TMBU : इन पीएचडी छात्रों को घर के अंदर भी नकल करने तक नहीं आती… दो साल में 372 पकड़े गए

By Khabar Satta

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भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (TMBU) में शोधार्थियों के थीसिस की जांच पिछले दो वर्षों से लगातार चल रही है। विश्वविद्यालय द्वारा बनाए नियमों के विपरीत लगातार कई संकायों के थीसिस में 35 प्रतिशत से ज्यादा नकल मिल रहे हैं। कुल मिलाकर कहा जाए तो भागलपुर विवि के पीएचडी छात्रों को घर के अंदर भी नकल करने नहींं आती है।

56 थीसिस नहीं थे मानकों के अनुसार

12 दिसंबर 2018 से दिसंबर 2020 तक विश्वविद्यालय में करीब 372 थीसिस की जांच हुई है। जिसमें 56 थीसिस मानकों के अनुसार नहीं थे। उनमे 35 प्रतिशत से ज्यादा नकल पकड़े गए। जिसे वापस विभाग को भेज दिया गया। जब उन विभागों ने दोबारा थीसिस जांच के लिए भेजा तो फिर से 10 थीसिस में 35 प्रतिशत से ज्यादा नकल मिले।

तीसरी जांच में भी चार थीसिस में पकड़े गए मानक से ज्यादा नकल

विभाग ने जब तीसरी बार थीसिस जांच के लिए भेजा तो उसमें चार ऐसे थीसिस थे जो तीसरी बार भी मानक पर खरे नहीं उतरे। ऐसे में विश्वविद्यालय द्वारा 442 बार थीसिस की जांच हो सकी है। इसके लिए सेंट्रल लाइब्रेरी डायरेक्टर डॉ. इकबाल अहमद डेली रिपोर्ट संबंधित विभागाध्यक्ष को भेजते हैं।

सोशल साइंस और कॉमर्स से सबसे ज्यादा थीसिस जांच

पिछले दो वर्षों में साइंस संकाय के 57, सोशल साइंस और कॉमर्स के 202, ह्यूमैनिटी के 108, लॉ में चार और एजुकेशन में एक थीसिस की जांच हुई है। डायरेक्टर डॉ. अहमद ने बताया कि लॉकडाउन के समय थीसिस जांच के लिए नहीं, अन्यथा संख्या और ज्यादा होती।

उरकुंड सॉफ्टवेयर से होती है जांच

डॉ. अहमद ने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की तरफ से इन्फ्लिबनेट द्वारा विश्वविद्यालय को उरकुंड सॉफ्टवेयर उपलब्ध कराया गया है। जिससे थीसिस जांच के अलावा शोधगंगा पर भी अपलोड करने की प्रक्रिया होती है। उन्होंने बताया कि विभाग से जो थीसिस जांच के लिए भेजी जाती है, उनकी सीडी को संबंधित सॉफ्टवेयर पर अपलोड कर दिया जाता है। सॉफ्टवेयर पूरी थीसिस की जांच कर अपनी फाइनल रिपोर्ट देता है। इसके बाद संबंधित विभाग

यूजीसी की गाइडलाइन का नहीं हो रहा पालन

थीसिस जांच में विश्वविद्यालय द्वारा 35 प्रतिशत नकल को मान्य किया गया। जबकि यूजीसी की गाइडलाइन है कि 10 प्रतिशत नकल ही माना जाएगा। इससे ज्यादा नकल होने पर थीसिस को वापस करने का प्रावधान किया गया है। हाल ही में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने भी थीसिस जांच की प्रक्रिया में यूजीसी के गाइडलाइन का पालन नहीं होने पर आपत्ति की थी। उन्होंने इस प्रक्रिया में यूजीसी की गाइडलाइन को फॉलो करने का निर्देश दिया है।

हालांकि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने बताया कि अभी जो जांच चल रही है। उसमें पूरे थीसिस की जांच की जाती है। उसमें 35 प्रतिशत से ज्यादा नकल मिलने पर वापस किया जाता है। जबकि यूजीसी गाइडलाइन के मुताबिक इसमें कई सामग्रियों को छोड़कर जांच की जाती है। उसमें से 10 प्रतिशत नकल मिलने पर वापस किया जाना है।

Khabar Satta

खबर सत्ता डेस्क, कार्यालय संवाददाता

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