नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने अग्निपथ योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने केंद्र की अग्निपथ योजना के खिलाफ दायर सभी 23 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि योजना में दखल देने का कोई कारण नहीं है।
दिल्ली उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने केंद्र की अग्निपथ योजना को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
केंद्र सरकार ने सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए पिछले साल 14 जून को अग्निपथ योजना शुरू की थी। योजना के नियमानुसार साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष के आयु वर्ग के लोग इस योजना के तहत देश प्रहरी के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। उन्हें चार साल के कार्यकाल के लिए सेना में शामिल किया जाएगा। हालांकि, अग्निपथ योजना शुरू होने के बाद कई राज्यों में इस योजना का जबरदस्त विरोध हुआ। इसके खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गईं।
योजनान्तर्गत कुल अग्निशामकों में से 25 प्रतिशत की सेवा नियमित की जायेगी। बाकी को भविष्य के लिए प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी जाएगी।
उन्हें एकमुश्त रकम भी मिलेगी। उनमें से कई को केंद्रीय बलों, पुलिस बल और अन्य विभागों में भर्ती प्रक्रिया के तहत कुछ छूट यानी रियायत और वरीयता मिलेगी। हालांकि, अग्निपथ योजना शुरू होने के बाद कई राज्यों में इस योजना का जबरदस्त विरोध हुआ। बाद में सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा को बढ़ाकर 23 वर्ष कर दिया।
बता दें कि सरकार ने हाल ही में अग्निपथ योजना के तहत भर्ती नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इसके तहत आईटीआई-पॉलिटेक्निक पास आउट आवेदन कर सकेंगे। सेना ने अग्निपथ भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए योग्यता मानदंड बढ़ा दिया है। अग्निपथ भर्ती में प्री स्किल्ड युवा भी भाग ले सकेंगे।
आईटीआई-पॉलिटेक्निक पास आउट टेक्निकल ब्रांच में आवेदन कर सकेंगे। इससे पूर्व कुशल युवाओं को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा। इतना ही नहीं, इससे ट्रेनिंग का समय भी कम हो जाएगा। इस बड़े बदलाव के बाद अब और युवा उम्मीदवारों को योजना से जुड़ने का मौका मिलेगा.