सिवनी: मध्य प्रदेश के सिवनी जिले में स्कूल चले हम अभियान फिसड्डी साबित हो रहा है, मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश के अनेको जिलों में यही हाल है पर आज हम बात कर रहे है सिवनी की जहाँ अनेकों ग्रामीण इलाकों में तो मासूम बच्चों के माता-पिता अपने बच्चों की जान जोखिम में डालकर स्कूल भेज रहे है, जी हाँ ये बिलकुल सही है. यहाँ के स्सिकूल की हालत इतनी बदतर हो चुकी है की इस आदिवासी क्षेत्र में अब नया स्लोगन सुनने मिलता है… जर्जर स्कूल चले हम. दरअसल सिवनी जिले के आदिवासी इलाके में एक स्कूल 35 साल पुराने भवन में संचालित है, जो की अब खंडहर हो चुका है।
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार छात्र-छात्राओं को स्कूल में प्रवेश और शिक्षा के लिए अनेकों प्रकार की योजनाएं संचालित कर रही है और इन सभी योजनाओं में शिक्षा विभाग का स्कूल चले हम स्लोगन भी तैयार किया गया है पर सिवनी जिले के आदिवासी बहुल विधानसभा क्षेत्र में स्कूल की हालत जर्जर होने पर इस स्लोगन को एक नया नाम दिया गया है… जर्जर भवन स्कूल चले हम, आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र का यही है चलन।
असल में सिवनी जिला मुख्यालय से करीब 140 कि.मी. दूर सिवनी जबलपुर बॉर्डर (Seoni Jabalpur Border) पर स्थित बरगी डैम (Bargi Dam) से स्थापित ग्राम बिजासेन स्थित है, इस गांव में बच्चों के लिए कक्षा 1 से लेकर 8 तक स्कूल संचालित होता है, जिस भवन में इन बच्चों की कक्षाए संचालित होती है वह भवन सन 1985 में तैयार हुआ था जो कि लगभग 35 वर्ष पुराना होने की वजह से जर्जर हो चुका है।
स्कूल प्रबंधन की बातो पर गौर किया जाए तो इस जर्जर भवन में छात्र-छात्राओं को पढ़ाने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, बारिश के दिनों में एक साथ 4 से 5 दिन लगातार बच्चो को छुट्टी करनी पड़ती है इतना ही नहीं नर्मदा नदी का डूब का पानी स्कूल भवन के अंदर तक घुस जाता है हमारे द्वारा लगातार शिकायत किए जाने के बाद भी आज तक किसी ने इसकी सुध नहीं ली।
प्रधान पाठक की लापरवाही से नहीं हो पा रहा स्कूल भवन का निर्माण
पूरे मामले पर जब विकासखंड शिक्षा अधिकारी से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि लगभग 20 से 30 लाख का भवन की स्वीकृति हो चुकी है और निर्माणाधीन एजेंसी स्कूल के ही प्रधान पाठक को बनाया गया है उनकी लापरवाही के चलते भवन का निर्माण नहीं हो पा रहा है।
ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि लापरवाही किसी की भी हो छोटे-छोटे मासूम खतरों के साए में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं अगर ऐसे में कोई हादसा होता है तो इसकी जवाबदारी किसकी होगी अब देखना होगा मामले पर जर्जर भवन को हटाकर मासूम छात्र-छात्राओं को एक अच्छे भवन की सौगात कब तक उपलब्ध हो पाती है।