“कोरोना काल में मंदिर जाए बगैर कैसे करे महादेव को प्रसन्न”

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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कैलाशपति तो आदि, अनंत, अविनाशी और कल्याणस्वरूप है। वह सृष्टि के कण-कण में विद्यमान है। महाँकालेश्वर तो मृत्युलोक के देव के रूप में सदैव पूजनीय है। शिव वैसे तो केवल हमारे भाव के भूखे है, और आशुतोष तो मात्र एक लोटे जल को अर्पित करने से तत्काल प्रसन्न होकर इच्छित वरदान देने वाले देव है। महादेव तो ऐसे देव है जो सुलभता से मिलने वाले बिल्वपत्र, धतूरे, आंकड़े एवं पुष्पांजलि इत्यादि से भक्त की मनोकामना पूर्ण करते है। 06 जुलाई से श्रावण मास प्रारम्भ हो रहा है। इस कोरोना काल में गौरीशंकर को घर में रहकर की शिव मानस पूजन के द्वारा प्रसन्न किया जा सकता है।

रत्नैः कल्पितमासनं हिमजलैः स्नानं च दिव्याम्बरं।
नाना रत्न विभूषितम्‌ मृग मदामोदांकितम्‌ चंदनम॥

शिव मानस पूजा के द्वारा भक्त मात्र मानसिक रूप से ही शिव की भक्ति में अनवरत गोते लगाता है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है की अगर हम मानस पूजा के द्वारा एक पुष्प भी शिव को अर्पित करते है तो वह कई गुना अधिक फलदायी होता है, इसलिए श्रावण मास में अष्टमी, चतुर्दशी एवं श्रावण के सोमवार को मात्र शिव मानस पूजा से आप शिव की कृपा को सहज ही प्राप्त कर सकते है। साधक की अंतिम पराकाष्ठा मन को साधना ही है। भक्ति में भी यह सूत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है। मूलतः शिव मानस पूजा मानसिक भावों के द्वारा की गई शंभू नाथ कि आराधना है। भक्तवत्सल भगवान को अपने भक्त के भाव प्रिय होते है। इसमें मनोभावों के द्वारा भौतिक एवं द्रव्य सामग्री शिव को अर्पित की जाती है। मानस पूजा में शिव पूजन का विशेष स्थान है।

शिव मानस पूजन से साधक के व्यक्तित्व में अद्भुत विकास भी होता है। भक्त कुछ ही क्षणों में त्रिनेत्रधारी का सानिध्य प्राप्त कर लेता है। मन के भावों की माला दीनानाथ को अर्पित करने से वह शुभाशीष प्रदान करते है। यह भावनात्मक रूप से की गई स्तुति है जिसे कोई भी चाहे वह अमीर हो या अकिंचन कहीं भी सम्पन्न कर सकता है। यह एक श्रेष्ठतम आराधना का अनूठा स्वरूप है। मानसिक पूजन को ही शशि शेखर सहजता से स्वीकार करते है। भक्त भावों के द्वारा धूप, दीप, नैवेद्य से महेश्वर की प्रार्थना करते है। शिव मानस पूजा भावों और विचारों से ही शिव की स्तुति का श्रेष्ठ माध्यम है।

शास्त्रों में इस अप्रत्यक्ष पूजा को अत्यधिक महात्म्य दिया गया है क्योकि भोले नाथ इसमें केवल भाव को दृष्टिगत रखते है भौतिक संसाधनो को नहीं। इस स्त्रोत कि रचना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी, इसमें मुख्यतः 05 श्लोक वर्णित है जोकि भक्त की प्रत्येक मनोकामना को पूर्ण करने के लिए प्रभावी है। पुराणों में वर्णित शिव व्रत की कथा के अनुसार तो यह भी कहा गया है की अनायास ही यदि कोई भक्त शिव की साधना कर ले तो वह भी श्रेष्ठ फल प्राप्त कर सकता है। उमानाथ तो मात्र भाव से प्राप्त हो जाते है, आडंबर से उन्हें कोई सरोकार नहीं। इस पूजन के द्वारा भक्त मन से ही अपना सर्वस्व गिरिजापति को अर्पित कर देता है। भोलेनाथ की उदारता तो सर्वविदित है जिसके कारण ही वह नीलकंठ कहलाए। इस सृष्टि में ऐसा कोई भी भौतिक संसाधन नहीं है जो शिव शंभू को रिझा सकें। शिव मानस पूजा साधक के मन की एकाग्रता को भी बढ़ाती है। ध्यान का यह स्वरूप निश्चित ही सफलता का एक उन्नत सौपन भी है। मानसिक स्थिरता प्रदान करने का यह एक अदम्य स्त्रोत है। तो कोरोना काल में मंदिर जाए बगैर शिव मानस पूजन के द्वारा आह्वान कीजिए देवो के देव महादेव का।

कर चरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधम्‌।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व जय जय करणाब्धे श्री महादेव शम्भो॥

डॉ. रीना रवि मालपानी

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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