढ़ता ही जा रहा है। प्रदर्शनकारियों ने कोई हिंसक कार्रवाई भी नहीं की अत: आंदोलन को तोड़ना मुश्किल हो गया था। चुनाव सिर पर आ चुके हैं। माना जा रहा है कि इस तरह का बयान देकर विरोध को ठंडा करने की कोशिश की गई है।
क्यों हो रहा है विरोध
कांग्रेस ने 1989 में एट्रोसिटी एक्ट लागू किया। अनाक्षित जातियों की ओर से इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। वर्षों लम्बी प्रक्रिया के दौरान तथ्यों और प्रमाणों के साथ सुप्रीम कोर्ट में यह साबित किया गया कि भारत में एट्रोसिटी एक्ट का सर्वाधिक दुरुपयोग किया जा रहा है। याचिका में एट्रोसिटी एक्ट को समाप्त करने का निवेदन था। सुप्रीम कोर्ट ने एक्ट तो समाप्त नहीं किया लेकिन शिकायत मिलते ही एफआईआर और गिरफ्तारी की बाध्यता को खत्म कर दिया। निर्देशित किया कि शिकायत की जांच की जाए फिर एफआईआर और गिरफ्तारी हो।
जातिवाद की राजनीति करने वाले विभिन्न दलों, सांसदों एवं कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से नहीं रखा। नियमानुसार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की जानी चाहिए थी। अपील हुई भी लेकिन वोटबैंक को साधने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी सरकार ने अपनी विशेष शक्तियों का उपयोग किया और एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन विधेयक पेश कर दिया। संसद में इसे सर्व सम्मति से पारित कर दिया गया। अब अनारक्षित जातियों के लोग सवाल कर रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस तरह निष्प्रभावी क्यों किया गया। वो एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन का समर्थन करने वाले सांसदों और पार्टियों का विरोध कर रहे हैंं।