क्या आप जानते है ?किस तरह से किया गया था अस्थाई राम मंदिर का निर्माण, 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाने के बाद का वो पल

SHUBHAM SHARMA
5 Min Read

राम मंदिर निर्माण के भूमि पूजन की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही, वैसे-वैसे बाबरी मस्जिद के विवादित ढाँचे को ढहाए जाने के आसपास के संस्मरण सामने आ रहे हैं। ऐसी ही एक कहानी रामलला के अस्थायी मंदिर की है जिसे 1992 में विध्वंस के बाद बनाया गया था।

भूमिपूजन की तैयारियों के बीच इस समय लोग उन कारसेवकों को याद कर रहें हैं जिन्होंने रामलला को विराजमान करने के लिए अपने प्राणों को भी दाँव पर लगा दिया था। उन्हीं कारसेवकों में से एक है बाबा सत्यनारायण मौर्य। जो उस वक्त मौजूद थे जब श्री राम का अस्थाई मंदिर बनाया गया था। हाल ही में प्रकाशित एक वीडियो में, उन्होंने संक्षेप में कहानी सुनाई कि हमारे पास मंदिर बनाने के लिए सोचने तक का समय नहीं था। हमने किसी तरह जल्दी-जल्दी अस्थाई मंदिर का निर्माण किया क्योंकि पुलिस मंदिर परिसर में उन्हें पकड़ने के लिए प्रवेश कर चुकी थी

बाबा सत्यनारायण मौर्य को लोग बाबा के नाम से जानते है। उन्होंने कहा, “7 दिसंबर को, जैसे ही उन्हें पता चला कि पुलिस कुछ ही घंटों में विध्वंस स्थल पर पहुँच रही है, हमारे पास सोचने का बिल्कुल भी समय नहीं था। यदि हम उस समय स्थल पर एक अस्थाई मंदिर का निर्माण नहीं करते, तो अभी भी वह विवादित भूमि होती, न कि राम मंदिर का स्थान। भगवान राम ने हमें रास्ता दिखाया, और हमने बैनर बनाने के लिए अपने साथ लाए कपड़ों का ही उपयोग करके एक छोटा सा अस्थाई मंदिर बनाया।” राम मंदिर के निर्माण से पहले रामलला को हाल ही में योगी आदित्यनाथ द्वारा स्थानांतरित किए जाने तक अस्थाई मंदिर उसी संरचना में रहा।

मस्जिद के विध्वंस से पहले, रामलला की मूर्ति को मस्जिद के भीतर बीच गुंबद के नीचे रखा गया था। रामलला की मूर्ति को 1949 में दिसंबर की रात को कुछ भक्तों द्वारा रखा गया था। जिसके बाद सरकार द्वारा सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए मस्जिद को बंद कर दिया गया था। इससे पहले, स्थल पर मुस्लिम और हिंदू दोनों पूजा करते थे। क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने 1859 में बाड़ लगाकर साइट को दो भागों में विभाजित कर दिया था।

मस्जिद सहित भीतरी जमीन मुसलमानों को दी गई थी, जबकि हिंदुओं को बाहरी जमीन का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी। 1992 में मस्जिद को ध्वस्त करने के बाद, अस्थाई मंदिर (जो मूल रूप से एक तम्बू था) को रामलला की मूर्ति रखने के लिए बनाया गया था।

रामलला हम आएँगे, मंदिर वहीं बनाएँगे

राम मंदिर आंदोलन के दौरान बाबा ने एक आवश्यक भूमिका निभाई। आपको जानकर कर खुशी होगी कि बाबा ने ही “रामलला हम आएँगे, मंदिर वही बनाएँगे” वाला प्रसिद्ध नारा दिया था, जो आज भी राम भक्तों के बीच बेहद लोकप्रिय है।

पिछले 28 सालों में जब भी राम मंदिर को लेकर चर्चा हुई उस समय इस नारे का जरूर इस्तेमाल किया गया। बाबा ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स और यूट्यूब चैनल पर राम मंदिर आंदोलन के कई दुर्लभ वीडियो और तस्वीरें साझा की है। जिन्हें लोग आज भी देख कर आंदोलन के दिनों को याद करते है।

अयोध्या राममंदिर भूमिपूजन

उल्लेखनीय है कि, 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन होगा। इस समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी, मुरली मनोहर जोशी, कोठारी ब्रदर्स की बहन और कई अन्य प्रमुख नेता और संत अयोध्या में मौजूद रहेंगे।

पीएम मोदी 22.6 किलोग्राम के चाँदी की ईंट से मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास करेंगे। 9 नवंबर 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले के बाद राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। अदालत ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके साथ ही भारत सरकार को मंदिर निर्माण के लिए समर्थन देने का आदेश भी दिया था। अदालत के दिशानिर्देशों के अनुसार फरवरी 2020 में एक ट्रस्ट का गठन किया गया था।

TAGGED:
Share This Article
Follow:
Khabar Satta:- Shubham Sharma is an Indian Journalist and Media personality. He is the Director of the Khabar Arena Media & Network Private Limited , an Indian media conglomerate, and founded Khabar Satta News Website in 2017.
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *