नई दिल्ली। करीब 14 साल पहले इंडिया गेट पर सुबह के समय एक पोर्शे कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने बीमा दावे को नामंजूर करने के बीमा कंपनी के फैसले को सही ठहराया है। अदालत ने कहा कि कार चालक ने शराब पी रखी थी, ऐसे में बीमा कंपनी द्वारा दावे से मुकरना उचित है। यह लक्जरी कार पर्ल बेवरेजेज लिमिटेड कंपनी की थी। इसे अमन बांगिया चला रहा था। कथित तौर पर वह कार को बेतरतीब ढंग से चला रहा था। तभी कार इंडिया गेट पर चिल्ड्रन पार्क के पास फुटपाथ से टकराकर क्षतिग्रस्त हो गई जिसके बाद उसमें आग लग गई थी। यह हादसा 22 दिसंबर, 2007 को सुबह-सुबह हुआ था।
एनसीडीआरसी ने बीमा कंपनी के फैसले को ठहराया था गलत
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एनसीडीआरसी) के फैसले को खारिज कर दिया। एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा था कि बीमा कंपनी इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस लिमिटेड इस मामले में बीमा अनुबंध की धारा (2सी) का सहारा लेते हुए किसी व्यक्ति के शराब या कोई अन्य नशीला पदार्थ लेकर वाहन चलाने के आधार पर बीमा दावे को खारिज नहीं कर सकती। एनसीडीआरसी ने अपने फैसले में कहा था कि बीमा कंपनी द्वारा दावा खारिज करना गलत था। इससे पहले राज्य उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग (एसीडीआरसी) ने कार की मालिक कंपनी की शिकायत को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि इस बात के प्रमाण हैं कि कार चलाने वाला व्यक्ति शराब के प्रभाव में था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जोसेफ ने एनसीडीआरसी के आदेश के खिलाफ 181 पृष्ठ का फैसला लिखा।
ड्राइवर ने पी थी शराब, बीमा कंपनी का दावे को खारिज करना सही
अदालत ने अपने फैसले में ब्रिटेन, स्काटलैंड और अमेरिका जैसे देशों में कानून, चिकित्सा प्रमाण और व्यवहार का उल्लेख किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि कार चलाने वाले व्यक्ति ने कितनी शराब पी थी, उसकी जानकारी नहीं है। लेकिन यह तथ्य है कि उससे शराब की दुर्गंध आ रही थी। इस पर कोई विवाद नहीं है। इस संबंध में एफआइआर और एमएलसी के तथ्यों. में यह कहा गया है कि घटना 22 दिसंबर, 2007 की सुबह सुबह हुई। यह भी इसमें स्पष्ट है कि घटना इंडिया गेट के आसपास हुई है। पोर्शे कार में बहुत शक्तिशाली इंजन है, वह बड़ी ताकत के साथ फुटपाथ से टकराया, उसके बाद कार पलट गई और बाद में उसमें आग लग गई।