कार्तिक माह को सभी माह में सर्वश्रेष्ठ माह माना गया है। यह माह पापों का नाश कर सभी संकट दूर कर देता है। यह माह धन, सुख, समृद्धि, शांति एवं स्वास्थ्य प्रदान करता है। इसी मास में भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर राक्षस का वध किया था, इसलिए इस माह का नाम कार्तिक पड़ा।
भगवान श्री हरि विष्णु और भगवान शिव को यह माह विशेष रूप से प्रिय है। इस माह गायत्री मंत्र का जाप सौभाग्य में वृद्धि करता है।
कार्तिक माह में पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस माह श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। इस माह दीपदान अवश्य करें। दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं। कर्ज से भी मुक्ति मिलती है। इस माह भूमि पर शयन करने से मन में सात्विकता का भाव आता है। समस्त रोग और विकार दूर हो जाते हैं। इस माह तुलसी पूजा अवश्य करना चाहिए। कार्तिक माह में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राईं आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक है। इस माह कम बोलें, किसी की निंदा या विवाद न करें, मन पर संयम रखें, न अधिक सोएं और न अधिक जागें। इस माह में दान का बहुत महत्व है। इस माह में तुलसी एवं सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इस माह रामायण, भागवत गीता का पाठ करना चाहिए। कार्तिक माह में तिल दान, नदी स्नान, साधु पुरुषों का पूजन मोक्ष देने वाला माना जाता है।कार्तिक माह में तुलसी के पौधे का दान दिया जाता है। इस माह पशुओं को हरा चारा अवश्य खिलाएं।