“गलवान के बलवान” चीन के खिलाफ भारत के 20 शूरवीरों की शहादत का एक साल पूरा – Galwan Valley

SHUBHAM SHARMA
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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena...
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नई दिल्ली । भारत-चीन सीमा पर गलवान घाटी के खूनी संघर्ष में 20 जवानों की शहादत का एक साल पूरा हो गया। पिछले साल 15/16 जून की रात को गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष ने 45 साल में ऐसा इतिहास लिख दिया जिसमें दोनों देशों के सैनिक मारे गए थे। इस रात भारत के वीर जवानों ने उन चीनी सैनिकों का मुकाबला किया था जो भारत में घुसपैठ करने के लिए बेताब थे।

चीन के सैनिकों के साथ हुई झड़प में कर्नल संतोष बाबू समेत 19 जवानों ने अपनी जान गंवा दी लेकिन उन्हें भारतीय सीमा में घुसने नहीं दिया।इस पूरे एक साल में भारतीय रक्षा बलों ने खुद को लद्दाख सेक्टर में इस कदर मजबूत कर लिया है कि चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए हर समय तैयार हैं।

तीन दौर में चला था संघर्ष

शहीद हुए जवानों की टीम का नेतृत्व करने वाले कर्नल संतोष बाबू को बीते गणतंत्र दिवस पर देश के दूसरे सर्वोच्च युद्ध वीरता पुरस्कार ‘महावीर चक्र’ से नवाजा गया। चीन के सैनिकों से मुकाबला करने वाले चार और बहादुरों को मरणोपरांत ‘वीर चक्र’ दिया गया है जिनमें बिहार रेजिमेंट के नायब सूबेदार नंदू राम सोरेन, नायब सूबेदार दीपक सिंह, 81 फील्ड रेजिमेंट के हवलदार के.पलानी और पंजाब रेजिमेंट के सिपाही गुरतेज सिंह शामिल हैं।

इसके अलावा बहादुरी से लड़कर घायल होने वाले हवलदार तेजेंदर सिंह को भी वीर चक्र दिया गया है। भारत और चीन के बीच गलवान घाटी का यह हिंसक संघर्ष तीन दौर में हुआ था। 15 जून की शाम 7 बजे से शुरू हुए खूनी संघर्ष का पहला दौर रात 09 बजे तक चला तथा दूसरा दौर 11 बजे तक चला। तीसरा दौर रात 11 बजे शुरू हुआ जो 16 जून की तड़के पांच बजे तक चला था। शहीद हुए 20 वीरों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के लाल पत्थरों में अंकित किए गए हैं।

चीन का विरोध लेकिन भारत ने बनाई सड़क

इस घटना के बाद दोनों पक्षों के सैनिक 1.5 किमी पीछे हटे हैं, जिसके बाद यह क्षेत्र बफर जोन में बदल गया है। अब सवाल उठता है कि इस घटना से सबक लेकर भारत की ओर से पूरे एक साल में पूर्वी लद्दाख की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किस तरह के बदलाव हुए और सुरक्षा के मद्देनजर क्या उपाय किये गए।

पड़ताल करने पर पता चलता है कि चीन के तमाम विरोधों के बावजूद भारत ने पूर्वी लद्दाख में लेह और काराकोरम के बीच 255 किलोमीटर लम्बी रणनीतिक ऑल-वेदर रोड का निर्माण पूरा कर लिया है। दरअसल, दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (डीएसडीबीओ) रोड के बनने की वजह से नाराज होकर चीन ने गलवान में भारतीय सैनिकों के साथ खूनी भिड़ंत की थी। अब इस मार्ग के बन जाने से केवल गलवान घाटी तक ही नहीं बल्कि उत्तरी क्षेत्रों में भी भारत की पहुंच आसान हो गई है।

भारत ने मजबूत किया बुनियादी ढांचा

भारतीय रक्षा बलों ने कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करके पूरे लद्दाख क्षेत्र में खुद को मजबूत किया है। भारत ने बुनियादी ढांचे की दृष्टि से सभी अग्रिम स्थानों तक सड़क संपर्क में सुधार किया है।सेना के इंजीनियरों ने समय से पहले सभी अग्रिम स्थानों के लिए सड़क संपर्क भी उपलब्ध करा दिया है।

भारत एलएसी के साथ सभी क्षेत्रों में सड़क के बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए काम कर रहा है। भारत ने एलएसी से सटे निम्मू-पदम-दारचा रोड पर काम तेज कर दिया है जिससे साल भर देश के अन्य हिस्सों से सैनिकों को लद्दाख जाने में आसानी होगी।

सीमा की अग्रिम चौकियों तक सड़कों की कनेक्टिविटी

सीमा सड़क संगठन ने जोजिला दर्रा से लेकर दुनिया की नई सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क उमलिंग ला, मार्समिक ला, खारदुंग ला तक ऐसी सड़कें तैयार की हैं जिनकी वजह से साल भर सैनिकों की आवाजाही हो सकेगी। अब भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) तक पहुंचने के लिए 17 हजार 800 मीटर की ऊंचाई पर वैकल्पिक मार्ग तैयार कर लिया है। सीमा की अग्रिम चौकियों तक सड़कों की कनेक्टिविटी होने से पूरे वर्ष रसद सामग्री की आपूर्ति और सैनिकों को तैनात करने में आसानी होगी।

