Gyanvapi Shivling Carbon Dating
Gyanvapi Carbon Dating: यहां जानिए क्या होती है कार्बन डेटिंग? इससे पता चलेगी 'शिवलिंग' की उम्र; जानिए कितनी है कारगर?

Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के वजूखाने में मिले शिवलिंग (Shivling) की कार्बन डेटिंग (Gyanvapi Shivling Carbon Dating) नहीं कराने का फैसला बीते दिन सुनाया था. कोर्ट द्वारा हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया गया जिसमे हिंदू पक्ष द्वारा शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Gyanvapi Shivling Carbon Dating) की मांग की गयी थी.

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि शिवलिंग (Shivling) के साथ किसी भी प्रकार की कोई छेड़छाड़ ना हो, और अभी इसकी आवश्यकता नहीं है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि इसके लिए पुरातत्व सर्वे को भी किसी भी प्रकार का कोई निर्देश दिया जाना सही नहीं है. 

कोर्ट के इस फैसले के बाद हिंदू पक्ष की वादियों ने कहा कि यह हमारी हार नहीं है और ना ही किसी प्रकार का कोई झटका है, हम पहले की तरह ही अपने दावे पर अडिग हैं और कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ अब हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.

जानकारी के उद्देश्य से आपको बता दें कि चार हिंदू महिलाओं ने शिवलिंग (Shivling) की वैज्ञानिक जांच कराने की मांग की थी. ज्ञानवापी केस की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी. 

क्या है ज्ञानवापी कार्बन डेटिंग विवाद की वजह

बीते माह 22 सितंबर 2022 को हिंदू पक्ष वादी संख्या 2-5 की तरफ से शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Gyanvapi Shivling Carbon Dating) सहित अन्य वैज्ञानिक परीक्षण की मांग शिवलिंग के बारे में पता लगाने के लिए की गई थी.

इसका विरोध न केवल मुस्लिम पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने किया था, बल्कि हिंदू पक्ष की ही वादी संख्या एक राखी सिंह की तरफ से भी वकीलों ने यह कहकर कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई थी कि कार्बन डेटिंग से शिवलिंग को क्षति पहुंचेगी.

क्या होती है कार्बन डेटिंग? What Is Carbon Dating ?

कार्बन डेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल कर किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाना बेहद ही आसान होता है. ऐसी कोई भी चीज की उम्र का पता लगाया जा सकता है जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी आयु इस प्रक्रिया के माध्यम से पता की जा सकती है.

हमारे वायुमंडल में कार्बन के 3 आइसोटोप मौजूद हैं, कार्बन 12, कार्बन 13 और कार्बन 14. इसमें प्रोटॉन की संख्या समान होती है लेकिन न्यूट्रॉन की संख्या अलग-अलग होती है. 

कार्बन डेटिंग के लिए कार्बन 14 की जरूरत अत्यधिक होती है, इसमें कार्बन 12 और कार्बन 14 के बीच अनुपात निकाला जाता है, कार्बन डेटिंग की मदद से 50 हजार साल पुराने अवशेष का पता लगाया जा सकता है.

हालांकि कार्बन के अभाव में किसी भी वस्‍तु की कार्बन डेटिंग नहीं की जा सकती. कार्बन डेटिंग के लिए पत्थर पर कार्बन- 14 का होना जरूरी है. शिकागो यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट विलियर्ड लिबी ने साल 1949 में कार्बन डेटिंग टेक्नोलॉजी की खोज की थी. 

इस वजह से नहीं सुनाया गया कार्बन डेटिंग का फैसला

ज्ञानवापी मामले की सुनवाई वाराणसी की जिला अदालत में चल रही है, कोर्ट ने मांग खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में कहा था कि जहां शिवलिंग पाया गया है उस स्थान को सुरक्षित रखा जाए. ऐसे में कार्बन डेटिंग कराने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लघंन हो सकता है.

क्या है ज्ञानवापी कार्बन डेटिंग विवाद की वजह

बीते माह 22 सितंबर 2022 को हिंदू पक्ष वादी संख्या 2-5 की तरफ से शिवलिंग की कार्बन डेटिंग (Gyanvapi Shivling Carbon Dating) सहित अन्य वैज्ञानिक परीक्षण की मांग शिवलिंग के बारे में पता लगाने के लिए की गई थी.

क्या होती है कार्बन डेटिंग? What Is Carbon Dating ?

कार्बन डेटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका इस्तेमाल कर किसी भी वस्तु की उम्र का पता लगाना बेहद ही आसान होता है. ऐसी कोई भी चीज की उम्र का पता लगाया जा सकता है जिसमें कार्बनिक अवशेष होते हैं, उनकी आयु इस प्रक्रिया के माध्यम से पता की जा सकती है.

इस वजह से नहीं सुनाया गया कार्बन डेटिंग का फैसला

ज्ञानवापी मामले की सुनवाई वाराणसी की जिला अदालत में चल रही है, कोर्ट ने मांग खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपने फैसले में कहा था कि जहां शिवलिंग पाया गया है उस स्थान को सुरक्षित रखा जाए. ऐसे में कार्बन डेटिंग कराने का फैसला सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लघंन हो सकता है.

Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar...

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