नागपुर। अब आपने यही सुना होगा कि WhatsApp ग्रुप पर आपत्तिजनक पोस्ट कोई भी डाले जिम्मेदार तो ग्रुप एडमिन ही बनता था, केस आपत्तिजनक पोस्ट डालने वाले व्यक्ति के साथ साथ ग्रुप एडमिन पर ही बनता था . पर आज एक नया मामला आपको बताते है जिसमे हाईकोर्ट ने ग्रुप एडमिन के उपर दर्ज हुई FIR को रद्द क्र दिया.
जी हाँ बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने कहा है कि वॉट्सऐप ग्रुप (WhatsApp Group) में कोई भी आपत्तिजनक पोस्ट के लिए ग्रुप का एडमिन जिम्मेदार नहीं हो सकता, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 33 साल के व्यक्ति के खिलाफ दर्ज मामले को खारिज कर दिया उस मामले में ग्रुप एडमिन होने की वजह से उसे आरोपी बनाया गया था. यह मामला कोर्ट पहुंचा और हाईकोर्ट ने यह आदेश मार्च 2021 में दिया था
WhatsApp Group Admin के पास मैसेज को हटाने या एडिट करने का अधिकार नहीं होता
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के न्यायमूर्ति जेडए हक और न्यायमूर्ति एबी बोरकर की पीठ ने कहा कि वॉट्सऐप के एडमिनिस्ट्रेटर (WhatsApp Group Administartator) के पास केवल ग्रुप के सदस्यों को जोड़ने या हटाने का ही अधिकार होता है।
WhatsApp Group में डाले गए किसी पोस्ट या विषयवस्तु को नियंत्रित करने या रोकने की क्षमता/अधिकार WhatsApp Group Admin के पास नहीं होती है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन याचिकाकर्ता किशोर तरोने की याचिका पर यह आदेश सुनाया।
WhatsApp Group Admin के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज हुआ था मामला
तरोने ने गोंदिया जिले में अपने खिलाफ 2016 में धारा 354-ए (1) (4) (अश्लील टिप्पणी), 509 (महिला की गरिमा भंग करना) और 107 (उकसाने) और सूचना प्रौद्योगिकी कानून की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप में आपत्तिजनक सामग्री का प्रकाशन) के तहत दर्ज इन सभी मामलों को खारिज करने का अनुरोध किया था।
हाई कोर्ट ने खारिज की FIR
अभियोजन के मुताबिक, तरोने अपने वॉट्सऐप ग्रुप (WhatsApp Group) के उस मेंबर के खिलाफ कदम उठाने में नाकाम रहे जिसने समूह में एक महिला सदस्य के खिलाफ अश्लील और अमर्यादित टिप्पणी की थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि मामले का सार यह है कि क्या किसी वॉट्सऐप समूह के एडमिन (WhatsApp Group Admin) पर ग्रुप के किसी मेंबर की तरफ से किए गए आपत्तिजनक पोस्ट के लिए आपराधिक कार्यवाही चलाई जा सकती है।
हाई कोर्ट ने तरोने के खिलाफ दर्ज एफआईआर और इसके बाद दाखिल आरोपपत्र को खारिज कर दिया।