रक्षा मंत्रालय जल्द ही बीआरओ को नई कनेक्टिविटी के लिए 4.5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए तैयार है। भारत ने पैन्गोंग झील के दक्षिणी किनारे पर एक बार फिर चीन की घुसपैठ को नाकाम करके 29/30 अगस्त की रात को कैलाश रेंज की आधा दर्जन ऊंची रणनीतिक पहाड़ियों पर अपना कब्जा सुनिश्चित कर लिया था।

आईबीजी के जरिए दुश्मन को जवाब देने की रणनीति

चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए इस गर्मी में एलएसी पर 50 हजार से बढ़ाकर 60 हजार अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया गया है। भारतीय सेना और वायु सेना को सभी स्तरों पर मजबूती से तैनात किया गया है। भारतीय सेना ने मथुरा स्थित वन स्ट्राइक कोर को लद्दाख में उत्तरी सीमाओं पर तैनात किया है। 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को पूरे पूर्वोत्तर राज्यों का प्रभार दिया गया है। सेना ने अक्टूबर, 2019 में पहली बार एकीकृत इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स की अवधारणा को अमल में लाते हुए पानागढ़ स्थित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर को 59 माउंटेन डिवीजन से अलग किया था।

इसे एक अतिरिक्त डिवीजन का दर्जा दिया गया है जिसमें 10 हजार से अधिक सैनिक शामिल हैं। चीन के खिलाफ पहले से तैनात सिर्फ एक स्ट्राइक कॉर्प्स के बजाय अब दो स्ट्राइक कोर की तैनाती की जानी है। इसके पीछे कोर स्तर के बजाय एक से अधिक एकीकृत इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (आईबीजी) के जरिए दुश्मन को जवाब देने की रणनीति है।

राफेल ने मजबूत किया लद्दाख का आसमान

भारतीय सेना ने पैन्गोंग झील में गश्त के लिए 17 नावें तैनात की हैं। हालांकि 35 फुट लंबी नावें वर्तमान में किसी भी हथियार से सुसज्जित नहीं हैं, लेकिन भविष्य की किसी भी आवश्यकता के अनुसार हल्के हथियारों से लैस हो सकती हैं।गलवान संघर्ष के बाद राफेल लड़ाकू विमानों के आने से भारतीय वायु सेना भी और ज्यादा मजबूत हुई है।

हालांकि इससे पहले मिग-29, सुखोई-30, जगुआर लड़ाकू विमान लद्दाख के आसमान पर हावी रहे हैं। अब राफेल की दूसरी स्क्वाड्रन हाशिमारा (पश्चिम बंगाल) में शुरू होने से पूर्वी सीमाओं को और मजबूती मिलेगी। चीनी सेना के साथ सैन्य गतिरोध में लगी भारतीय सेना ने लद्दाख सेक्टर और अन्य क्षेत्रों में ऐसे आवास बनाये हैं जिनमें बड़ी संख्या में सैनिकों को समायोजित करने की क्षमता है। पूर्वी लद्दाख में कठोर सर्दियों के दौरान शून्य से 45 डिग्री नीचे तापमान जाने पर भी यह आवास सैनिकों को सुरक्षित रखेंगे।

फिंगर एरिया में पूरी हुई है विस्थापन प्रक्रिया

इसी साल की शुरुआत में भारत के साथ हुए समझौते के बाद चीन ने बड़ी तेजी के साथ पैन्गोंग झील के फिंगर एरिया को खाली करना शुरू कर दिया था। दोनों देशों के बीच मुख्य विवाद की वजह बनी फिंगर-4 की रिजलाइन खाली करने के साथ ही चीनियों ने फिंगर-5 और फिंगर-8 के बीच किये गए पक्के निर्माणों को भी हटाया है। भारत ने भी सुरक्षा की दृष्टि से पैन्गोंग एरिया के उन स्थानों से सैनिकों को कम कर दिए हैं जहां दोनों सेनाओं के बीच टकराव हुआ था।

इस एरिया से विस्थापन प्रक्रिया पूरी होने और उसका सत्यापन होने के बाद 20 फरवरी को भारत-चीन के कोर कमांडरों के बीच 10वें दौर की सैन्य वार्ता भी हुई। इसके बाद 11वें दौर की सैन्य वार्ता 09 अप्रैल को हुई जिसमें गोगरा, डेप्सांग और हॉट स्प्रिंग क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी पर सहमति नहीं बन पाई है।

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Shubham Sharma – Indian Journalist & Media Personality | Shubham Sharma is a renowned Indian journalist and media personality. He is the Director of Khabar Arena Media & Network Pvt. Ltd. and the Founder of Khabar Satta, a leading news website established in 2017. With extensive experience in digital journalism, he has made a significant impact in the Indian media industry.
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