सिवनी। बीते लगभग दो माह से मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में महुए के पेड़ को लेकर अंधविश्वास फैला हुआ है, जिसे अब लोग आस्था पर भारी अंधविश्वास का नाम देने लगे हैं। सिवनी जिले के छपारा से बखारी जाने वाले मार्ग पर स्थित ग्राम दानीमेटा के समीप एक महुए के पेड़ के नीचे कुछ दूरी पर जड़ से पानी बहता हुआ नजर आ रहा है जो कि लगातार बीते तीन दिनों से बह रहा है।
उक्त पानी को ग्रामीण गंगाजल व नर्मदा नदी का जल कह रहे हैं और इसका उपयोग बीमारी ठीक होने के लिये कर रहे हैं। इतना ही नहीं कुछ ग्रामीण तो उक्त जल के उपयोग से बीमारियाँ ठीक होने का दावा भी कर रहे हैं।
इसके पूर्व जिले के छपारा विकासखंड मुख्यालय से भीमगढ़ की ओर जाने वाले मार्ग पर लगभग 7 किलोमीटर दूर स्थित गोरखपुर घाटी के बंजारी मंदिर के सामने एक महुये का पेड़ बीते लगभग 1 माह से लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ था। जहां पर प्रतिदिन सैंकड़ों मरीज अपनी बीमारियाँ ठीक कराने के लिये उक्त स्थानपर पहँुच रहे थे, जहाँ महुए के पेड़ की पूजा कर स्वास्थ्य ठीक होने का दावा कर रहे हैं, जहाँ पर अभी भी लोगों का पहँुचना जारी है।
आस्था पर अंधविश्वास की कहानी लगभग 2 माह पूर्व मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले के पिपरिया के समीप नयेगांव में एक महुये का पेड़ से प्रारंभ हुई थी, जहां लोगों के द्वारा किसी भी तरह की बीमारियां ठीक होने का दावा किया जा रहा था। शासन प्रशासन द्वारा जब यहां भीड़ ज्यादा लगने लगी तो वहां से लोगों को हटाने के लिये बल प्रयोग भी करना पड़ा था।
आज के इस वैज्ञानिक युग में भी इस तरह के अंध विश्वास मध्यप्रदेश में बीते लगभग दो माह से चल रहे हैं। पिपरिया के पश्चात नरसिंहपुर जिले के बाद जबलपुर जिले में भी एक महुये का पेड़ आस्था का केंद्र बना, इसके बाद नंबर आया सिवनी जिले का।