सिवनी। मध्यप्रदेश में लव जिहादियों पर कानून शिकंजा कस गया है। प्यार के नाम पर धोखा देकर विवाह करने या धर्मांतरण करने वालों के लिए मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश 2020 की अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिसूचना के साथ अब मध्यप्रदेश में यह कानून लागू हो गया है। मध्यप्रदेश में अब प्रलोभन देकर, बहलाकर, बलपूर्वक या धर्मांतरण करवाकर विवाह करने या करवाने वाले को 10 साल तक की सजा होगी।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा धर्म स्वातंत्रय अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने के 48 घंटे बाद से राज्य में लागू कर दिया गया। राज्यपाल ने गुरुवार को इस में हस्ताक्षर किए थे और शनिवार को इसका गजट प्रकाशन कर दिया गया। अब इसे विधेयक के रूप में छह माह में विधानसभा में पास कराना होगा। लव जिहाद गैर जमानती अपराध होगा। धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने व करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा। बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल की सजा होगी।
इस तरह के अपराध में सहयोगी मुख्य आरोपी होंगे। जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जाएगा। वही प्राप्त जानकारी के अनुसार भोपाल में धर्म बदलने के दबाव में युवती ने गुरुवार को खुदकुशी कर ली। डायल हंड्रेड सेंटर की टेलीकॉलर टीटी नगर निवासी 26 वर्षीय पूजा बरेले ने गुरुवार रात घर में फांसी लगाकर जान दे दी। पूजा ने सुसाइड नोट में आदिल खान को जिम्मेदार ठहराया है। आदिल ने अपना नाम बबलू बता कर उससे प्रेम किया था, लेकिन शादी के लिए धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने लगा। जिसके चलते पूजा व्यवस्थित हो गई और खुदकुशी कर ली।
सजा के प्रविधान – महिला, नाबालिक, अनुसूचित जाति, जनजाति के व्यक्ति का मतांतरण करवाने पर कम से कम 2 तथा अधिकतम 10 साल के कारावास की सजा होगी। जुर्माना भी 50 हजार रुपए से कम नहीं होगा। मतांतरण की शिकायत माता-पिता, भाई या बहन या रक्त, विवाह या दत्तक ग्रहण से संबंधित व्यक्ति करा सकेगा। धर्म छिपाकर विवाह करने वालों को कम से कम 3 साल की सजा। इसे बढ़ाकर 10 वर्ष तक किया जा सकता है।
जुर्माना 50 हजार रुपए से कम नहीं होगा। सामूहिक मतांतरण में कम से कम 5 साल की सजा। इसे 10 साल तक किया जा सकता है। जुर्माना कम से कम एक लाख होगा। धोखा देकर किए गए विवाह से उत्पन्न संतान को पिता की बारिश के तौर पर सभी अधिकार होंगे। विवाह शुन्य घोषित करने की स्थिति में भी बच्चे के अधिकार सुरक्षित रहेंगे। मतांतरण करने वाले व्यक्ति को 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को आवेदन देना होगा। इस मामले में कानून कार्रवाई होने पर आरोपित को अपने दोषी नहीं होने के साक्ष्य देने होंगे। उप निरीक्षक से नीचे का कोई भी पुलिस अधिकारी इस कानून में जांच नहीं करेगा।