धनतेरस 2021: इस दिन यमराज को दीपदान करने से खत्म होता है अकाल मृत्यु का भय…

SHUBHAM SHARMA
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धनतेरस पर्व इस बार 2 नवंबर को है और इसमें एक ही दिन का समय रह गया है इस दिन खरीदी करने की परंपरा है ऐसा माना गया है कि इस दिन खरीदा गया सामान का क्षय नहीं होता।

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खरीदी करने के अलावा इस अवसर पर यम-दीपदान जरूर करना चाहिए। पुराणों के अनुसार इस दिन ऐसा करने से अकाल मृत्यु का डर खत्म होता है।

पूरे वर्ष में एक मात्र यही वह दिन है, जब मृत्यु के देवता यमराज की पूजा दीपदान करके की जाती है। कुछ लोग ‘नरक चतुर्दशी’ के दिन भी दीपदान करते हैं। जिसे छोटी दीपावली भी कहा जाता है।

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धनतेरस के बारे में खास बातें

  1. स्कंदपुराण के अनुसारकार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां निशामुखे ।
    यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनिश्यति ।। अर्थ- कार्तिक मासके कृष्णपक्ष की त्रयोदशी के दिन सायंकाल में घर के बाहर यमदेव के उद्देश्य से दीप रखने से अपमृत्यु का निवारण होता है।
  2. पद्मपुराण के अनुसारकार्तिकस्यासिते पक्षे त्रयोदश्यां तु पावके।
    यमदीपं बहिर्दद्यादपमृत्युर्विनश्यति।।
    अर्थ- कार्तिक के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को घर से बाहर यमराज के लिए दीप देना चाहिए, इससे दुर-मृत्यु का नाश होता है।
  3. पुराणों में वर्णित कथा के अनुसारएक समय यमराज ने अपने दूतों से पूछा कि क्या कभी तुम्हें प्राणियों के प्राण का हरण करते समय किसी पर दयाभाव भी आया है, तो वे संकोच में पड़कर बोले- नहीं महाराज! 
    • यमराज ने उनसे दोबारा पूछा तो उन्होंने बताया कि एक बार एक ऐसी घटना घटी थी, जिससे हमारा हृदय कांप उठा था। 
    • हेम नामक राजा की पत्नी ने जब एक पुत्र को जन्म दिया तो ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि यह बालक जब भी विवाह करेगा, उसके चार दिन बाद ही मर जाएगा। 
    • यह जानकर उस राजा ने बालक को यमुना तट की एक गुफा में ब्रह्मïचारी के रूप में रखकर बड़ा किया। एक दिन जब महाराजा हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी तो उस ब्रह्मïचारी युवक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया। 
    • चौथा दिन पूरा होते ही वह राजकुमार मर गया। अपने पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलखकर रोने लगी। उस नवविवाहिता का करुण विलाप सुनकर हमारा हृदय भी कांप उठा।
    • उस राजकुमार के प्राण हरण करते समय हमारे आंसू नहीं रुक रहे थे। तभी एक यमदूत ने पूछा – क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है? इस पर यमराज बोले- एक उपाय है।
    • अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजन और दीपदान विधिपूर्वक करना चाहिए। जहां यह पूजन होता है, वहां अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता। कहते हैं कि तभी से धनतेरस के दिन यमराज के पूजन के बाद दीपदान की परंपरा प्रचलित हुई।
       
  4. कैसे करें दीपदानवैसे तो धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और घर के अंदर भी 13 दीप जलाने होते हैं। ये काम सूरज डूबने के बाद किया जाता है। लेकिन यम का दीया परिवार के सभी सदस्यों के घर आने और खाने-पीने के बाद सोते समय जलाया जाता है। 
    • इस दीप को जलाने के लिए पुराने दीप का इस्‍तेमाल करें। उसमें सरसों का तेल डालें और रुई की बत्ती बनाएं। घर से दीप जलाकर लाएं और घर से बाहर उसे दक्षिण की ओर मुख कर नाली या कूड़े के ढेर के पास रख दें।
    • साथ में जल भी चढ़ाएं और बिना उस दीप को देखे घर आ जाएं। दीपदान करते समय यह मंत्र बोलना चाहिए-
    मृत्युना पाशहस्तेन कालेन भार्यया सह।
    त्रयोदश्यां दीपदानात्सूर्यज: प्रीतयामिति।।
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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