Bihar Caste Census Survey: बिहार की सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Election 2024) से कुछ महीने पहले आज, यानी 2 अक्टूबर को, जो कि गांधी जयंती है, के दिन जाति के आधार पर जनगणना (Bihar Caste Census Survey) के आंकड़ों को सार्वजनिक कर दिया है।
बिहार में जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census Survey) से पता चला कि बिहार राज्य की आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का भाग 63 प्रतिशत है। जनगणना से यह भी पता चला कि किस जाति और धर्म में कितनी आबादी है।
बिहार में जाति आधारित जनगणना (Bihar Caste Census Survey) के अनुसार, 13 करोड़ की आबादी में अनुसूचित जाति के आकड़े 19 प्रतिशत से अधिक हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति की संख्या 1.68 प्रतिशत है।
Bihar Caste Census Survey: जनगणना से प्राप्त जानकारी
इस जनगणना से पता चला कि बिहार राज्य की आबादी में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) का भाग 63 प्रतिशत है। जनगणना से यह भी पता चला कि किस जाति और धर्म में कितनी आबादी है। यह आंकड़े समाज की वास्तविक संरचना को समझने में मदद करते हैं और नीतिगत फैसलों के लिए महत्वपूर्ण हैं।
जनगणना के अनुसार, 13 करोड़ की आबादी में अनुसूचित जाति के आकड़े 19 प्रतिशत से अधिक हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति की संख्या 1.68 प्रतिशत है। यह आंकड़े समाज में समानता के प्रति विचार को प्रोत्साहित कर सकते हैं और न्याय की दिशा में कदम उठाने में मदद कर सकते हैं।
बिहार में जाति के आधार पर जानकारी के रूप में कुछ आंकड़े इस प्रकार हैं:
- पिछड़ा वर्ग का भाग 27 प्रतिशत है।
- ईबीसी का भाग 36 प्रतिशत है।
- उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के समुदाय का भाग 14 प्रतिशत है।
- भूमिहारों की आबादी 2.86 प्रतिशत है।
- कुर्मी की आबादी 2.87 प्रतिशत है।
- ब्राह्मणों की संख्या 3.66 प्रतिशत है।
- मुसहर का भाग 3 प्रतिशत है।
- राजपूत की आबादी 3.45 प्रतिशत है।
इसके साथ ही, बिहार में विभिन्न धर्मों से जुड़े आंकड़े भी सार्वजनिक कर दिए गए हैं:
- हिन्दू धर्म के अनुसार 81.99% लोग हैं।
- मुसलमानों का भाग 17.70% है।
- ईसाई धर्म के अनुसार 0.05% हैं।
- बौद्ध धर्म के अनुसार 08% हैं।
- सिख धर्म के अनुसार 0.011% हैं।
- कोई धर्म नहीं अपनाने वाले लोगों का भाग 0.0016% है।
बिहार के मुख्यमंत्री नितेश कुमार ने ट्वीट करके बताया कि जाति के आधार पर जनगणना का कार्य शुरू किया गया था और इससे न केवल जातियों के बारे में जानकारी मिली, बल्कि सभी वर्गों की आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी मिली। इसके आधार पर सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए कदम उठाने का प्रस्ताव बनाया जाएगा।
जाति जनगणना महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे समाज में जातिवाद की दिशा में सुधार करने का मौका मिलता है और सभी वर्गों की आर्थिक स्थिति को समझने में मदद मिलती है।
जाति जनगणना के परिणाम समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, जैसे कि सामाजिक समानता और विकास की दिशा में मदद कर सकते हैं।
जाति जनगणना को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले किया गया ताकि नीतिगत फैसलों के लिए समय रहे और समाज को सामाजिक और आर्थिक सुधार की दिशा में आगे बढ़ा सका जाए।
हां, इस जनगणना का सटीक और प्रामाणिक होना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय और समानता की दिशा में मदद कर सकता है।
इस जनगणना के परिणामों का लाभ समाज के सभी वर्गों को होगा, जैसे कि सामाजिक समानता के प्रति विचार बढ़ावा देने के रूप में।