सिद्धू की सियासी हसरत तो हुई पूरी, बड़ा सवाल क्‍या ‘गुरु’ की भाजपा में होगी वापसी

SHUBHAM SHARMA
By
SHUBHAM SHARMA
Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
7 Min Read

चंडीगढ़। Navjot Singh Sidhu back in BJP: इसे राजनीति का खेल ही कहेंगे कि व्‍यक्ति की हसरत पूरी होती है, लेकिन यह उसे इसका लाभ नहीं होता। ऐसी ही हालत मेें पंजाब के फायर ब्रिगेड नेता नवजाेत सिंह सिद्धू की है। भारतीय जनता पार्टी में रहते हुए नवजाेत सिंह सिद्धू और उनकी पत्‍नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू शिअद-भाजपा गठबंधन को तोड़ने के लिए सक्रिय रहे और जाेर-शोर से इसकी मांग उठाते रहे। उन्‍होंने भाजपा छोड़ने का यही मुख्‍य कारण बताया था। अब जबकि भाजपा-शिअद का गठजोड़ टूूट चुका है तो सिद्धू दंपती भाजपा से दूर हैं। ऐसे में फिर सिद्धू काे लेकर चर्चाएं शुरू हाेती दिख रही है। बड़ा सवाल है कि क्‍या इस घटनाक्रम का ‘गुरु’ सिद्धू को इसका कितना लाभ मिलेगा।

भाजपा में रहते हुए करते थे शिअद से नाता तोडऩे की वकालत, इस मुद्दे पर छोड़ी थी पार्टी

शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी के बीच 24 साल पुराना गठबंधन टूटने के चौबीस घंटे बाद भी पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू शांत हैैं। लेकिन, राजनीतिक हलकों में इस बात को लेकर चर्चा है कि गठबंधन टूटने पर वह सबसे ज्यादा खुश होंगे। वहीं, सिद्धू के अगले कदम पर भी राजनीति की जानकारी रखने वालों की नजरें टिक गई हैैं। सवाल उठ रहा है कि क्‍या सिद्धू के भाजपा में एक बार फिर लौटने की कोई राह निकलेगी।

सिद्धू भाजपा में रहते हुए लगातार यही मांग उठाते रहे कि भाजपा, अकाली दल से अपना गठबंधन तोड़ दे। भाजपा ने अपने सबसे तेजतर्रार नेता को छोड़ दिया लेकिन शिरोमणि अकाली दल का साथ नहीं छोड़ा। सिद्धू पार्टी को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और विधायक बनने के बाद मंत्री भी बन गए। परंतु यहां भी उनकी दाल ज्यादा हर समय तक नहीं गली। डेढ़ साल में वह पार्टी के हाशिए पर चले गए। पिछले इतने ही अरसे से वह गुमनामी के अंधेरे रहे हैं। आगे की रणनीति के बारे में कोई पत्ते नहीं खोल रहे हैं।

कांग्रेस में भी ज्यादा नहीं हैं सक्रिय, नए कदम पर सबकी नजर
अब जबकि शिरोमणि अकाली दल का भाजपा के साथ गठबंधन टूट गया है तो राजनीतिक हलकों में उनके फिर से भाजपा में जाने की चर्चाएं होने लगी हैं लेकिन जानकारों का मानना है कि यह इतना आसान नहीं है। दरअसल, पिछले तीन सालों में नवजोत सिंह सिद्धू ने जिस तरह से अपना पाकिस्तान प्रेम, इमरान खान प्रेम जताया है उससे भाजपा के नेता खासे नाराज हैं क्योंकि यह पार्टी की नीति में फिट नहीं बैठता।

अब इन नए कृषि विधेयकों को लेकर भी नवजोत सिद्धू लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। अपने आप को प्रांतीय नेता के रूप में उभारने का काम कर रहे हैं। सिद्धू के बारे में लगातार इस तरह की अटकलें चलीं कि वह कभी भी कांग्रेस को अलविदा कहकर आम आदमी पार्टी का दामन पकड़ सकते हैं और इन अटकलों पर अभी विराम नहीं लगा है। अब अकाली-भाजपा गठबंधन टूटने के बाद उनके फिर से भाजपा में जाने की अटकलें शुरू हो गई हैं।

दरअसल, भाजपा के पास भी कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसे आगे कर भाजपा पंजाब में राजनीतिक लड़ाई लड़ सके। ऐसे में सिद्धू के पास एक अच्छा मौका हो सकता है। उनके बारे में यह भी कहा जा रहा है कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बहुत बोला था इसलिए उनके भाजपा में जाने के रास्ते बंद हो गए हैं।

सिद्धू के भाजपा में लौटने के पीछे ये तर्क भी दिए जा रहे-

नवजाेत सिंह सिद्धू ने भारतीय जनता पार्टी छोड़ने के बाद भी काफी दिनों तक भाजपा पर अधिक हमला नहीं किया। काफी समय तक वह भाजपा खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में किसी तरह की टिप्‍पणी करने से बचते रहे। इस पर उनकी नई पार्टी कांग्रेस में भी सवाल उठने लगे तो ‘गुरु’ सिद्धू ने भाजपा और कभी अपना रोल मॉडल रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बयान देने शुरू कर दिए।

बाद में भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले के दौरान अपनी ‘आदत’ के मुताबिक सिद्धू ने कई बार शब्‍दों की सीमाओं काे भी पार कर दिया। वैसे ‘गुरु’ सिद्धू के बारे में कहा जाता है कि जब वह रौ में आते हैं तो फिर शब्‍दों की सीमाएं उनके लिए अधिक मायने नहीं रखती। यही बिंदू सिद्धू के भाजपा में लाैटने की संभावनाओं को लेकर नकारात्‍मक पहलू माना जा रहा है, लेकिन सिद्धू के समर्थन में यह तर्क भी दिया जा रहा है कि सियासत में इस तरह के बयान सामान्‍य बात है

सिद्धू के भाजपा में लौटने की संभावना जताने वाले यह भी तर्क देते हैं कि नवजोत भाजपा में थे तो उन्‍होंने कांग्रेस और गांधी परिवार पर खूब हमले किए थे। इस दौरान उन्‍होंने सोनिया गांधी पर भी खूब निशाने साधे थे। सिद्धू ने तो कांग्रेस को एक फिल्‍मी गाने का भी हवाला देकर भी जुबानी हमले में हदें पार कर दी थीं, लेकिन वह कांग्रेस में आए तो ये मुद्दे समस्‍या नहीं बने।

इसके साथ ही यह भी तर्क दिया जा रहा है कि सिद्धू राजनीति में भाजपा के जरिये ही आए थे और नरेंद्र मोदी को अपना रोल मॉडल बताते थकते नहीं थे। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे तो एक समय गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार किे लिए सिद्धू टीवी के मशहूूर टीवी शो बिग बॉस से बाहर आ गए थे। यह भी तर्क दिया जा रहा है कि भाजपा में कई वरिष्‍ठ नेताओं से अब भी सिद्धू क अच्‍छे रिश्‍ते हैं। दूसरी ओर, जानकार पंजाब में कृषि विधेयकाें को लेकर पैदा हालात और किसानों के समर्थन में सिद्धू के पिछले दिनों प्रदर्शन में शामिल होने के कारण उनके भाजपा में लौटने की संभावना को खारिज कर रहे हैं।

Share This Article
Follow:
Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.