जबलपुर, । हाईकोर्ट द्वारा हड़ताल को अवैध करार दिए जाने के बाद जबलपुर में 400 जूनियर डॉक्टर्स ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। जूनियर डॉक्टर्स ने मेडिकल कॉलेज के डीन को सामूहिक इस्तीफ़ा सौंपा है। जूनियर डॉक्टर्स ने राज्य सरकार से स्टायफंड बढ़ाने सहित सभी मांगों पर बात की मांग की है।
इससे पहले ग्वालियर में जूनियर डॉक्टर हाईकोर्ट के फैसले से नाराज सैकड़ों डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया था। जूनियर डॉक्टरों ने गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन को इस्तीफा सौंपने की बात कही थी। वहीं हाईकोर्ट का आदेश आते ही ग्वालियर के 330 जूनियर डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है।
प्रदेश में करीब एक हजार पीजी के फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स हैं। मेडिकल कॉलेज के डीन द्वारा भेजे गए नामों पर जूनियर डॉक्टरों के नामांकन कैंसिल करने के लिए यूनिवर्सिटी को लिखा था। इसके बाद अब फाइनल ईयर के छात्र परीक्षा में नहीं बैठ पाएंगे।
इस मुद्दे पर गांधी मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी बुलाई गई है। इसके बाद प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज से पीजी स्टूडेंट्स विरोध में उतर आए हैं। पीजी के फस्र्ट ईयर और सेकंड ईयर के छात्रों ने सामूहिक रूप से इस्तीफे की पेशकश की है।
इससे पहले जूनियर डॉक्टर्स की प्रदेशव्यापी हड़ताल के मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला करते हुए हड़ताल को अवैध घोषित कर दिया है। हाईकोर्ट में लंच के बाद फिर शुरू हुई सुनवाई के बाद कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स का पक्ष सुना, और जूडा को हाईकोर्ट ने विकल्प दिया कि सरकार के आश्वासन पर तत्काल कोविड ड्यूटी बहाल करें।
हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल अवैध घोषित करते हुए कहा कि 24 घण्टे में काम पर लौटें, काम पर न लौटें जूडा तो राज्य सरकार सख्त कार्रवाई करे, सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मोहम्मद रफ़ीक ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि कोरोनाकाल में हड़ताल ब्लैकमेलिंग की तरह है, डॉक्टर्स ने अपनी शपथ भुलाई लेकिन हम अपनी शपथ नहीं भूले हैं।
प्रदेश के 6 मेडिकल कॉलेज के जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का गुरुवार को चौथा दिन है। इधर, चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपनी बात रखते हुए जूडा को कानून के अनुसार कार्रवाई करने की चेतावनी भी दे दी है।